'नये ढांचे के खिलाफ नहीं... लेकिन देशहित में हो फैसला', थिएटर मॉडल पर बोले वायुसेना प्रमुख एपी सिंह
वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने सेना के थिएटर संबंधी योजना पर कहा कि फैसला राष्ट्रीय हित में होगा। उन्होंने ड्रोन के इस्तेमाल के लिए संयुक्त ढांचा बनाने की वकालत की और 'ऑपरेशन सिंदूर' को सेनाओं के तालमेल का उदाहरण बताया। सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने साझा रक्षा नवाचार को सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया। सरकार थिएटर मॉडल के तहत तीनों सेनाओं को एकीकृत करना चाहती है।

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने सेना के लिए प्रस्तावित थिएटर संबंधी योजना पर मंगलवार को कहा कि तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के लिए एक नया ढांचा बनाने का कोई भी फैसला राष्ट्रीय हित में होगा और इस पर विचार-विमर्श चल रहा है।
एक संवाद सत्र में एयर चीफ मार्शल ने ड्रोन के इस्तेमाल से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए तीनों सेनाओं, अर्धसैनिक बलों और कुछ नागरिक संस्थाओं को मिलाकर एक संयुक्त ढांचा बनाने की भी वकालत की। उन्होंने इस धारणा को भी खारिज किया कि भारतीय वायुसेना (आइएएफ) सुधार पहल का विरोध कर रही है और सुझाव दिया कि नए सुधार उपाय को सावधानीपूर्वक चर्चा और विश्लेषण के बाद आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
सेनाओं में तालमेल पर जोर
'भारत शक्ति' द्वारा आयोजित भारत रक्षा सम्मेलन में उन्होंने कहा, 'मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें एक और ढांचे की जरूरत नहीं है। हमें एक और संयुक्त ढांचे की जरूरत हो सकती है। लेकिन मेरा मानना है कि हम कहीं और मौजूद कुछ संरचनाओं पर भरोसा न करें और यह न कहें कि यह हमारे लिए उपयुक्त होगा।'
एयर चीफ मार्शल ¨सह से इस धारणा के बारे में पूछा गया कि भारतीय वायुसेना, खासकर आपरेशन ¨सदूर के बाद, थिएटर गठित करने की योजना का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा, ''आइए देखें कि आज हमारे पास क्या है, हम कहां चूक गए या क्या हम चूके। अगर नहीं, तो हमने क्या अच्छा किया। आइए इसे और अधिक औपचारिक रूप दें।''
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि 'आपरेशन ¨सदूर' तीनों सेनाओं के तालमेल का प्रति¨बब था क्योंकि तीनों सेनाएं एक टीम के रूप में काम कर रही थीं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि थिएटर माडल पर निर्णय राष्ट्र पहले के ²ष्टिकोण पर आधारित होगा। उन्होंने कहा कि आखिरकार जो भी फैसला लिया जाएगा, वह देशहित में होगा।
क्या है थिएटर माडल?
थिएटर माडल' के तहत, सरकार थलसेना, वायुसेना और नौसेना की क्षमताओं को एकीकृत करना चाहती है और युद्धों तथा अभियानों के लिए उनके संसाधनों का बेहतर उपयोग करना चाहती है। योजना के अनुसार, प्रत्येक थिएटर कमांड में थलसेना, नौसेना और वायुसेना की इकाइयां होंगी और ये सभी एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए एक इकाई के रूप में काम करेंगी। वर्तमान में थलसेना, नौसेना और वायुसेना की अलग-अलग कमान हैं।
जटिल खतरों के कारण कोई भी राष्ट्र अकेले सुरक्षित नहीं रह सकता
सेना प्रमुख थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि जटिल खतरों से भरी दुनिया में कोई भी देश अकेले सुरक्षित नहीं है और साझा रक्षा नवाचार ही सबसे मजबूत ढाल है। भारत रक्षा सम्मेलन 2025 में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत की ढाई मोर्चों की चुनौती और आपरेशन सिंदूर के बाद का सशक्तिकरण सशस्त्र बलों को क्रमिक विकास और सेना में शामिल होने के लिए अधिक लचीलापन दे रहा है।
वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, रक्षा विशेषज्ञों, उद्योग प्रतिनिधियों और अन्य लोगों की एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने युद्ध की बदलती प्रकृति और क्षमताओं के निर्माण, रक्षा अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में निवेश और उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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