MP में 'श्रीमंत' से मिले दर्द को भूल नहीं पा रही कांग्रेस, कमल नाथ ने तोमर से पूछा- कैसे हालचाल हैं आपके सिंधिया के?
ग्वालियर के पूर्व राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिले दर्द को कांग्रेस अभी तक भुला नहीं पाई है। विधानसभा सत्र में कमल नाथ ने तोमर से सिंधिया का ...और पढ़ें

डिजिटल डेस्क, भोपाल। ग्वालियर के पूर्व राजघराने के 'श्रीमंत' यानी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिले दर्द को कांग्रेस अब तक भूल नहीं पा रही है। कांग्रेसी नेताओं के मुंह से गाहेबगाहे उनकी चर्चा सुनाई दे ही जाती है। कुछ ऐसा ही मंगलवार को भी हुआ।
मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अनौपचारिक चर्चा में पूछ लिया कि आपके सिंधिया जी कैसे हैं? नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया-वह अच्छे, स्वस्थ और प्रसन्न हैं। इसी बीच वहां बैठे मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ठहाके लगाते हुए कह दिया कि अब आपके सिंधिया जी हमारे हो गए हैं।
दरअसल, कमल नाथ अब तक अपनी सरकार 15 महीने में ही गिर जाने का दर्द भूल नहीं पाए हैं। वर्ष 2020 में कांग्रेस सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ 22 विधायकों के पार्टी छोड़ने के कारण गिर गई थी। राजनीति के जानकार इस वार्तालाप में कमल नाथ का पुराना दर्द ही देख रहे हैं।
यहां पर यह बता दें कि केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री रह चुके कमल नाथ इन दिनों केवल विधायक हैं। संगठन में भी उनके पास कोई जिम्मेदारी नहीं है। कांग्रेस की नई पीढ़ी भी उन्हें वह महत्व नहीं दे रही है, जिसके वह हकदार हैं।
इधर, ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में आगे बढ़ते हुए सभी देख ही रहे हैं। भाजपा ने ज्योतिरादित्य को पहले राज्यसभा में भेजा, केंद्रीय मंत्री बनाया और फिर वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव में सांसद केपी यादव का टिकट काटकर चुनाव मैदान में उतारा। मोदी सरकार में उन्हें दूसरी बार मंत्री बनाया गया। कमल नाथ भी महसूस कर रहे होंगे कि वह भी ज्योतिरादित्य की राह पर चल देते तो ठीक रहता। उनकी यही पीड़ा भाजपा नेताओं के साथ बातचीत में दिखाई दी।
एक जैसे कई घटनाक्रम दोनों के साथ
- वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया को उपेक्षा झेलनी पड़ी। ठीक ऐसी ही उपेक्षा इन दिनों कांग्रेस में कमल नाथ झेल रहे हैं।
- ज्योतिरादित्य कांग्रेस में रहने के दौरान गुना-शिवपुरी सीट पर वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे। वर्ष 2024 में कमल नाथ ने भी परंपरागत सीट छिंदवाड़ा पर वर्चस्व खो दिया। उनके बेटे नकुल नाथ यहां से पराजित हो गए थे।
- इसके बाद कमल नाथ ने राज्यसभा में जाने का प्रयास भी किया, लेकिन पार्टी ने अवसर नहीं दिया। यही स्थिति ज्योतिरादित्य के साथ बनी थी, लोकसभा चुनाव हारने के बाद वे भी राज्यसभा में जाना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया।
- ऐसा नहीं है कि उपेक्षा के चलते कमल नाथ ने नाराजगी नहीं दिखाई हो। वर्ष 2024 के अंत में कमल नाथ ने भी भाजपा में जाने की लगभग तैयारी कर ली थी, लेकिन मामला बाद में बिगड़ गया।

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