'जयशकंर की ऐसी प्रतिक्रिया एक विदेशमंत्री को शोभा नहीं देती' कांग्रेस ने क्यों दिया ऐसा बयान?
कांग्रेस ने कच्चतिवु को चुनावी मुद्दा बना रही भाजपा पर देश को भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए पूर्वी लद्दाख में चीन के घुसपैठ के चलते खोयी जमीन वापस लेने को लेकर सरकार को घेरा है।अरुणाचल प्रदेश के 30 जगहों का नाम बदलने की चीन की ताजा हरकतों पर विदेशमंत्री की प्रतिक्रिया को कमजोर बताते हुए कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार चीन का नाम लेने से भी डरती है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने कच्चतिवु को चुनावी मुद्दा बना रही भाजपा पर देश को भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए पूर्वी लद्दाख में चीन के घुसपैठ के चलते खोयी जमीन वापस लेने को लेकर सरकार को घेरा है। साथ ही चीन को आक्रामक जवाब नहीं देने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बताए कि भारत की कितनी जमीन मई 2020 के बाद से चीन के नियंत्रण में है और इसे खाली क्यों नहीं कराया गया है।
विदेशमंत्री को शोभा नहीं देती ऐसी प्रतिक्रिया
अरुणाचल प्रदेश के 30 जगहों का नाम बदलने की चीन की ताजा हरकतों पर विदेशमंत्री की प्रतिक्रिया को कमजोर बताते हुए कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार चीन का नाम लेने से भी डरती है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि चीन के हमारे स्थानों के नाम बदलने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का जवाब 'मैं आपके घर का नाम बदल दूं, तो वह घर मेरा थोड़े हो जाएगा' कमजोर और नरम प्रतिक्रिया है जो विदेशमंत्री को शोभा नहीं देती।
मोदी सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं
लगभग चार साल हो गए जब चीन की फौज ने भारत की सीमा में घुसपैठ की लेकिन मोदी सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। उनके मुताबिक जनवरी 2023 में लेह की तत्कालीन एसएसपी ने एक अध्ययन पेपर में लिखित रूप से कहा था कि नियंत्रण रेखा के ऊपर 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट पर हम नहीं जा पाते और सरकार से इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।
चीन का नाम लेने से डरते हैं
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि जो लोग बुलंद आवाज में कच्चतिवु द्वीप की बात करते हैं वे चीन का नाम लेने से भी डरते हैं और देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को लेकर बिल्कुल संवेदनशील नहीं है। मनीष तिवारी ने कच्चातिवु पर भाजपा सरकार पर भ्रामक बातें करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो लोग आज यह बात कर रहे वे भूल जाते हैं कि 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दक्षिण एशिया के राजनीतिक भूगोल को बदल दिया था।
दक्षिण एशिया का राजनीतिक मानचित्र बदल दिया
इंदिरा गांधी न अमेरिका से डरीं और न अन्य पश्चिमी देशों की सरकारों की परवाह की, कोई यह कल्पना भी नहीं कर सकता कि जिस प्रधानमंत्री ने दक्षिण एशिया का राजनीतिक मानचित्र बदल दिया हो वो कच्चतिवु पर भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के साथ किसी भी तरह का समझौता कर सकती थीं। तिवारी ने कहा कि राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए भाजपा यह हास्यास्पद आरोप लगा भारत की सामरिक प्रतिष्ठा को कमजोर कर रही है।
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