'हर 8 मिनट में एक बच्चा लापता', सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब; गोद लेने की प्रक्रिया पर क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने एक रिपोर्ट पर चिंता जताई जिसमें कहा गया कि भारत में हर 8 मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने का आग्रह किया और लापता बच्चों के मामलों को संभालने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक समाचार रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त की, जिसमें दावा किया गया था कि देश में हर आठ मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है और इसे एक गंभीर मुद्दा बताया।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और आर.महादेवन की पीठ ने कहा कि देश में गोद लेने की प्रक्रिया जटिल है और केंद्र से इस तंत्र को सरल बनाने का आग्रह किया।
जस्टिस नागरत्ना ने मौखिक रूप से कहा,'मैंने एक समाचार पत्र में पढ़ा है कि हर आठ मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है। मुझे नहीं पता कि यह सच है या नहीं। लेकिन यह गंभीर मुद्दा है।'सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुई अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने लापता बच्चों के मामलों को संभालने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने छह सप्ताह का समय देने से इनकार किया और एएसजी से कहा कि प्रक्रिया 9 दिसंबर तक पूरी की जाए। उच्चतम न्यायालय ने पहले केंद्र से अनुरोध किया था कि वह गृह मंत्रालय के अधीन लापता बच्चों को ट्रेस करने और ऐसे मामलों की जांच के लिए समर्पित ऑनलाइन पोर्टल बनाए।
याचिका ने उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष दर्ज पांच मामलों का उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसमें नाबालिगों का अपहरण किया गया और मध्यस्थों के जरिये झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में तस्करी की गई।

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