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    उद्धव मनसे के साथ गठबंधन के लिए तैयार, शिवसेना बोली- उम्मीद है राज ठाकरे महाराष्ट्र के हित में लेंगे फैसला

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Thu, 22 May 2025 07:11 AM (IST)

    शिवसेना (यूबीटी) ने बुधवार को कहा कि उद्धव ठाकरे राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख के साथ बातचीत करने को लेकर सकारात्मक है। वहीं उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के विधायक अनिल परब ने कहा कि राज ठाकरे को महाराष्ट्र के हित में फैसला करना होगा कि वह उद्धव के साथ हाथ मिलाना चाहते हैं या नहीं।

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    उद्धव मनसे के साथ गठबंधन के लिए तैयार (फोटो- एक्स)

    पीटीआई, मुंबई। एक समय महाराष्ट्र में काफी मजबूत रहने वाले उद्धव ठाकरे की हालात क्या है यह किसी से छुपा नहीं है। वहीं, उद्धव ठाकरे को अब अपने भाई राज ठाकरे का सहारा है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शिवसेना (यूबीटी) ने बुधवार को कहा कि उद्धव ठाकरे राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख के साथ बातचीत करने को लेकर सकारात्मक है।

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    उद्धव ठाकरे तैयार अब राज ठाकरे को लेना है निर्णय

    उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के विधायक अनिल परब ने कहा कि राज ठाकरे को महाराष्ट्र के हित में फैसला करना होगा कि वह उद्धव के साथ हाथ मिलाना चाहते हैं या नहीं।

    पीटीआई के अनुसार, अनिल परब ने संवाददाताओं से कहा कि उद्धव ठाकरे पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वह सभी विवादों को दरकिनार कर साथ आने के लिए तैयार हैं। अब, राज ठाकरे को फैसला करना है कि वह हमारे साथ आना चाहते हैं या नहीं। उन्हें महाराष्ट्र के हित में फैसला करना चाहिए, हम बातचीत को लेकर सकारात्मक हैं।

    महाराष्ट्र के लोग चाहते हैं कि ठाकरे बंधु साथ आएं

    उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) ने कभी भी बातचीत के लिए दरवाज़ा बंद नहीं किया, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महाराष्ट्र के लोग चाहते हैं कि ठाकरे बंधु साथ आएं। पीटीआई के अनुसार, अनिल परब ने कहा कि अगर दोनों वरिष्ठ नेता मिलते हैं, तो वे चर्चा करेंगे और अंतिम निर्णय लेंगे। दोनों सेनाओं का नेतृत्व जो भी निर्णय लेगा, हम उसके अनुसार आगे बढ़ेंगे।

    अप्रैल के अंत में दोनों अलग-थलग पड़े चचेरे भाइयों आ सकते हैं साथ

    उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, दोनों नेता फैसला लेंगे। उन्होंने कहा कि मैं एक जूनियर नेता हूं। यह उन पर निर्भर है। अप्रैल के अंत में दोनों अलग-थलग पड़े चचेरे भाइयों ने इस बात के संकेत देते हुए सुलह की चर्चा शुरू कर दी थी कि वे मामूली मुद्दों को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक के कटु अलगाव के बाद हाथ मिला सकते हैं।

    इस बीच, अनिल परब ने अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर भाजपा पर निशाना साधा।

    भाजपा कार्यकर्ता नाखुश

    पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपने पदों को त्याग दिया है। इस सरकार के पास पूर्ण बहुमत है, लेकिन भाजपा कार्यकर्ता नाखुश हैं। उन्होंने सत्ता के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार अब आंतरिक राजनीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उनका समय संरक्षक मंत्रियों के पदों और राजनीतिक गणनाओं पर खर्च हो रहा है।

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