अल फलाह यूनिवर्सिटी का आतंकी कनेक्शन, दिल्ली ब्लास्ट से पहले भी आ चुका है सीरियल धमाकों में नाम
अल फलाह यूनिवर्सिटी एक बार फिर आतंकी कनेक्शन के आरोपों से घिरी है। दिल्ली ब्लास्ट से पहले भी इस यूनिवर्सिटी का नाम कई सीरियल धमाकों में सामने आ चुका है, जिससे इसकी भूमिका संदिग्ध हो गई है। जांच एजेंसियां यूनिवर्सिटी पर कड़ी निगाह रख रही हैं और गहन जांच कर रही हैं।

अल फलाह यूनिवर्सिटी। (फाइल)
जागरण टीम, नई दिल्ली: लाल किले के बाहर आतंकी धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, जांच एजेंसियों को नई जानकारियां मिल रही हैं। 10 नवंबर को हुए धमाकों को पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े फरीदाबाद-सहारनपुर के जिस डॉक्टर मॉड्यूल ने अंजाम दिया, उनमें कई फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े थे।
आतंकी शादाब बेग के अल फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र होने की जानकारी मिलने से साफ हो गया है कि यह संस्थान पिछले 17 वर्षों से पढ़ाई से हटकर आतंकी तैयार कर रहा था। अब यह जानकारी सामने आई है कि साल 2008 में दिल्ली में हुए सिलसिलेवार धमाकों में भी अल फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज का नाम आया था।
दरअसल, इन धमाकों में शामिल एक आतंकी मिर्जा शादाब बेग अल फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज का ही छात्र था। यह इंजीनियरिंग कॉलेज 2014 में अल फलाह विश्वविद्यालय बन गया। तब धमाकों में करीब 30 लोगों की मौत हुई थी। शादाब बेग का नाम अहमदाबाद में भी उसी वर्ष हुए धमाकों में आया था। वह इंडियन मुजाहिद्दीन का सक्रिय आतंकी था, जो धमाकों के बाद पाकिस्तान भाग गया था।
आजमगढ़ के बारीडी गांव का था रहने वाला
शादाब बेग आजमगढ़ के बारीडी गांव का रहने वाला था। गांव के स्कूल में नौवीं कक्षा में फेल हो जाने के बाद आजमगढ़ रेलवे स्टेशन के पास स्थित चिल्ड्रेन स्कूल से 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी। उसके बाद उसने अल फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया। तब वह इंडियन मुजाहिद्दीन आतंकी संगठन से जुड़ गया था। 2007 तक उसने यहां पढ़ाई की थी।
दिल्ली सहित देशभर में कई आतंकी वारदात को अंजाम देने के बाद वह पाकिस्तान भाग गया। तब से अब तक उसके पाकिस्तान में ही होने की बात कही जा रही है। एनआइए को शादाब बेग के अल फलाह इंजीनियरिंग कालेज का एक पहचान पत्र मिला है।
आइएम के लिए विस्फोटक विशेषज्ञ के रूप में करता था काम
लखनऊ ब्यूरो के मुताबिक, वर्ष 2008 में जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट समेत अन्य आतंकी वारदात में शामिल रहा बेग आइएम के लिए विस्फोटक विशेषज्ञ के रूप में काम करता था। वर्ष 2007 के गोरखपुर सीरियल बम धमाकों में बेग का नाम सामने आने के बाद यूपी पुलिस ने उसकी संपत्तियां भी जब्त की थीं। बेग को आखिरी बार वर्ष 2019 में अफगानिस्तान में देखा गया था।
फरीदाबाद से पकड़ा गए डॉ. मुजम्मिल के भी आतंकी प्रशिक्षण के लिए अफगानिस्तान जाने की बात सामने आई थी। संदेह है कि अफगानिस्तान में बैठे आतंकी कई माड्यूल को समर्थन कर रहे हैं।
कालिंदी कुंज में भी है विश्वविद्यालय की जमीन
जांच में कालिंदी कुंज थाने के पास राजनगर में चारदीवारी से घिरी चार एकड़ जमीन का पता चला है, जो अल फलाह यूनिवर्सिटी की सीक्रेट पार्किंग बताई जा रही है। इसके गेट पर पहले अल-फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद लिखा था, जिसे ब्लास्ट के बाद पेंट कर ढक दिया गया। 18 नवंबर को ईडी ने यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है।
जांच में पता चला कि जवाद अहमद के नाम पर नौ फर्जी कंपनियां भी बनी थीं। इन कंपनियों के पते खोजते हुए टीम जब जेजे कालोनी, कालिंदी कुंज पहुंची तो उस पते पर तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन पाया गया। वहां यूनिवर्सिटी की गाड़ियां आती जाती थीं। वहां के केयरटेकर ने बताया कि वह जगह तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन के नाम से रजिस्टर्ड है, जो जवाद अहमद का फाउंडेशन है।

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