किसी संस्था के पहले 100 दिवस एकपक्षीय तात्कालिक दृष्टिकोण माना जा सकता है किन्तु यह वैश्विक एवं राष्ट्रीय परिदृश्य, नई सरकार की प्राथमिकताओं और चुनाव अभियान में दिए वचनों के क्रियान्वयन की दिशा और दशा को तय करता है।

अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट (1932 में निर्वाचित) ने सर्वप्रथम अपने 100 दिनों के कार्यकाल में महत्वपूर्ण विधेयकों एवं प्रशासनिक निर्णयों से अपने देश में सामाजिक एवं आर्थिक परिवेश में बदलाव की शुरुआत की । तब से यह 100-दिवसीय बेंचमार्क शीर्ष प्रबंधन की महत्वपूर्ण कार्य योजना बन कर उभरा है।

आइए, हम 2024 के चुनाव के दौरान भारतीय परिदृश्य और एनडीए 3.0 से भारतीय मतदाताओं की अपेक्षा और मोदी 3.0 द्वारा उनकों दिए गए वचनों की पूर्ती की व्यवस्था पर चर्चा करें । यह पहले 100 दिन में कुछ बेहतर, कुछ नया कर दिखाने एवं अपनी नीयत और सामर्थ्य प्रदर्शित करने का अवसर है । मगर सरकार को अपने क्रियान्वयन के फोकस एवं बदलाव को देश की जनता को सशक्त रूप से बनाना है और उन्हें इस बदलाव से जोड़ना है, तो ये 100 दिन निर्णायक सिद्ध होंगे । इन दिनों में आप अपने सामरिक नीतियों एवं उनके सफल कार्यान्वयन में लिए गए महत्वपूर्ण परिवर्तनों की रूपरेखा देश की जनता के साथ बांटकर उनको इस यात्रा का साथी बना सकते हैं। आप देश को दिखा सकते हैं कि इन चुनावों से आपने क्या महत्वपूर्ण सबक लिए हैं और किस तरह सबका साथ - सबका विकास को धरातल पर उतारा जाएगा ।

इन 100 दिनों में आपके काम और कार्य प्रणाली आपकी विश्वसनीयता तथा प्रभावी नेतृत्व क्षमता का आधार बनेगी । वही दूसरी ओर, यदि आप पहले 100 दिन में गति एवं ऊर्जा का प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं तो आपके कार्यकाल के शेष 4 वर्ष एवं 265 दिन आपके लिए चुनौतियों से भरे सिद्ध होने वाले हैं। इन 100 दिनों में किए गए काम आपकी दीर्घकालिक सफलता के लिए एक आधार का काम करेंगे ।

सरकार में शीर्षस्थ मंत्रीगण से लेकर अधिकारीगण तक इस मार्गदर्शन से लाभान्वित होंगे कि किस प्रकार वे अपनी नई भूमिकाओं का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर सकते हैं और बदलती परिस्थितियों के अनुसार जमीनी स्तर पर सुधारो को समय बंद तरीके से लागू कर सकते हैं। बदलावों को तेज करने के लिए एक मानक ढांचा अपनाने से एनडीए सरकार को भारी लाभ मिल सकता है और संसद के विचार- विमर्श को सकारात्मकता मिल सकती है। यदि आप 100 दोनों का रोडमेप बनाकर से तुरंत क्रियान्वित कर लेते हैं तो वह आपको सामाजिक बढ़त के साथ-साथ अपने वोटरों का विश्वास प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा ।

1.स्वयं को बढ़ावा दें

नई संसद के रूप में चुने जाने या अनुभवी संसद के रूप में आपके पुनर्निर्वाचित होने पर आपको एनडीए सरकार में मंत्री के रूप में सम्मिलित किया गया है। स्वयं को बढावा देने से तात्पर्य है अपनी सोच, कार्य प्रणाली एवं अपने ज्ञान का विस्तार करना न कि अपना बडबोला दिखाना या किसी जनसंपर्क कंपनी द्वारा अपने कार्यों एवं कार्य शैली का ढोल पीटना ।

इसका अर्थ है कि अपनी अतीत की कार्य शैली से ऊपर उठकर नई भूमिका के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना । यह आपके लिए एक कठिन काम हो सकता है लेकिन इन नई जिम्मेदारियां के चलते आपको नया दृष्टिकोण विकसित करना अति आवश्यक होगा ।

यदि आप वहीं करते रहेंगे तो आपने अपने पहले दायित्व या कनिष्ठ मंत्री के रूप में किया है, तो आप वर्तमान सरकार के मंत्री पद की चुनौतियों का सामना करने में असफल हो सकते हैं। आपको सचेत रूप से पुराने दायित्व को छोड़ने और अपनी नये दायित्व का स्वागत करने की विषय में विचार करना चाहिए। यह पुराने कार्य प्रणाली को भूलने व सतत नया सीखने की प्रक्रिया है ।

आपको अपने कमजोरी और प्राथमिकताओं का पुन: आकलन करना आवश्यक होगा। कुछ ऐसे कार्य क्षेत्र होंगे जिनके प्रति आपका स्वाभाविक आकर्षण है और कुछ ऐसे कार्य भी होंगे जो आपको नापसंद होंगे। जो कार्य आपको आकर्षित करते हैं और आपको पसंद है किंतु कम महत्वपूर्ण है, उनके स्थान पर उन कार्यों को करना होगा जो महत्वपूर्ण है परंतु उनके लिए आप दक्षता नहीं रखते। ऐसे कार्यों के लिए अपने मंत्रालय में योग्य प्रतिभाओं का चयन करें और उनसे सहायता लें । वर्तमान दायित्व में नई चुनौतियां अवसरों और गत वर्षो में हुई असफलताओं का विश्लेषण करें। जो प्रोजेक्ट पिछले कार्यकाल में असफल या आंशिक सफल रहे, कुछ परिवर्तनों के साथ इस बार प्रभावी ढंग से किया जा सकते हैं और वांछित परिणाम प्राप्त किया जा सकते हैं ।

आप आगे बढ़ाने के लिए अच्छे राजनीतिक सलाहकारों एवं व्यक्तिगत सलाहकारों की सहायता ले सकते हैं। आपको अपने सलाह मशवरा देने वाले तंत्र को पुनर्गठित करना होगा तथा पुराने तंत्र को पीछे छोड़ना होगा । राजनैतिक सलाहकार आपको अपने नए दायित्व की राजनीति समझने में सहायक होंगे जो आगे आने वाली चुनौतियों में आपके दृष्टिकोण को सकारात्मक एवं संतुलित बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाएंगे ।

2.अपने सीखने की गति बढ़ाएं

आप वित्तीय और परिचालक रिपोर्ट्स, पूर्वकालीन रणनीतिक योजनाए, मीडिया रिपोर्ट और अपने उद्योग या कार्य कौशल से संबंधित प्रकाशित प्रगति रिपोर्ट जैसे ठोस डेटाबेस से नया ज्ञान एवं जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। आपको अपने मंत्रालय के वर्तमान रणनीति तकनीकी क्षमताओं कमजोरियों ,कार्य संस्कृति एवं राजनीतिक प्रभाव की जानकारी आवश्यक है। इस विषय में जानकार लोगों से विचार विमर्श आपके लिए आवश्यक होगा । ऐसे सूचना एवं कौशल स्रोतों की पहचान आपके सीखने की गति का विकास करेगी । इसके लिए आपको मंत्रालय की भीतरी और बाहरी दोनों तरह के स्रोतों से चर्चा लाभदायक होगी। मंत्रालय के अंदर ऐसे वरिष्ठ कर्मचारी होते हैं जो विभाग के भूतकाल की सफलताओं, समस्याओं और चुनौतियों का सामना करने की रणनीतियों का समग्र ज्ञान रखते हैं। ऐसे इतिहासकार, सचिव अधिकारी गण एवं कार्य कुशल कर्मचारी आपको विभाग की आंतरिक कार्य प्रणाली एवं चुनौतियां के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते हैं।

सूचना के बाहरी स्रोतों के रूप में आपको योजनाओं के वर्तमान लाभार्थियों, ग्राहकों आपको सामग्री देने वाली विक्रेताओं और आपके मंत्रालय से जुड़े राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों से क्रियान्वयन एवं अपेक्षित परिवर्तनों के विषय में वृहद जानकारी मिल सकती है। मीडिया कर्मी, विश्लेषक एवं समाचार पत्रों से आपको अपने मंत्रालय कार्यक्रमों - उनकी कमजोरियों एवं प्रभाव के विषय में महत्वपूर्ण दृष्टिकोण मिल सकते हैं ।

अपने अधीनस्थों से यह पांच सवाल पूछे:

1.मेरे मंत्रालय के सामने मोदी 3 में कौन सी सबसे बड़ी चुनौतियां है या भविष्य में होगी ?

2.मेरा मंत्रालय को इन चुनौतियों का सामना क्यों काम करना पड़ रहा है या करने जा रहा है ?

3.मेरे मंत्रालय में जनकल्याण एवं भारत के विकास के लिए सबसे उचित अवसर कौन-कौन से हैं ? किन क्षेत्रों में हम शुरुआती विजय प्राप्त कर सकते हैं ?

4.मेरे मंत्रालय को इन अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए क्या करने की आवश्यकता होगी( नीतिगत निर्णय, बेहतर टीम, वित्तीय संसाधन) ?

5.यदि आप मेरी जगह होते, तो आप अपना ध्यान किन अवसरों तथा चुनौतियों पर पहले केंद्रित करते ?

सीखने की योजना का प्रारूप

अपने मंत्रालय की रणनीति, संरचना, कार्य निष्पादन और कर्मचारियों के विषय में अधिकतम जानकारी प्राप्त करें । मंत्रालय के कार्यनिष्पादन का बाहरी मूल्यांकन (यथा कैग रिपोर्ट) देखें एवं एक्शन बिंदु निर्धारित करें ।

अपने विभाग का इतिहास, राजनीतिक महत्व और कार्य संस्कृति पर बाहरी व्यक्तियों जैसे पूर्व मंत्रियों, नौकरशाहों, हाल में सेवानिवृत कर्मचारियों और अन्य हितधारकों से बेबाक प्रतिक्रियाएं प्राप्त करें। समीक्षा बैठकों के माध्यम से पीएमओ एवं प्रधानमंत्री महोदय से चर्चा करें एवं उनकी राय लें कि किन योजनाओं को प्राथमिकतादी जानी है । आपको अपने मंत्रालय के विषय में जो पहली जानकारियां मिलती है, उन्हें नोट करें एवं उन पर अपने कोर ग्रुप में चर्चा करें ।

अपने कार्य योजना बनाने के लिए अपनी जिज्ञासाओं व प्रश्नों का प्रारंभिक सेट तैयार करें ।

अपनी विस्तृत परिचालन योजनाओं और कार्य निष्पादन आंकड़ों पर प्रति सप्ताह चर्चा करें और मूल अवधारणाओं को संशोधित करें । अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से जो सीधे तौर पर आपके अधीन है नियमित अंतराल पर बैठक करें और प्रासंगिक रूप से महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे ।

मुख्य कार्य निष्पादन कार्य बिंदुओं पर मुद्दों एवं प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा करें व दुर्बलताओं को दूर करें ।

विभाग में उच्च कर्मचारियों से लेकर लाभार्थियों के संपर्क में आने वाले कर्मियों से मंत्रालय के विजन और रणनीती की समझ को परखें । नीचे से ऊपर तक जागरूकता, चुनौतियां और अवसरों की समीक्षा करें जिससे जनता तक आपकी कार्य योजना एवं परिणाम दिखाई दे सके । अपनी संकल्पनाओं और प्रश्नों को अपडेट करें । कुछ प्रमुख योजनाओं और प्रक्रियाओं का विश्लेषण करें। प्रक्रियाओं के सतत मूल्यांकन के लिए प्रभावी समूह के प्रतिनिधि एवं निष्पक्ष कंसल्टेंट की सहायता ले ।

3.प्रारंभिक जीत सुनिश्चित करें

一)अपने 100 दिन के कार्यों की योजना बनाएं, कार्य योजना बनाते समय, अपने चारों ओर हो रहे बदलाव एवं 2047 के वृहद लक्ष्य को सामने रखें। प्रत्येक योजना के अलग-अलग चरण रखें यथा नई जानकारी प्राप्त करना, परिवर्तन को योजना में सम्मिलित करना, परिणामों के सतत समीक्षा और जहां आवश्यक को वहां योजनाओं के कार्यान्वयन के प्रारूप में प्रौद्योगिकी को सम्मिलित करना एवं परिवर्तन करते जाना ।

शुरुआती 100 दिनों का लक्ष्य प्राप्त करने से आपकी विश्वसनीयता एवं आत्मविश्वास में वृद्धि होगी एवं मंत्रिमंडल समूह में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कार्य निष्पादन हेतु आवश्यक समूहों, विशेषज्ञों एवं प्रांत स्तर पर मंत्रियों एवं अधिकारियों के साथ संपर्क रखें एवं उनका मार्गदर्शन करते रहें । सबसे पहले उन योजनाओं का कार्यांवयन करें, जहां शीघ्र और महसूस होने वाले परिणाम प्राप्त हो सके । यदि आप दो-तीन ऐसे प्रोजेक्ट पर पहले 100 दिन में कार्य निष्पादन कर लेते हैं तो आपके मंत्रालय एवं आपकी नेतृत्व क्षमता देश को प्रभावित करेगी ।

परिवर्तन की दूसरी लहर के मंत्रालय को नया स्वरूप देने के लिए रणनीति, कार्यप्रणाली तकनीक की विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग और कौशल में वृद्धि से संबंधित होगी। इस स्टेज पर आपके मंत्रालय का वास्तविक प्रभाव एवं जनमानस को जीवन में परिवर्तन दिखाई देगा जो आपके लाभार्थी वर्ग का विस्तार करेगा। लेकिन इससे पूर्व पहली लहर में 100 दिवसों में शुरुआती जीत प्राप्त करना आवश्यक है ।

二)अपनी ए आइटम प्राथमिकताएं निर्धारित करें

आप अपने मंत्रालय की ए आइटम प्राथमिकताओं का चयन किस प्रकार करते हैं? कभी-कभी आपके पास कोई विकल्प नहीं होता क्योंकि पीएमओ अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित कर देता है। लेकिन आपको हार स्वीकार न करके उनसे अपनी प्राथमिकताओं और उनसे होने वाले प्रभाव के बारे में अपने बॉस प्रधानमंत्री कार्यालय से चर्चा करके सहमति बनाने का प्रयास करना चाहिए ।

ए आइटम है प्राथमिकताएं आपके विभाग की मूल योजनाएं या pain points है जो अगले 100 दिन के अंदर आपके मंत्रालय के प्रभाव में नाटकीय परिणाम दिखाने के अवसर है । कुछ उदाहरण हो सकते हैं रेल मंत्रालय द्वारा नए रूट पर 10 स्लीपर युक्त वंदे भारत ट्रेन की सौगात, मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा त्रुटि रहित परीक्षा संचालन करने के लिए एनटीए में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग, गृह मंत्रालय द्वारा भारत म्यांमार सीमा पर घुसपैठ रोकने के लिए 100 किलोमीटर तक सीमा पर कंटीले तार एवं इलेक्ट्रिक सर्विलेंस शुरू करना, कृषि मंत्रालय द्वारा सब्जी व फल संरक्षण के लिए कोल्ड स्टोरेज तथा वातानुकुलित परिवहन प्रणाली लागू करना । इसी प्रकार प्रत्येक मंत्रालय दो-तीन अनूठी कार्य योजनाएं 100 दिन में लागू करके मोदी 3.0 के प्रभाव में तुरंत वृद्धि कर सकता है जिसका आगामी प्रदेश चुनावों में व्यापक लाभ मिलेगा ।

三)प्रारंभिक विजय सुनिश्चित करें

अपनी ए आईटम प्राथमिकताएं बनाने के साथ आप विस्तृत कार्ययोजनाएं बनाएं कि पहले 100 दिन की शुरुआती जीत और उसके बाद सतत प्रभाव वाली योजनाएं कैसे लागू करेंगे ।

दो चरणों की रणनीति की अंतर्गत पहले 30 दिन में कार्य योजनाओं का चयन एवं विस्तृत विचार- विमर्श आपकी विश्वसनीयता एवं नवोन्मेष नेतृत्व के प्रति आस्था का निर्माण करेंगा । बाद के 60 दिनों में प्रारंभिक परिणामों एवं इनके प्रचार पर ध्यान केंद्रित करना अभीष्ट होगा ।

四)आप अपने पहले 100 दिनों में अपने मंत्रालय का व्यापक प्रभाव उत्पन्न नहीं कर सकते क्योंकि इसके लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होगी लेकिन आप छोटी-छोटी जीत हासिल करके अपने कार्य क्षमता का परिचय दे सकते हैं और संकेत दे सकते हैं की चीजें बदल रही है और आपकी सरकार इलेक्शन मेनिफेस्टो के वादे पूरे करने के लिए कटिबद्ध है । इन 100 दिनों में आपका उद्देश्य शुरुआती चरण में मोदी 3.0 की विश्वसनीयता को बढ़ाना और वादे पूरे करने के संकल्प को जनता तक पहुंचना है ।

आपकी शुरुआती कामों का इस बात पर अत्यधिक प्रभाव पड़ेगा कि देश के लोग और आपके मंत्री परिषद के सहयोगी आपको किसी नजर से देखते हैं। इस बात पर विचार करें कि आप अपने मंत्रालय से कैसे जुड़ेंगे और फिर कैसे उसके प्रभाव क्षेत्र में विस्तार करेंगे । आपके देश के विकास के विषय में क्या विचार है और पहले 100 दिनों में आप क्या संदेश देना चाहते हैं? उन संदेशों को जनता तक पहुंचाने के क्या अच्छे माध्यम है ‌- मीडिया, व्यक्तिगत संपर्क, पायलट प्रोजेक्ट? अपने मुख्य लाभार्थियों की पहचान करें और उनको योजना में सम्मिलित किए जाने की सूचना दें ।

आपकी विश्वसनीयता या उसकी कमी इस बात पर निर्भर करेंगे कि लोग निम्न लिखित प्रश्नों पर क्या प्रतिक्रियाएं देते हैं :

क्या आपके पास कठिन निर्णय लेने के लिए साहस और अंतर दृष्टि है?

क्या आपके पास वे जीवन मूल्य है जिनकी प्रशंसा करते हैं और जिनका वे अनुकरण करना चाहते हैं”

क्या ऊर्जावान एवं आशावादी है ?

क्या आप अपने से और अपनी टीम से उच्च स्तर के कार्य निष्पादन, गलतियों से सीखना और जमीनी स्तर पर जुड़ने की अपेक्षा रखते हैं ?

आपका लाभार्थी वर्ग और वृहत समाज 100 दिनों के आंकड़े के आधार पर अपनी राय बताएंगे कि आपके शुरुआती काम उन्हें लाभ पहुंचाएंगे या हवा हवाई रहेंगे । याद रखिए आपके पहले 100 दिन आपके और आपकी सरकार के अगले 5 वर्ष के कार्यकाल में बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं । चलिए इस महत्वपूर्ण विकास यात्रा पर पहला पग आरंभ करें ।

(राजीव आर शर्मा, प्रोफेसर, स्ट्रेटेजिक लीडरशिप, आईआईटी, गांधीनगर और डॉ मनोरंजन शर्मा, मुख्य अर्थशास्त्री, इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स द्वारा लिखित)