डेरों में बसे, खुद को बताते बंजारा मुस्लिम, घर-जमीन नहीं, फिर भी बनवा लिए आधार, वोटर आईडी व पैन कार्ड
जबलपुर में मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान खुफिया विभाग ने अनियमितता उजागर की है। शहर के डेरों में बसे कुछ लोग, जो खुद को बंजारा मुस्लिम बताते हैं, उनक ...और पढ़ें

जबलपुर में फकीरचंद अखाड़ा के पास स्थित मैदान में डेरा डाले संदिग्ध लोग।
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान जबलपुर जिले में पुलिस और खुफिया तंत्र ने बड़ी अनियमितता का खुलासा किया है। शहर और ग्रामीण इलाकों में फैले 10 डेरों में ऐसे लोग रह रहे हैं, जो स्वयं को बंजारा मुस्लिम बताते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि न इनके पास घर है, न जमीन, फिर भी सभी के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और आयुष्मान कार्ड जैसे महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज मौजूद हैं।
खुफिया विभाग को आशंका है कि इनमें से कई व्यक्ति रोहिंग्या या बांग्लादेशी मूल के हो सकते हैं, जो फर्जी पहचान का सहारा लेकर दस्तावेज बनवा रहे हैं।
खुफिया जांच में चौंकाने वाले तथ्य
सर्वे के दौरान खुफिया टीम ने पाया कि ये लोग अक्सर शहर और गांवों में फुटपाथों पर सामान बेचते दिखाई देते हैं। कुछ डेरों में छापामार कार्रवाई जैसी जांच के दौरान टीम को साल 2003 की मतदाता सूची भी मिली। टीम को संदेह है कि संदिग्ध लोग उसमें दर्ज वृद्ध या मृत व्यक्तियों को अपना संबंधी बताकर नए वोटर ID बनवाने की कोशिश कर रहे हैं।
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बोली और बनावट से बढ़ी शंका
- सर्वे में संदिग्धों की भाषा, लहजा और शारीरिक बनावट स्थानीय लोगों से काफी अलग पाई गई।
- फोन में कॉन्टैक्ट नंबर नाम से नहीं, बल्कि अंकों 77, 102, 999 जैसे पैटर्न में सेव थे।
- सभी दस्तावेज भी एक ही समयावधि में बनवाए गए हैं, जो और अधिक संदेह पैदा करता है।
- पूछताछ होने पर ये लोग अचानक ठिकाना बदल लेते हैं, जिससे निगरानी और मुश्किल हो रही है।
- सूत्रों का दावा है कि स्थानीय स्तर पर कुछ समुदाय विशेष के एजेंट इन संदिग्धों को पहचान दस्तावेज बनवाने में मदद कर रहे हैं।
1700 से अधिक संदिग्धों की मौजूदगी
अब तक खुफिया टीम 10 डेरों का सर्वे कर चुकी है, जहां करीब 1700 संदिग्ध लोग निवासरत पाए गए। ये डेरे गोसलपुर, खमरिया, हनुमानताल, बरेला, गोराबाजार, भेड़ाघाट, खजरी खिरिया बायपास, मझौली और कुंडम सहित कई क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
जमीनी पड़ताल में बढ़ीं शंकाएं
दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया की टीम जब हनुमानताल क्षेत्र में पहुंची और संदिग्धों से बातचीत की कोशिश की, तो उन्होंने किसी भी प्रश्न का स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। थोड़ी देर में उनका लीडर आया, जिसने भाषा की बाधा के बीच पहचान संबंधी कुछ दस्तावेज दिखाए, लेकिन मूल जानकारी देने से बचता रहा।
जिले में कई स्थानों पर संदिग्ध लोगों के ठहरने का पता चला है। प्रशासन के साथ संयुक्त टीम का गठन कर कार्रवाई की जाएगी।
- संपत उपाध्याय, पुलिस अधीक्षक, जबलपुर

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