बजट 2024-25: मध्य वर्ग को न्यू टैक्स रिजीम में मामूली राहत, हर साल 80 लाख नए रोजगार का अनुमान
संसद में 23 जुलाई को इस वर्ष का पूर्ण बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विकसित भारत के इस रोडमैप में नौ प्राथमिकताएं गिनाईं- कृषि उत्पादकता रोजगार और स्किलिंग मानव संसाधन का विकास मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज शहरी विकास ऊर्जा सुरक्षा इन्फ्रास्ट्रक्चर रिसर्च एवं डेवलपमेंट और अगली पीढ़ी के सुधार। आने वाले वर्षों में भी बजट इन्हीं प्राथमिकताओं पर आधारित होंगे।
प्राइम टीम, नई दिल्ली। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट के केंद्र में रोजगार और विकास है। इसमें ज्यादा रोजगार देने वाली मैन्युफैक्चरिंग पर जोर है तो रोजगार से जुड़े तीन इन्सेंटिव भी हैं। संगठित क्षेत्र में भी रोजगार बढ़ाने की कोशिश की गई है। छोटे उद्योगों के लिए घोषित बड़े कदमों से भी रोजगार सृजन में मदद मिलेगी। इन उपायों से हर साल लगभग 80 लाख रोजगार पैदा होने का अनुमान है।
ये कदम भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंड को भुनाने के प्रयास हैं। बजट में न्यू टैक्स रिजीम में करदाताओं को थोड़ी राहत देकर इकोनॉमी में डिमांड बढ़ाने की कोशिश की गई है। देश की लगभग आधी वर्कफोर्स को काम देने वाले कृषि क्षेत्र के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने के कदम घोषित किए गए हैं। शहरी के साथ ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस बढ़ाया गया है। नौ प्राथमिकताओं वाले 48.20 लाख करोड़ रुपये के बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर, रोजगार और कृषि जैसे क्षेत्रों के लिए बड़े आवंटन के बावजूद राजकोषीय घाटा इस वर्ष घटाकर 4.9% और अगले वर्ष 4.5% पर लाने का लक्ष्य है।
संसद में 23 जुलाई को इस वर्ष का पूर्ण बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विकसित भारत के इस रोडमैप में नौ प्राथमिकताएं गिनाईं- कृषि उत्पादकता, रोजगार और स्किलिंग, मानव संसाधन का विकास, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रिसर्च एवं डेवलपमेंट और अगली पीढ़ी के सुधार। आने वाले वर्षों में भी बजट इन्हीं प्राथमिकताओं पर आधारित होंगे। बजट में करीब तीन लाख करोड़ रुपये का आवंटन ऐसी योजनाओं के लिए किया गया है जिनसे बच्चियों और महिलाओं को लाभ मिलेगा।
पीरामल समूह के मुख्य अर्थशास्त्री देबोपम चौधरी कहते हैं, “वित्त मंत्री ने लोक-लुभावन और राजकोषीय मजबूती के बीच अच्छा संतुलन बनाया है। देश की मौजूदा जरूरत इंफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से मजबूत करना, श्रमिकों की उत्पादकता बढ़ाना और सरकार का कर्ज कम करना है। यह नए जमाने का बजट है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च, ग्रामीण क्षेत्र का आर्थिक विकास, युवाओं के लिए रोजगार सृजन और स्वच्छ ऊर्जा की ओर ट्रांजिशन को प्राथमिकता दी गई है।”
प्रत्यक्ष करः न्यू टैक्स रिजीम वालों को फायदा
न्यू टैक्स रिजीम में वेतनभोगी आयकर दाताओं के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये की गई है। इस रिजीम में टैक्स स्लैब में भी बदलाव किए गए हैं। इससे करदाताओं को साल में 17,500 रुपये तक की बचत होगी। ओल्ड टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं है।
बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, “अगर आपको अब भी पुरानी टैक्स व्यवस्था में बने रहने का औचित्य सिद्ध करना है, तो आपको सालाना 4.83 लाख रुपये से ज्यादा की कटौती की जरूरत है।”
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स की दर 15% से बढ़कर 20% हो गई है। लांग टर्म कैपिटल गेन में हर तरह के ऐसेट पर अब 12.5% टैक्स लगेगा। पहले एक लाख रुपये तक कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं लगता था, अब यह 1.25 लाख रुपये हो गया है। स्टार्टअप्स को राहत देते हुए एंजेल टैक्स खत्म किया गया है। विदेशी कंपनियों के लिए भी कॉरपोरेट टैक्स की दर 40% से घटकर 35% हो गई है।
बजट के बाद निवेश की रणनीति पर आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के ईडी और सीआईओ एस. नरेन कहते हैं, “भारतीय बाजारों की वैल्यूएशन काफी ज्यादा है। मार्केट कैप और जीडीपी का अनुपात 140% है जो ऐतिहासिक औसत 89% से काफी अधिक है। जब लिक्विडिटी अधिक हो और वैल्यूएशन भी ज्यादा हो तब सुरक्षा के लिए मार्जिन बहुत कम या बिल्कुल नहीं रह जाता है। इस लिहाज से निवेश रणनीति में सावधानी की जरूरत है।” वे सलाह देते हैं, “इस समय मेगा कैप और लार्ज कैप शेयरों की वैल्यूएशन बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन हम फेयर वैल्यू से बाजार को फेयर वैल्यू से थोड़ा ऊपर की ओर जाते हुए देख रहे हैं। स्मॉल कैप और मिडकैप स्टॉक के लिए हमारा नजरिया सावधानी भरा रहेगा और शेयर विशेष के आधार पर निर्णय लेना उचित होगा।”
रोजगारः हर साल 80 लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद
बजट में शिक्षा, रोजगार और स्किलिंग के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान है। रोजगार से जुड़े इन्सेंटिव के लिए तीन स्कीम घोषित की गई हैं। पहला, सभी औपचारिक क्षेत्र में नई नौकरी पाने वालों को एक माह का वेतन तीन किस्तों में दिया जाएगा। इसकी अधिकतम राशि 15,000 रुपये होगी। इससे 2.1 करोड़ युवाओं को लाभ मिलने का दावा है। दूसरा, मैन्युफक्चरिंग में रोजगार सृजन के लिए ईपीएफओ में पहले चार वर्षों तक कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों के हिस्से की कुछ राशि जमा की जाएगी। इससे करीब 30 लाख युवाओं को फायदा मिलेगा। तीसरा इन्सेंटिव नियोक्ता के लिए है। सरकार नई नियुक्तियों के लिए दो साल तक प्रति माह 3000 रुपये तक की रकम ईपीएफओ में जमा करेगी। सरकार को इससे करीब 50 लाख नई नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। सभी बजट प्रावधानों से हर साल लगभग 80 लाख रोजगार पैदा होने का अनुमान है।
स्किलिंग प्रोग्राम के तहत पांच वर्षों में 20 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए कोर्स का विषय और डिजाइन इंडस्ट्री के साथ मिलकर ही तैयार किया जाएगा। वुमेन हॉस्टल बनाकर वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की योजना है। इसके अलावा मॉडल स्किल लोन को संशोधित कर 7.5 लाख रुपये तक किया गया है जिसमें सरकार कर्ज की गारंटी देगी। हर साल लगभग 25,000 छात्र-छात्राएं इस स्कीम का फायदा उठा सकेंगी। घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के लोन में मदद का प्रस्ताव है। इसमें ब्याज पर 3% छूट मिलेगी।
कृषिः उत्पादकता बढ़ाने के लिए 109 नई किस्में जारी होंगी
कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए रिसर्च पर फोकस किया गया है ताकि फसलों की जलवायु-रोधी किस्में विकसित की जा सकें। कुल 32 फसलों की 109 नई किस्में जारी करने का प्रस्ताव है। तिलहन और दलहन में आत्मनिर्भरता की बात दोहराई गई है। सहकारिता के समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय नीति लाई जाएगी। ज्यादा खपत वाले शहरों के आसपास सब्जियों के उत्पादन के साथ उनकी सप्लाई चेन को मजबूत किया जाएगा। दो वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा। एक और महत्वपूर्ण पहल तीन साल में कृषि डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की है। देश के 400 जिलों में फसलों का डिजिटल सर्वेक्षण होगा। कृषि के लिए कुल आवंटन 2023-24 के संशोधित 1.40 लाख करोड़ की तुलना में 1.52 लाख करोड़ रुपये किया गया है।
उत्पादकता बढ़ाने की पहल का स्वागत करते हुए धानुका समूह के चेयरमैन डॉ.आर.जी. अग्रवाल कहते हैं, “कई विकसित और विकासशील देशों की तुलना में भारतीय कृषि क्षेत्र की प्रति एकड़ उत्पादकता बहुत कम है। इसमें सुधार के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश के साथ एडवांस तकनीक को अपनाना आवश्यक है। 2024-25 के बजट में इन दोनों चिंताओं को दूर करने की कोशिश की गई है। कृषि अनुसंधान व्यवस्था की व्यापक समीक्षा करने और इसके लिए निजी क्षेत्र को शामिल करने का निर्णय सही दिशा में कदम है।”
पूर्वोदयः कम विकसित राज्यों में बढ़ेगी विकास की गति
विकास के मामले में पीछे, देश के पूर्वी राज्यों के लिए पूर्वोदय स्कीम घोषित की गई है। इससे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश विकास के अवसरों को भुना सकेंगे और विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे। अमृतसर-कोलकाता कॉरिडोर में बिहार के गया में इंडस्ट्रियल नोड बनाया जाएगा। बिहार के लिए 26,000 करोड़ और आंध्र प्रदेश के लिए 15,000 करोड़ रुपये की मदद का ऐलान है। आंध्र प्रदेश की पोलावरम सिंचाई परियोजना को भी पूरा किया जाएगा।
स्कीम का महत्व बताते हुए शहर व इंफ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञ शैलेश पाठक कहते हैं, “महाराष्ट्र, तमिलनाडु या गुजरात की आय बिहार की आय से पांच गुना है। उत्तर प्रदेश की आय भारत की औसत आय की आधी है। इसलिए ‘पूर्वोदय’ कार्यक्रम की नितांत आवश्यकता है, जिसमें पूर्वी भारत के गरीब राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।”
एमएसएमई-उद्योगः बिजनेस करना होगा आसान
देश के 6.3 करोड़ एमएसएमई के लिए बजट में कई अहम घोषणाएं हैं। इनमें मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम, कर्ज के लिए असेसमेंट मॉडल में बदलाव, ट्रेड्स स्कीम में टर्नओवर की सीमा घटाना और मुद्रा लोन की तरुण कैटेगरी में कर्ज की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करना शामिल हैं। स्पेशल मेंशन एकाउंट कैटेगरी में जाने वाली एमएसएमई के लिए भी फंड की व्यवस्था का प्रावधान है।
इन घोषणाओं पर फिस्मे के सेक्रेटरी जनरल अनिल भारद्वाज कहते हैं, “बिजनेस अब बिना कोलैटरल या थर्ड पार्टी गारंटी के 100 करोड़ रुपये तक की मशीनरी खरीदने के लिए लोन ले सकेंगे। प्रोजेक्ट असेसमेंट की जटिल प्रक्रिया खत्म होने से बिजनेस इकाइयों के टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन के लिए फंड जुटाना आसान होगा। बैंक कर्ज लेने की असेसमेंट प्रक्रिया में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की भूमिका खत्म करना स्वागतयोग्य बदलाव है। वित्त मंत्री का बैंकों को अपना रिस्क असेसमेंट मॉडल विकसित करने का निर्देश लंबी समय से चली आ रही चिंता दूर करता है। इससे क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के पास जाने के खर्च के बोझ और देरी से भी मुक्ति मिलेगी।”
रिन्यूएबल एनर्जी में क्रिटिकल मिनरल की जरूरत को देखते हुए अलग मिशन शुरू किया जाएगा। इसके तहत देश में उत्पादन और रिसाइक्लिंग के साथ विदेश में खदानों के अधिग्रहण का प्रस्ताव है। नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 12 इंडस्ट्रियल पार्क विकसित किए जाएंगे। औद्योगिक कर्मचारियों के रहने के लिए पीपीपी मोड पर डॉरमिटरी जैसी जगहें बनाई जाएंगी। देश की शीर्ष 500 कंपनियों में पांच वर्षों में एक करोड़ युवा इंटर्नशिप कर सकेंगे।
शहरी विकासः पीएम आवास योजना में एक करोड़ नए घर
पीएम आवास योजना शहरी 2.0 के तहत एक करोड़ घर बनाए जाएंगे। इस पर लगभग 10 लाख करोड़ रुपये निवेश की उम्मीद है। राज्यों को महिलाओं की खरीदी गई प्रॉपर्टी पर स्टांप ड्यूटी घटाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। चुनिंदा शहरों में 100 स्ट्रीट फूड हब या साप्ताहिक हाट डेवलप किए जाएंगे। तीस लाख से अधिक आबादी वाले 14 बड़े शहरों में ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट की योजना है। इसके अलावा 100 शहरों में जलापूर्ति, सीवेज ट्रीटमेंट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को प्रमोट किया जाएगा।
शैलेश पाठक के अनुसार, ‘विकास केंद्रों के रूप में शहर’ को भारत सरकार ने विशिष्ट भूमिका प्रदान की है। ये 14 शहर भारत की जीडीपी में आधे से अधिक का योगदान देते हैं। मौजूदा शहरों के रचनात्मक ब्राउनफील्ड पुनर्विकास के लिए रूपरेखा बनेगी। भारत तभी विकसित होगा जब हमारे लोग गांवों से शहरों में जाकर अधिक कमाई करेंगे। मेरा अनुमान है कि देश की शहरी जनसंख्या 2042 तक 50% का आंकड़ा पार कर लेगी। अमृत काल में भारत की एक प्रमुख चुनौती शहरों को भली-भांति बनाने और चलाने की रहेगी।
ऊर्जा सुरक्षाः स्वच्छ ऊर्जा अपनाने वाली इकाइयों को वित्तीय मदद
ऊर्जा सुरक्षा के लिए निजी क्षेत्र के साथ मिलकर छोटे रिएक्टर बनाए जाएंगे। स्वच्छ ऊर्जा अपनाने वाली एमएसएमई इकाइयों को वित्तीय मदद दी जाएगी। इसके अलावा 60 क्लस्टर में निवेश ग्रेड एनर्जी ऑडिट सुविधा मिलेगी। बाद में इसका विस्तार 100 क्लस्टर में किया जाएगा। पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत पहले ही 1.28 करोड़ रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं और 14 लाख आवेदन आए हैं। इस योजना में सौर ऊर्जा लगाने पर हर साल 300 यूनिट बिजली मुफ्त मिल सकती है।
इन्फ्रास्ट्रक्चरः शहरों के साथ गांवों का भी विकास
इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए बजट में 11.11 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान है। यह रकम देश की जीडीपी के 3.4% के बराबर है। राज्यों को ब्याज मुक्त दीर्घकालिक कर्ज के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये देने का प्रावधान इस बार भी है। पीएम ग्राम सड़क योजना के चौथे चरण में 25,000 गांवों को ऑलवेदर सड़क से जोड़ा जाएगा। कृषि इन्फ्रा में सिंचाई के लिए 11,500 करोड़ का प्रावधान है। असम, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को बाढ़ से जुड़ी परियोजनाओं के लिए मदद दी जाएगी। बिहार और ओडिशा में टूरिज्म इन्फ्रा विकसित करने का भी प्रस्ताव है।
रिसर्चः निजी क्षेत्र में आरएंडडी को बढ़ावा
बुनियादी रिसर्च और प्रोटोटाइप डेवलपमेंट के लिए अनुसंधान नेशनल रिसर्च को ऑपरेशनलाइज किया जाएगा। निजी क्षेत्र में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के फंड का प्रस्ताव है। स्पेस इकोनॉमी का लाभ उठाने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड बनाया जाएगा।
सुधारः शहरों के भू-रिकॉर्ड की मैपिंग और डिजिटाइजेशन
अगली पीढ़ी के सुधारों में सभी जमीन के लिए अलग लैंड पार्सल पहचान संख्या या भू-आधार बनाने की योजना है। जमीन के मौजूदा मालिकाना के अनुसार सर्वेक्षण किया जाएगा। शहरों के भूमि रिकॉर्ड जीआईएस मैपिंग के साथ डिजिटाइज होंगे। भू-रजिस्ट्री की भी स्थापना की जाएगी। जलवायु अनुकूलन और शमन में निवेश के लिए फंड की व्यवस्था की जाएगी। अन्य प्रस्तावों में विदेशी निवेश के नियम आसान करना और 18 साल से कम उम्र वालों के लिए एनपीएस वात्सल्य योजना शुरू करना शामिल हैं।
अप्रत्यक्ष करः सोना-चांदी, मोबाइल पर कस्टम ड्यूटी घटी
कैंसर की तीन दवाओं पर कस्टम ड्यूटी खत्म की गई है। मोबाइल फोन, पीसीबीए और चार्जर पर कस्टम ड्यूटी 20% से घटाकर 15% की गई है। सोना, चांदी और प्लेटिनम पर कस्टम ड्यूटी 6% से घटाकर 4% और श्रिंप तथा मछलियों के आहार पर ड्यूटी भी घटाकर 5% की गई है। सोलर सेल और पैनल बनाने में इस्तेमाल होने वाले कुछ और पार्ट्स को ड्यूटी से छूट दी गई है। 25 क्रिटिकल मिनरल पर भी कस्टम ड्यूटी पूरी तरह खत्म हो गई है।
रियल एस्टेट सेक्टर को बजट से निराशा
इस बजट से सबसे ज्यादा निराशा रियल एस्टेट सेक्टर को हुई है। इस सेक्टर को उम्मीद थी कि बजट में अफॉर्डेबल हाउसिंग पर मिलने वाला इन्सेंटिव फिर से शुरू होगा और इसकी परिभाषा में भी सुधार होगा। साथ ही, इंडस्ट्री ये भी उम्मीद कर रही थी कि सरकार होम लोन पर मिलने वाले टैक्स छूट में भी इजाफे का ऐलान करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्टे, रियल एस्टेट में कैपिटल गेन पर मिलने वाला इंडेक्सेशन का लाभ भी खत्म हो गया। इससे बतौर निवेश रियल एस्टेट का आकर्षण कम होने की आशंका है।
समाज के हर वर्ग को शक्ति देने वाला बजट: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि ये समाज के हर वर्ग को शक्ति देने वाला बजट है। ये देश के गांव-गरीब-किसान को समृद्धि की राह पर ले जाने वाला बजट है। ये नौजवानों को अनगिनत नए अवसर देने वाला बजट है। इस बजट से शिक्षा और स्किल को नई स्केल मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये मिडिल क्लास को नई ताकत देने वाला बजट है। ये जनजातीय समाज, दलित, पिछड़ों को सशक्त करने की मजबूत योजनाओं के साथ आया है। इस बजट से महिलाओं की आर्थिक भागीदारी सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इस बजट से छोटे व्यापारियों, एमएसएमई यानि की लघु उद्योगों का, उसकी प्रगति का नया रास्ता मिलेगा। बजट में मैन्युफैक्चरिंग पर भी जोर दिया गया है, इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस है। इससे आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी और गति को भी निरंतरता मिलेगी।
यह कुर्सी बचाओ बजट: राहुल
वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बजट की आलोचना करते हुए सोशल साइट एक्स पर पोस्ट किया कि यह “कुर्सी बचाओ” बजट है। इसमें दूसरे राज्यों की कीमत पर सहयोगी दलों का तुष्टीकरण किया गया है। आम आदमी को कोई राहत न देते हुए क्रोनी कैपिलिस्टों को तुष्ट किया गया है और कांग्रेस के मैनिफेस्टो और पुराने बजट को कॉपी पेस्ट कर दिया गया है।
बजट से जुड़े प्रमुख सवालों के जवाब (Budget FAQ)
कितना बड़ा रहा इस बार का बजट?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुल 48.20 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया, जो फरवरी 2024 के अंतरिम बजट की तुलना में लगभग 50,000 करोड़ रुपये अधिक है। सरकार को इस साल 31.29 लाख करोड़ का राजस्व मिलने की उम्मीद है। जबकि 16.13 लाख करोड़ के राजकोषीय घाटे का अनुमान है, जो कि जीडीपी का 4.9% है। सरकार ने अगले साल राजकोषीय घाटा 4.5% पर लाने का लक्ष्य तय किया है। सरकार को इस साल 25,83,499 रुपए टैक्स (केंद्र का हिस्सा) के रूप में मिलने का अनुमान है।
प्रमुख मंत्रालयों में से किसको कितने बजट का आवंटन हुआ?
बजट में सबसे अधिक 5.44 लाख करोड़ रुपये का आवंटन ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए किया गया है। यह पिछले साल 5.25 लाख करोड़ था। रक्षा बजट करीब एक हजार करोड़ रुपये कम करके 4.54 लाख करोड़ किया गया है। खर्च के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा मद ग्रामीण विकास है, जिसके लिए आवंटन 2.38 लाख करोड़ से बढ़ाकर 2.65 लाख करोड़ रुपये किया गया है।
प्रमुख योजनाओं में से किसको कितने बजट का आवंटन हुआ?
प्रमुख योजनाओं की बात करें तो पीएम गरीब कल्याण के लिए सबसे अधिक 2.05 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान है। हालांकि यह पिछले साल से करीब सात हजार करोड़ रुपये कम है। एनएचएआई के लिए 1.68 लाख करोड़ और सड़क निर्माण के लिए 1.15 लाख करोड़ हैं। मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ और पीएम किसान के लिए 60,000 करोड़ रुपये का प्रावधान पिछले साल के बराबर है। लेकिन पीएम आवास योजना के लिए आवंटित रकम काफी बढ़ाई गई है। ग्रामीण योजना के लिए आवंटन 32,000 करोड़ से बढ़ाकर 54,500 करोड़ और शहरी के लिए 22,103 से बढ़ाकर 30,171 करोड़ रुपये किया गया है।
बजट में हुई घोषणाओं से कितने रोजगार मिलने की उम्मीद है?
एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरुआ के अनुसार, “जनसांख्यिकीय लाभ को भुनाने के लिए सरकार के प्रयास श्रम प्रधान उत्पादन, कौशल विकास, औपचारिक रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने और कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में हैं। बजट में किए गए उपायों से हर साल 80 लाख रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी, जो आर्थिक सर्वेक्षण में निर्धारित रोजगार जरूरतों के अनुरूप है।” पहली बार काम करने वालों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और आयकर स्लैब में बदलाव से डिस्पोजेबल आय में वृद्धि होगी। इससे विशेष रूप से छोटे पैकेट वाली वस्तुओं की खपत बढ़ने की संभावना है।
इनकम टैक्स में क्या बदलाव हुए और इन बदलावों से किसको कितना फायदा होगा?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2024 में टैक्स में कई बदलावों का ऐलान किया। इसमें इनकम टैक्स में भी बड़े बदलाव किए गए। हालांकि, सारे बदलाव न्यू टैक्स रिजीम में हुए और पुराने रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया। वित्त मंत्री ने न्यू टैक्स रिजीम में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए नए आयकर स्लैब की घोषणा की है। इसमें पहला स्लैब तो 3 लाख पर स्थिर रखा गया है, लेकिन 3 से 6 लाख के स्लैब और 6 से 9 लाख के स्लैब को बढ़ाकर क्रमश: 3 लाख से 7 लाख और 7 लाख से 10 लाख रुपये का कर दिया गया है। 9 लाख से 12 लाख रुपये के स्लैब को बदलकर 10 लाख-12 लाख किया गया है। न्यू टैक्स रिजीम में मानक कटौती को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है। ओल्ड रिजीम में मानक कटौती 50 हजार रुपए पर स्थिर है।
ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में अब कौन सी व्यवस्था ज्यादा फायदेमंद?
फिनटेक कंपनी बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, अगर आपको अभी भी पुरानी टैक्स व्यवस्था में बने रहने का औचित्य सिद्ध करना है, तो आपको सालाना 4.83 लाख रुपये से ज़्यादा की कटौती की ज़रूरत है। होम लोन के ब्याज भुगतान पर आप धारा 24B के तहत ₹2 लाख तक की छूट ले सकते हैं। इसके अलावा जीवन बीमा प्रीमियम, होम लोन भुगतान के मूलधन, पीपीएफ, ईपीएफ आदि के लिए 80C के तहत 1.5 लाख रुपए की छूट मिलती है। आप स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और निवारक स्वास्थ्य जांच के लिए ₹1 लाख तक की कटौती 80D में ले सकते हैं। 80CCD के तहत NPS के लिए 50 हजार रुपए की कटौती मिल सकती है। किराए के भुगतान के लिए HRA और 80G-पात्र चैरिटी के दान पर भी टैक्स छूट मिलती है।
एमएसएमई को बजट में क्या मिला, क्या उनकी उम्मीदें हुईं पूरी?
बजट में एमएसएमई के लिए 100 करोड़ रुपये तक की मशीनरी खरीदने पर क्रेडिट गारंटी स्कीम की घोषणा की गई है। इसके लिए उन्हें न कोई कोलैटरल रखना पड़ेगा न किसी थर्ड पार्टी गारंटी की जरूरत पड़ेगी। बैंक लोन के लिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से रेटिंग की व्यवस्था खत्म करने से भी इन उपक्रमों के लिए अच्छा है। स्पेशल मेंशन एकाउंट (एसएमए) कैटेगरी में आने वाली इकाइयों के लिए अलग फंड बनाने की घोषणा से उन कंपनियों को फायदा होगा जो बाहरी कारणों से संकट में फंसी हैं। मुद्रा लोन की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने से भी अनेक लोगों को लाभ मिलेगा।
बजट में स्टार्टअप को क्या मिला?
स्टार्टअप की मांग पूरी करते हुए बजट में एंजेल टैक्स खत्म करने की घोषणा की गई है। स्टार्टअप्स को कानूनी सलाह देने वाली फर्म लीगलविज.इन के संस्थापक श्रृजय शेठ के अनुसार, “इससे स्टार्टअप को शुरुआती चरण में निवेश आकर्षित करने में आसानी होगी। निवेशक फेयर मार्केट वैल्यू से अधिक कीमत पर फंडिंग कर सकेंगे, क्योंकि स्टार्टअप की वैल्यूएशन उसकी भावी क्षमता के आधार पर आंकी जाती है, मौजूदा फाइनेंशियल या नेट एसेट के आधार पर नहीं।” शेठ के मुताबिक विदेशी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर 40% से घटाकर 35% करना उन कंपनियों के लिए इन्सेंटिव है। वे भारत की ग्रोथ स्टोरी में योगदान कर सकेंगी। इससे भारत में विदेशी पूंजी निवेश बढ़ेगा और अधिक संख्या में रोजगार भी निकलेंगे।
इन्फ्रास्ट्रक्चर को बजट में क्या मिला, इससे देश के विकास को कैसे रफ्तार मिलेगी?
‘विकास केंद्रों के रूप में शहर’ को भारत सरकार ने विशिष्ट भूमिका प्रदान की है। तीस लाख से ऊपर आबादी के 14 बड़े शहरों के लिए ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) योजनाएं बनेंगी, जिसमें आवागमन तथा शहरी विकास नियम और भी आधुनिक किए जाएंगे। ये 14 शहर भारत की जीडीपी में आधे से अधिक का योगदान देते हैं। मौजूदा शहरों के रचनात्मक ब्राउनफील्ड पुनर्विकास के लिए रूपरेखा बनेगी। अनुमान है कि देश की शहरी जनसंख्या 2042 तक 50% का आंकड़ा पार कर लेगी।