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    'मोदी जी खुद अपने खिलाफ बिल लाए... PM-CM की बर्खास्तगी वाले विधेयक पर बोले शाह; विपक्ष पर कसा तंज

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान (130वां संशोधन) बिल 2025 जरूर पास होगा। बिल में प्रस्ताव है कि अगर कोई मंत्री गंभीर अपराध में 30 दिन तक हिरासत में रहता है तो उसे पद से हटना होगा। शाह ने कहा कि यह बिल संवैधानिक नैतिकता के लिए है और सभी नेताओं पर समान रूप से लागू होगा।

    By Digital Desk Edited By: Chandan Kumar Updated: Mon, 25 Aug 2025 11:14 AM (IST)
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    अमित शाह ने कहा कि विधेयक किसी खास पार्टी या नेता को निशाना बनाने के लिए नहीं है। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि संविधान (130वां संशोधन) बिल, 2025 जरूर पास होगा, भले ही विपक्ष इसका तीखा विरोध कर रहा हो।

    इस बिल में प्रस्ताव है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर अपराध के तहत 30 दिन तक लगातार हिरासत में रहता है, जिसकी सजा पांच साल या उससे ज्यादा हो तो उसे अपने पद से हटना होगा।

    शाह ने कहा कि यह बिल "संवैधानिक नैतिकता" और जनता के भरोसे को बनाए रखने के लिए है। ये सत्ताधारी पार्टी सहित सभी नेताओं पर समान रूप से लागू होगा।

    अमित शाह ने बिल का बचाव करते हुए कहा कि यह किसी खास पार्टी या नेता को निशाना बनाने के लिए नहीं है।

    उन्होंने विश्वास जताया कि कांग्रेस और विपक्ष के कई लोग "नैतिकता का समर्थन" करेंगे और इस बिल को पास करने में साथ देंगे। बिल को विस्तृत जांच के लिए 31 सदस्यों वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया है, जो इस पर सुझाव देगी।

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    'नैतिकता की जीत होगी'

    अमित शाह ने कहा, "मुझे पूरा यकीन है कि यह बिल पास होगा। कांग्रेस और विपक्ष में कई लोग नैतिकता का समर्थन करेंगे और नैतिक आधार बनाए रखेंगे।"

    उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री ने खुद इस बिल में पीएम के पद को शामिल किया है। पहले इंदिरा गांधी ने 39वां संशोधन लाकर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और स्पीकर को अदालती जांच से बचाया था। लेकिन नरेंद्र मोदी जी ने अपने खिलाफ संवैधानिक संशोधन लाया है कि अगर प्रधानमंत्री जेल जाता है, तो उसे इस्तीफा देना होगा।"

    अमित शाह ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज किया कि सरकार इस बिल के जरिए गैर-भाजपा सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि अदालतें इस बिल के दुरुपयोग को रोकेंगी।

    केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, "हमारी अदालतें कानून की गंभीरता को समझती हैं। जब 30 दिन बाद इस्तीफा देना हो, तो उससे पहले अदालत यह तय करेगी कि व्यक्ति को जमानत मिलनी चाहिए या नहीं। जब अरविंद केजरीवाल का मामला हाई कोर्ट में गया, तो कहा गया कि नैतिक आधार पर उन्हें इस्तीफा देना चाहिए, लेकिन मौजूदा कानून में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।"

    मेरी पार्टी और देश के प्रधानमंत्री का मानना है कि कोई मुख्यमंत्री, मंत्री या प्रधानमंत्री जेल में रहकर सरकार नहीं चला सकता... जब संविधान बनाया गया था, तब संविधान निर्माताओं ने ऐसी बेशर्मी की कल्पना नहीं की होगी कि कोई मुख्यमंत्री जेल में रहे और जेल से ही मुख्यमंत्री बने रहे।

    अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री

    'किसी को निशाना नहीं बनाया'

    विपक्ष के तीखे हमलों पर शाह ने साफ किया कि यह बिल किसी खास पार्टी या नेता के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा, "कोई भी अदालत में जाकर एफआईआर दर्ज करने का आदेश मांग सकता है। यूपीए सरकार के दौरान कई जांचें अदालत के आदेश पर शुरू हुई थीं। मैं कम से कम 12 ऐसे मामले बता सकता हूं जहां अदालत ने सीबीआई को जांच का निर्देश दिया था।"

    आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का जिक्र करते हुए शाह ने कहा, "उन्हें 30 दिन के अंदर जमानत मिल गई थी और मेरा मानना है कि उन्हें उस वक्त इस्तीफा दे देना चाहिए था। जब लोगों ने उनका विरोध किया, तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया। अब उन्हें कानूनन इस्तीफा देना होगा।"

    शाह ने यह भी साफ किया कि बिल निष्पक्ष है। अगर कोई नेता 30 दिन बाद भी जमानत हासिल कर लेता है, तो वह शपथ लेकर अपने पद पर वापस आ सकता है।

    हम तो विपक्ष को मौका दे रहे हैं: अमित शाह

    तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के जेपीसी का बहिष्कार करने पर शाह ने कहा कि सरकार ने उन्हें शामिल होने का पूरा मौका दिया है।

    उन्होंने कहा, "हम क्या कर सकते हैं? हम उन्हें शामिल होने और हिस्सा लेने के लिए कह रहे हैं। संसद के नियमों को ठुकराकर यह उम्मीद करना ठीक नहीं कि सब कुछ उनकी शर्तों पर होगा। सरकार उन्हें मौका दे रही है, लेकिन अगर वे इसे स्वीकार नहीं करते, तो हम और क्या कर सकते हैं? अगर वे जेपीसी में शामिल नहीं होते, तो हम क्या करें?"

    शाह ने जोर देकर कहा कि जेपीसी अहम है और इसमें सभी दलों की राय शामिल होनी चाहिए। शाह ने कहा, "यह एक महत्वपूर्ण बिल है और जेपीसी में हर दल की राय सुनी जानी चाहिए। अगर विपक्ष अगले चार साल तक इस बिल का समर्थन नहीं करता, तो क्या देश का काम रुक जाएगा? ऐसा नहीं होगा। हम उन्हें अपनी राय देने का मौका दे रहे हैं और अगर वे ऐसा नहीं करते, तो जनता सब देख रही है।"

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