Bombay High Court Loudspeakers: अवैध लाउडस्पीकरों पर सरकार को राहत, बॉम्बे हाई कोर्ट ने अवमानना याचिका खारिज की
बॉम्बे हाई कोर्ट ने धर्मस्थलों पर अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार के प्रयासों पर संतोष व्यक्त करते हुए उसके विरुद्ध अवमानना कार्रवाई शुरू करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने पर्याप्त और गंभीर प्रयास किए हैं जिसमें 343 लाउडस्पीकरों को हटाना 831 को लाइसेंस देना और 19 एफआईआर दर्ज करना शामिल है।

मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने धर्मस्थलों पर अवैध लाउडस्पीकरों के विरुद्ध पर्याप्त और गंभीर प्रयास किए हैं। इसलिए सरकार के विरुद्ध कोई अवमानना कार्रवाई शुरू करने की आवश्यकता नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता संतोष पचलाग द्वारा 2018 में दायर याचिका का निपटारा कर दिया। इसमें ध्वनि प्रदूषण नियमों का उल्लंघन करने वाले अवैध लाउडस्पीकरों पर हाई कोर्ट के अगस्त, 2016 के आदेश का पालन नहीं करने के लिए सरकार के विरुद्ध अवमानना कार्रवाई की मांग की गई थी।
पुलिस ने हलफनामे में क्या कहा?
अदालत ने महाराष्ट्र की पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला द्वारा पहले पेश किए गए हलफनामे का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि इस वर्ष अप्रैल तक विभिन्न धार्मिक स्थलों पर 2,812 लाउडस्पीकर इस्तेमाल किए जा रहे थे।
इनमें से 343 को हटा दिया गया और 831 लाउडस्पीकरों को लाइसेंस व अनुमति दे दी गई। 767 स्थलों को नोटिस जारी कर उन्हें डेसिबल सीमा से अधिक शोर नहीं करने की चेतावनी दी गई और 19 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई।
सरकारी वकील नेहा भिड़े ने अदालत को बताया कि ऐसे अवैध लाउडस्पीकरों के विरुद्ध की गई कार्रवाई की निगरानी के लिए पुलिस महानिरीक्षक स्तर के एक नोडल अधिकारी को नियुक्त किया गया है। पीठ ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट है कि हाई कोर्ट के 2016 के निर्देशों का अनुपालन किया गया है।
हाई कोर्ट ने कहा, ''यह स्पष्ट है कि अधिकारियों ने आदेश का पर्याप्त रूप से अनुपालन किया है। इस अदालत के निर्देशों की जानबूझकर अवज्ञा करने का कोई मामला नहीं बनता है, क्योंकि अधिकारियों ने अनुपालन करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं। इसलिए अवमानना का कोई मामला नहीं बनता और अवमानना याचिका का निपटारा किया जाता है।''

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