सरकार ने किए ग्रामीण आकांक्षाओं से मेल खाने वाले 2.66 लाख करोड़ रुपये के प्रावधान
इस बजट को ग्रामीण आर्थिक परिदृश्य को बेहतर बनाने के लिए सबसे व्यावहारिक प्रयासों में से एक कहा जा सकता है। ग्रामीण आकांक्षाओं से मेल खाने वाले 2.66 लाख करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ नई योजनाएं और पहल शुरू करेगी जिससे कृषि समुदाय को लाभ होगा। बजट के ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर को बता रहे हैं कोटक महिंद्रा बैंक के कॉमर्शियल बैंकिंग के प्रमुख मनीष कोठारी…
मनीष कोठारी। 2024-25 के केंद्रीय बजट को ग्रामीण आर्थिक परिदृश्य को बेहतर बनाने के लिए सबसे व्यावहारिक प्रयासों में से एक कहा जा सकता है। ग्रामीण आकांक्षाओं से मेल खाने वाले 2.66 लाख करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ, सरकार कई क्षेत्रों में नई योजनाएं और पहल शुरू करेगी, जिससे कृषि समुदाय के बड़े हिस्से को लाभ होगा।
बजट में 1.52 लाख करोड़ रुपये कृषि और संबंधित क्षेत्रों को आवंटित किए गए हैं, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र की बदलाव सहने की क्षमता को बढ़ाना और उत्पादकता में सुधार करना है। ऐसे समय में जब जलवायु परिवर्तन वैश्विक खाद्य उत्पादन पर कहर बरपा रहा है, यह प्रयास भारत की खाद्य सुरक्षा और संरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
बजट में कहा गया है कि जलवायु के अनुकूल फसलों के विकास पर जोर देते हुए एग्रीकल्चर रिसर्च की समीक्षा की जाएगी और 32 उच्च उपज वाली और जलवायु के अनुकूल फसलों की 109 किस्में जारी की जाएंगी। बजट में यह भी रेखांकित किया गया है कि दलहन और तिलहन (सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी) की फसलों का भी मिशन मोड पर उत्पादन किया जाएगा। इसके अलावा, फसलों के उत्पादन, भंडारण और विपणन को मजबूत किया जाएगा।
कृषि उत्पादकता और दक्षता में सुधार के लिए अगले दो वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा। इसका आम लोगों के स्वास्थ्य और जलवायु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एमएसपी दरों में सुधार के लिए हाल में उठाए गए कदम (लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत लाभ जोड़ना) का उद्देश्य उत्पादकता में सुधार, इनपुट लागत में कटौती और किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करना था। यह कदम किसानों के लिए कृषि को और अधिक वायबल और आकर्षक बनाएगा।
किसानों के डेटाबेस को डिजिटल भूमि रिकॉर्ड से जोड़ने और उनकी फसलों का डिजिटल सर्वेक्षण करने की योजना कृषि प्रथाओं के आधुनिकीकरण और प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में एक कदम है, जो उनके लिए आसान लोन की सुविधा प्रदान करेगी। इस उपाय से, सरकार को उम्मीद है कि फसल ऋण जैसे कर्ज के लिए एक घंटे से भी कम का समय लगेगा, जबकि अभी इसमें 15 से 20 दिन लग जाते हैं।
इसके साथ ही, उपभोक्ता बाजारों के करीब सब्जी उत्पादन के लिए क्लस्टर भी विकसित किए जाएंगे, जिन्हें संग्रहण और भंडारण के बुनियादी ढांचे के साथ-साथ विपणन द्वारा उचित रूप से समर्थन दिया जाएगा। बजट में 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव आएगा। जबकि, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 3 करोड़ घर बनाए जाएंगे।
बजट में महिलाओं और लड़कियों को लाभान्वित करने वाली योजनाओं और लगभग 5 करोड़ आदिवासी लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए 3 लाख करोड़ रुपये रखे गए हैं।
बजट ने खेती के लिए व्यवहार्यता को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में चुना है। उदाहरण के लिए, बजट झींगा ब्रूडस्टॉक के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर के नेटवर्क को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। झींगा में ग्रामीण आजीविका कमाने और उसे बेहतर बनाने की उच्च क्षमता है। एक अन्य नीतिगत पहल सहकारी क्षेत्र के व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक नई राष्ट्रीय सहयोग नीति शुरू करना है, ऐसा कुछ जो कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।
मैं प्रसिद्ध वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन के शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहूूंगा, जिन्होंने कहा था, "यदि कृषि गलत हो जाती है, तो किसी और चीज को सही होने का मौका नहीं मिलेगा।" केंद्रीय बजट हम सभी के लिए इसी भावना को कई शब्दों में प्रतिध्वनित कर रहा है।