Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    क्या आप जानते हैं कैसे पड़ा Connaught Place का नाम? 90% दिल्ली वालों को भी नहीं पता होगी वजह

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 03:27 PM (IST)

    दिल्ली आए हों और Connaught Place की चहल-पहल महसूस न की हो, ऐसा शायद ही कोई होगा। बता दें, 90% दिल्ली वाले भी नहीं जानते होंगे कि इस जगह का नाम किसी भारतीय पर नहीं, बल्कि ब्रिटेन के शाही परिवार के एक सदस्य के नाम पर रखा गया था। आइए, इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कनॉट प्लेस की दिलचस्प कहानी।

    Hero Image

    Connaught Place को कैसे मिला उसका यह आइकॉनिक नाम? (Image Source: Freepik) 

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Connaught Place सिर्फ एक मार्केट नहीं, बल्कि दिल्ली का 'दिल' है, जहां हर ब्रांड मिलता है, स्ट्रीट फूड की खुशबू आती है और जहां आकर हर कोई अपनी घड़ी की सुई को थोड़ा धीमा करना चाहता है, लेकिन क्या आपने कभी इस ऐतिहासिक जगह के नाम पर गौर किया है?

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या आपने सोचा है कि इसे आखिर 'कनॉट प्लेस' नाम क्यों मिला (Connaught Place Name Origin)? अगर आप दिल्ली में रहते हैं और रोज यहां से गुजरते हैं, तो भी 90% संभावना है कि आपको इसकी असली कहानी नहीं पता होगी। जी हां, इस नाम के पीछे का राज सीधे ब्रिटेन के शाही परिवार से जुड़ा है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

    Connaught Place

    (Image Source: Freepik) 

    Connaught Place का नाम कैसे पड़ा?

    'कनॉट प्लेस' नाम सुनते ही एक शाही एहसास होता है। दरअसल, इसका नाम किसी व्यक्ति के नाम पर सीधे नहीं रखा गया, बल्कि इसके पीछे ब्रिटिश राज की शाही कड़ी छिपी है। बता दें, “Connaught” नाम आयरलैंड के चार प्रांतों में से सबसे छोटे प्रांत का नाम है।

    कनॉट प्लेस का नाम किसी भारतीय नाम पर नहीं, बल्कि ब्रिटेन के शाही परिवार के एक सदस्य के नाम पर रखा गया था। उस सदस्य का नाम था 'ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रैथर्न', जिनका पूरा नाम था प्रिंस आर्थर

    why is Connaught Place called CP

    (Image Source: Freepik) 

    कब और क्यों रखा गया यह नाम?

    साल 1921 में, प्रिंस आर्थर भारत आए थे। वे क्वीन विक्टोरिया के तीसरे बेटे और किंग जॉर्ज VI के चाचा थे। उनके भारत आगमन को सम्मान देने के लिए, अंग्रेजी सरकार ने दिल्ली में बन रहे इस भव्य बाजार का नाम उनके पदवी 'ड्यूक ऑफ कनॉट' के नाम पर 'कनॉट प्लेस' रख दिया। यह बाजार उस समय की एक हाई स्ट्रीट मार्केट हुआ करती थी, जिसे रॉबर्ट टोर रसेल (Robert Tor Russell) नामक ब्रिटिश वास्तुकार ने डिजाइन किया था।

    पहले कैसी थी ये जगह?

    हैरानी की बात यह है कि जिस जगह आज कनॉट प्लेस है, वहां लगभग 100 साल पहले माधोगंज, जयसिंहपुरा और राजा का बाजार नाम के गांव हुआ करते थे। यह इलाका घने कीकर के पेड़ों से भरा जंगल था, जहां जंगली सूअर और हिरण घूमा करते थे। नई दिल्ली का निर्माण शुरू होने पर इन गांवों के निवासियों को हटाकर, इस क्षेत्र को ब्रिटिश शैली में विकसित किया गया।