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    असम में लोगों को हथियार बांट रही सरकार? CM हिमंता का दावा- जान बचाने के लिए ये कदम जरूरी; बताया क्यों लिया फैसला

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 10:31 AM (IST)

    असम सरकार द्वारा मूल निवासियों को हथियार लाइसेंस देने के फैसले की आलोचना हो रही है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि उचित जांच और मूल्यांकन के बाद ही हथियार देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि मूल निवासियों के लिए भूमि अधिकार भी सुनिश्चित किए जाने चाहिए। विपक्ष ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है।

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    मूल निवासियों को हथियार लाइसेंस देने पर CM सरमा का बयान। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मूल निवासियों को हथियार लाइसेंस देने के फैसले को लेकर असम के हिमंत सरकार की खूब आलोचना हो रही है। इन आलोचनाओं के बीच सीएम सरमा ने सरकार के इस फैसले की वकालत की है। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि पहले उचित जांच और मूल्यांकन किया जाएगा। उसके बाद ही हथियार देने की कावयद शुरू की जाएगी।

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    दरअसल, रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए सीएम हिमंत सरमा ने ये बातें कहीं। सीएम ने कहा कि हथियार लाइसेंस के साथ-साथ मूल निवासियों के लिए भूमि अधिकार भी सुनिश्चित किए जाने चाहिए।

    हथियार नीति पर क्या बोले सीएम सरमा?

    जानकारी दें कि बक्सा में एक कार्यक्रम में हिसा लेने पहुंचे सीएम हिमंत बिस्वा सरमा से जब हथियार नीति को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि बंदूकें जरूरी हैं। अगर आपके पास बंदूक नहीं है, तो आप दक्षिण सलमारा-मनकाचर और बागबार में कैसे रहेंगे? अगर आप वहां जाएंगे, तो आपको समझ आ जाएगा।

    सीएम सरमा ने दावा किया कि इसके आसपास 20,000-25,000 लोग रहते हैं, और उनके बीच एक 'सत्र' (वैष्णव शिक्षा का केंद्र) में 100 लोग रह रहे हैं। उन्हें किसी चीज की जरूरत होगी। सरमा ने कहा कि बंदूक के लाइसेंस उचित मूल्यांकन और सत्यापन के बाद ही दिए जाएंगे।

    'कानून के दायरे में होना चाहिए हर काम'

    सीएम सरमा ने आगे कहा कि बंदूकें जरूरी हैं, जमीन ज़रूरी है, अधिकार जरूरी हैं। लेकिन सब कुछ क़ानून के दायरे में होना चाहिए, बाहर नहीं।

    जानकारी दें कि राज्य मंत्रिमंडल ने 29 मई को एक बड़ा फैसला लिया था। इस फैसले में कहा गया कि सरकार असुरक्षित और दूरदराज इलाकों में रहने वाले मूल निवासियों को सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए हथियार लाइसेंस देगी।

    बता दें कि सीएम सरमा ने धुबरी, मोरीगांव, बारपेटा, नागांव और दक्षिण सलमारा-मनकाचर जिलों, और रूपाही, ढिंग और जोनिया जैसे इलाकों को असुरक्षित और दूरदराज के इलाकों के रूप में चिन्हित किया था। इन सभी इलाकों में बंगाली भाषी मुसलमानों का बोलबाला है।

    'विपक्ष ने कहा शांति को होगा खतरा'

    राज्य सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है। विपक्ष का दावा है कि इस फैसले का उद्देश्य लोगों का ध्रुवीकरण करना है और इससे राज्य की मुश्किल से हासिल की गई शांति को खतरा हो सकता है।

    बताया जाता है कि बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर), जहां बक्सा स्थित है, में संभावित बेदखली अभियानों के बारे में पूछे जाने पर, सरमा ने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र के मूल निवासियों को अभी तक अपनी ज़मीन के मालिकाना हक के दस्तावेज नहीं मिले हैं। (इनपुट पीटीआई के साथ)

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