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    बंगाल में एसआइआर को लेकर बीएलओ को मिल रहीं धमकियां, पत्र लिख केंद्रीय बलों की सुरक्षा की मांग की

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 02:58 AM (IST)

     बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हुई और इस काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को धमकियां मिलनी शुरू हो गई हैं। बीएलओ के एक वर्ग ने इलेक्टोरल वर्कर्स यूनिटी फोरम के बैनर तले बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) मनोज अग्रवाल को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की है। 

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    बंगाल में एसआइआर को लेकर बीएलओ को मिल रहीं धमकियां (सांकेतिक तस्वीर)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हुई और इस काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को धमकियां मिलनी शुरू हो गई हैं। बीएलओ के एक वर्ग ने इलेक्टोरल वर्कर्स यूनिटी फोरम के बैनर तले बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) मनोज अग्रवाल को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की है।

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    फर्जी लोगों के नाम शामिल कराने के लिए धमकाया जा रहा

    उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में फर्जी लोगों के नाम शामिल कराने के लिए उन्हें धमकाया जा रहा है। बीएलओ ने सीईओ से एसआइआर के काम के लिए उन्हें केंद्रीय बलों की सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।

    मालूम हो कि बीएलओ का काम घर-घर जाकर लोगों को एसआइआर के तहत मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के लिए भरने को फार्म देना है।

    बंदूक दिखाकर धमकाए जाने की शिकायत दर्ज

    एक बीएलओ ने कहा कि कुछ लोगों ने उन्हें धमकाते हुए कहा है कि उनके पास आधार कार्ड हैं। उसी के आधार पर उनका नाम नई मतदाता सूची में शामिल करना होगा। कुछ बीएलओ ने बंदूक दिखाकर धमकाए जाने तो कुछ ने पैसों का लालच दिए जाने की बात कही है।

    सीईओ सूत्रों से पता चला है कि कोलकाता के कसबा, गुलशन कालोनी व खिदिरपुर जैसे इलाकों से बीएलओ को धमकियां मिल रही हैं। इस बारे में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री व बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा-हमने पहले ही इसकी आशंका जता दी थी।

    धमकियों ने बीएलओ की चिंता बढ़ा दी है

    मालूम हो कि चुनाव आयोग ने कड़े शब्दों में कहा है कि मतदाता सूची में एक भी फर्जी नाम शामिल होने पर उक्त काम से संबंधित बीएलओ के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में इस तरह की धमकियों ने बीएलओ की चिंता बढ़ा दी है।

    बंगाल में मतदाता सूची में पाकिस्तानी नागरिक का नाम शामिल होने का आरोप

    बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में एक पाकिस्तानी नागरिक का नाम शामिल होने का आरोप सामने आया है।

    बैरकपुर के पूर्व सांसद व भाजपा नेता अर्जुन सिंह ने दावा किया है कि नैहाटी विधानसभा क्षेत्र के एटी घोष लेन की निवासी सलेया खातून पाकिस्तान के कराची की रहने वाली है। वहीं उसका जन्म हुआ था।

    सवाल उठाया कि एक विदेशी महिला का नाम कैसे मतदाता सूची में आ सकता है। अर्जुन सिंह ने दावा किया कि उन्होंने ईमेल के जरिए सलेया खातून की पाकिस्तानी नागरिकता से जुड़े दस्तावेज चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय को भेज दिए हैं।

    उनका कहना है कि आरोपित महिला को तुरंत गिरफ्तार कर वापस भेजा जाना चाहिए। नैहाटी के तृणमूल विधायक सनत दे ने स्वीकार किया कि सलेया पाकिस्तान की निवासी है। कहा कि चुनाव आयोग को इसकी जांच करनी चाहिए।

    सलेया के पति मोहम्मद इमरान ने मीडिया के समक्ष स्वीकार किया कि उनकी पत्नी पाकिस्तानी नागरिक है। बताया कि 1991 में कराची से यहां आई थी और उसका नाम 2008 से पहले मतदाता सूची में है। हाल में उसका पासपोर्ट रद कर दिया गया है। परिवार ने प्रशासन से मानवीय आधार पर सलेया को वैध पासपोर्ट देने की मांग की है।

    आयोग के पोर्टल पर अपलोड हुए बंगाल के 3.48 करोड़ मतदाताओं के नाम

    बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की प्रक्रिया शुरू होने से पहले चुनाव आयोग के वेब पोर्टल पर 3.48 करोड़ मतदाताओं के नाम अपलोड किए जा चुके हैं। बंगाल में 2002 में हुए एसआइआर के आंकड़ों से मिलान करके लोगों के नाम वेब पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं। यह राज्य के कुल मतदाताओं का 44.7 प्रतिशत है।

    2025 की मतदाता सूची के अनुसार बंगाल में मतदाताओं की कुल संख्या 7.62 करोड़ है। मानचित्रण (मैपिंग) के आधार पर इनके नाम वेबसाइट पर अपलोड किए गए हैं। मालूम हो कि 2002 से 2025 के दौरान बंगाल में मतदाताओं की संख्या में 66 प्रतिशत की असामान्य वृद्धि देखी गई है।

    2002 की सूची में मतदाताओं की संख्या 4.58 करोड़ थी। मतदाताओं की संख्या में अत्यधिक वृद्धि में बूथ स्तरीय अधिकारियों की (बीएलओ) की लापरवाही बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि मतदाता सूची में बड़ी संख्या में मृत मतदाताओं के नाम शामिल हैं।