MP में NEET फर्जीवाडे का लंबा नेटवर्क, आधार–लोकसेवा केंद्रों से लेकर मेडिकल कॉलेज तक फैला जाल
मध्य प्रदेश में NEET में फर्जी दस्तावेजों से मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। आरोपियों ने आधार कार्ड में हेरफेर कर और लो ...और पढ़ें

फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए किया नीट फर्जीवाड़ा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। NEET में फर्जी दस्तावेजों के जरिये मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिलाने वाला गिरोह मध्य प्रदेश के आधार और लोकसेवा केंद्रों तक अपनी पकड़ बनाए हुए था। पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने प्रदेश के मूल निवासी अभ्यर्थियों को मिलने वाले आरक्षण का फायदा उठाने के लिए पहले पुलिस जांच में साफ हुआ है कि आरोपितों ने प्रदेश के मूल निवासी अभ्यर्थियों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ लेने पहले आधार केंद्रों से अपने आधार कार्ड में छेड़छाड़ करवाई। इसमें मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों का पता अपडेट करवाया और फिर उसी आधार कार्ड के जरिये लोक सेवा केंद्रों से वहां का मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवा लिया।
हैरानी की बात यह है कि नियमों के अनुसार मूल निवासी प्रमाण-पत्र के लिए समग्र ID अनिवार्य होती है, लेकिन बिना समग्र ID के भी प्रमाण-पत्र जारी किए जाते रहे। इससे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर अधूरे दस्तावेजों पर प्रमाण-पत्र कैसे बनते रहे, और दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी लाखों रुपये देकर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश कैसे पाते रहे।
रीवा मेडिकल कॉलेज से बने फर्जी आरक्षण दस्तावेज
पुलिस के मुताबिक, मूल निवासी प्रमाण-पत्रों के बाद गिरोह ने रीवा मेडिकल कॉलेज से ईडब्ल्यूएस, दिव्यांग और स्वतंत्रता सेनानी सहित कई फर्जी दस्तावेज भी तैयार कराए। कॉलेज के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से ये प्रमाण-पत्र बिना किसी वास्तविक सत्यापन के बनाए गए।
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने वाले बिहार के हिमांशु कुमार और मुंबई की क्रिस्टल डिकोस्टा के फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र भी रीवा में ही तैयार हुए थे। दोनों में एक जैसी ही चिकित्सीय समस्या दर्शाई गई।
दिल्ली आधार केंद्र ने जानकारी देने से इन्कार किया
गिरफ्तार आरोपितों ने स्वीकार किया कि उन्होंने केवल पता अपडेट कराया था, अन्य विवरण नहीं बदले थे। लेकिन जब कोहेफिजा पुलिस दिल्ली के मुख्य आधार केंद्र पहुंची तो अधिकारियों ने जानकारी साझा करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि वे कोई भी विवरण केवल हाईकोर्ट के आदेश पर ही उपलब्ध कराएंगे।
मुख्य आरोपी फरार, नेटवर्क का बड़ा हिस्सा अब भी पर्दे में
जांच में सामने आए रीतेश यादव, संदीप कुमार और सुमित कुमार आदित्य को इस फर्जीवाड़े का मुख्य संचालक माना जा रहा है।
सुमित, जो कि रीवा मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर है, पर शक है कि उसने भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही प्रवेश लिया था।
तीनों आरोपी अब तक फरार हैं, और इनके पकड़े बिना गिरोह का पूरा नेटवर्क बेनकाब नहीं हो पा रहा।

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