Sim Binding: वॉट्सऐप, टेलीग्राम और सिग्नल यूज करने वालों के लिए बड़ी खबर, सिम-बाइंडिंग नियम से कितना असर?
वॉट्सऐप, टेलीग्राम और सिग्नल इस्तेमाल करने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर है। सरकार सिम-बाइंडिंग का नया नियम लाने की तैयारी में है। इस नियम के लागू हो ...और पढ़ें

सिम बाइंड।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नवंबर, 2025 के आखिर हफ्ते में केंद्र सरकार ने ऐप-आधारित मैसेजिंग और कॉलिंग सेवाओं (जैसे वॉट्सऐप, टेलीग्राम, सिग्नल आदि) को भारतीय सिम से बाइंड करने की अनिवार्यता लागू की गई है। सरकार का तर्क है कि इससे साइबर फ्राड व अन्य आर्थिक अपराध को रोकने में मदद मिलेगी।
लेकिन इस बारे में सोशल मीडिया व तकनीकी से जुड़े प्लेटफार्म पर यह बात फैलाई जा रही है कि इससे आम ग्राहकों की निजता भंग होगी और उनकी हर मोबाइल एक्टिविटी की जानकारी तीसरे पक्ष को दी जा सकेगी। इस मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों के संगंठन सेलुलर ऑपरेटर्स (सीओएआइ) ने इस तरह की बातों को अफवाह बताया है और सिम बाइंडिंग को राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के हित में जरूरी कदम बताया है।
बुधवार को सीओएआइ की तरफ से इस बारे में एक विस्तृत सूचना जारी कर आम आदमी को इस तरह के अफवाहों पर ध्यान नहीं देने और निर्धारित अवधि 26 फरवरी, 2026 तक सभी एप आधारित मैसेजिंग सिस्टम को सिम के साथ संबंधित करने का आग्रह किया है। सीओएआइ ने मोबाइल कंपनियों की तरफ से यह भी दावा किया है कि, “सिम बाइंडिंग से विदेश यात्रियों को कोई परेशानी नहीं होगी।''
जिस तरह यूपीआई, बैंकिंग ऐप्स और पेमेंट वॉलेट में सिम केवल डिवाइस में मौजूद और एक्टिव रहना चाहिए (मोबाइल डेटा की जरूरत नहीं), ठीक उसी मॉडल को यहां लागू किया जा रहा है। विदेश में रहने वाला भारतीय नागरिक वाई-फाई या विदेशी सिम से ऐप इस्तेमाल करता रहेगा, बस उसका भारतीय सिम सेकंडरी स्लॉट में लगा रहना चाहिए।
सिंगल-सिम फोन वालों के लिए यह जानबूझकर रखी गई सुरक्षा व्यवस्था है ताकि देश के बाहर से फर्जी अकाउंट बनाकर धोखाधड़ी, स्कैम कॉल्स और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियां न की जा सकें। सीओएआइ ने यह भी कहा है कि विदेश से कोई व्यक्ति भारतीय नंबर पर मैसेज या कॉल कर सकेगा, लेकिन प्राप्तकर्ता का अकाउंट भारतीय सिम से बंधा रहेगा। इससे भारतीय यूजर की सुरक्षा बढ़ेगी, जबकि भेजने वाले पर उसके देश के नियम लागू होंगे।
समय-समय पर री-ऑथेंटिकेशन (हर 6 घंटे में लॉगआउट) की बात पर इसने यह कहा है कि बैंकिंग, डिजिलॉकर, आधार और वीपीएन जैसे संवेदनशील प्लेटफॉर्म में इससे कहीं सख्त नियम पहले से हैं। फोन में 'क्रिप्टोग्राफिक की' होने की वजह से ऑटो लॉगिन रहता है, जबकि लैपटॉप या ब्राउजर पर 6 घंटे में एक बार ओटीपी आना कोई बड़ी असुविधा नहीं, क्योंकि ज्यादातर यूजर के पास अपना फोन पास ही होता है।
प्राइवेसी पर उठाए सवालों को कोई ने खारिज करते हुए कहा कि सिम बाइंडिंग से कोई नया डेटा कलेक्शन या मेटाडेटा नहीं बनेगा।

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