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    गौरव का पल, दीपावली यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 08:30 PM (IST)

    दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया गया है, जो भारत के लिए एक गौरव का पल है। यह त्योहार, जिसे रोशनी का पर्व भी कहा जाता है, ...और पढ़ें

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    दीपावली यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल। (फाइल)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के लिए आज ऐतिहासिक क्षण है। यूनेस्को ने भारत के प्रमुख त्योहार दीपावली को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल कर लिया है। यह फैसला बुधवार को दिल्ली के लाल किला में आयोजित यूनेस्को की इंटरगवरमेंटल समिति की बैठक में लिया गया। जैसे ही यूनेस्को ने दीपावली त्योहार को सूची में शामिल करने की घोषणा की भारत माता की जय के नारे गूंज उठे।

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    कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यावरण मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत और दुनियाभर के उन समुदायों के लिए यह अत्यंत गौरव का क्षण है, जो दीपावली की शाश्वत भावना को जीवित रखते हैं। ये पहला मौका है जबकि भारत यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए अंतर-सरकारी समिति (आइसीएच) के सत्र की मेजबानी कर रहा है।

    समिति का 20वां सत्र 8 से 13 दिसंबर तक लाल किले में चल रहा है। भारत के यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में 15 चीजें शामिल हैं। जिनमें कुंभ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा नृत्य, योग, वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा और रामलीला है। दीपावली को 194 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और यूनेस्को के वैश्विक नेटवर्क के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अपनाया गया।

    दीपावली को सूची में शामिल करने की घोषणा के बाद केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए कहा कि यह भारत और विश्वभर के उन समुदायों के लिए अत्यंत गौरव का क्षण हैं जो दीपावली की शाश्वत भावना को जीवित रखते हैं। यह त्योहार तमसो मा ज्योतिर्गमय के सार्वभौमिक संदेश का प्रतीक है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने की भावना को दर्शाता है और आशा, नवजीवन तथा सद्भाव का प्रतिनिधित्व करता है।

    केंद्रीय मंत्री ने त्योहार की जीवंतता और जन-केंद्रित प्रकृति का उल्लेख करते हुए इस बात पर बल दिया कि दीपावली उत्सव के पीछे लाखों लोगों का योगदान होता है। जिनमें दिये बनाने वाले कुम्हार, उत्सव की सजावट करने वाले कारीगर, किसान, मिठाई बनाने वाले, पुजारी और सदियों पुरानी परंपराओं को निभाने वाले परिवार परिवार शामिल हैं।