कौड़ियों के भाव बिकी 1800 करोड़ की जमीन, स्टांप ड्यूटी भी माफ; कैसे विवादों में घिरे अजित पवार के बेटे?
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़े जमीन सौदे पर विवाद हो रहा है। आरोप है कि पार्थ की कंपनी ने पुणे में दलितों के लिए आरक्षित 1804 करोड़ की जमीन को सिर्फ 300 करोड़ में खरीदा। विपक्ष का आरोप है कि मंत्री का बेटा होने के कारण पार्थ को अनुचित लाभ मिला। मामले की जांच पुलिस कर रही है और राहुल गांधी ने भी सरकार पर निशाना साधा है।

भाजपा की अपनी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से भी मतभेद शुरू (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़े जमीन सौदे पर विवाद खड़ा हो गया है। इस एक घटना से जहां महाराष्ट्र में विपक्ष सत्तारुढ़ सरकार पर हमलावर है, वहीं भाजपा की अपनी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से भी मतभेद शुरू हो गए हैं।
मामला पुणे की सरकारी जमीन से जुड़ा है, जो दलितों के लिए आरक्षित है। पार्थ पवार के स्वामित्व वाली कंपनी अमेडिया होल्डिंग्स एलएलपी, जिसमें अजित पवार के भतीजे दिग्विजय पाटिल साझेदार है, पर जमीन घोटाले का आरोप लगा। आरोप ये भी है कि मंत्री का बेटा होने के कारण पार्थ पवार को अनुचित लाभ मिला।
पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में है जमीन
40 एकड़ की यह जमीन पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में है। इसका मार्केट रेट करीब 1804 करोड़ रुपये है, लेकिन पार्थ पवार की कंपनी ने इसे महज 300 करोड़ रुपये में खरीदा। डेटा सेंटर बनाने के नाम पर ली गई इस जमीन पर केवल 500 रुपये बतौर स्टांप ड्यूटी चुकाए गए। जिस जमीन का कौड़ियों के भाव सौदा हुआ, वह अनुसूचित जाति के महार समुदाय के लिए आरक्षित 'वतन' श्रेणी में आती थी।
बॉम्बे अवर ग्राम वतन उन्मूलन अधिनियम, 1958 के तहत ऐसी जमीन सरकार की अनुमति के बिना नहीं बेची जा सकती। शिवसेना (यूबीटी) का आरोप है कि पार्थ पवार की कंपनी अमेडिया की पूंजी महज 1 लाख रुपये हैं, ऐसे में अनुभव की कमी के बावजूद इसे आईटी पार्क और डेटा सेंटर बनाने की मंजूरी कैसे मिल गई।
विपक्ष के निशाने पर सरकार
इस बीच पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने बावधन पुलिस स्टेशन से जांच का जिम्मा संभाल लिया है। एफआइआर में पुणे शहर के तहसीलदार सूर्यकांत येओले, धनंजय पाटिल, शीतल तेजवानी सहित नौ लोगों के नाम शामिल हैं। पुणे पुलिस प्रमुख अमितेश कुमार के अनुसार एक प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। हालांकि उन्होंने जांच पर कोई टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। यह एफआइआर पुणे के संयुक्त जिला रजिस्ट्रार संतोष हिंगाने ने दर्ज कराई थी।
संबंधित घटनाक्रम में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने महायुति पर 'वोट चोरी' के जरिये सरकार बनाने के बाद 'जमीन चोरी' में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया है। दूसरी ओर इस मुद्दे की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति का विस्तार कर इसे छह सदस्यों तक कर दिया गया है।

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