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    कफ सीरप मामले के बाद बढ़ी सतर्कता, दवा के ऊपर डिवाइस रखते ही पता चल जाएगा पावडर कम तो नहीं

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 11:15 PM (IST)

    विषाक्त कफ सीरप से मध्य प्रदेश के तीन जिलों- छिंदवाड़ा, पांढुर्ना और बैतूल में 24 बच्चों की जान जाने के बाद औषधि प्रशासन विभाग दवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग शुरू करने जा रहा है। सभी प्रमुख दवाओं की जांच इस डिवाइस से की जाएगी। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र में इसका उपयोग किया जाएगा।

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    औषधि निरीक्षकों को हैंडहेल्ड डिवाइस दी जाएंगी (सांकेतिक तस्वीर)

    जेएनएन, भोपाल। विषाक्त कफ सीरप से मध्य प्रदेश के तीन जिलों- छिंदवाड़ा, पांढुर्ना और बैतूल में 24 बच्चों की जान जाने के बाद औषधि प्रशासन विभाग दवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग शुरू करने जा रहा है।

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    औषधि निरीक्षकों को हैंडहेल्ड डिवाइस दी जाएंगी

    औषधि निरीक्षकों को हैंडहेल्ड डिवाइस दी जाएंगी, जिसे दवा के ऊपर रखते ही पता चल जाएगा कि उसमें पाउडर यानी दवा का मुख्य तत्व कम तो नहीं है। जिन दवाओं में यह कम रहेगा, उनके सैंपल जांच के लिए भेजे जाएंगे, ताकि वैधानिक कार्यवाही की जा सके।

     

    सभी प्रमुख दवाओं की जांच इस डिवाइस से की जाएगी। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र में इसका उपयोग किया जाएगा। अभी सिर्फ महाराष्ट्र में ऐसी डिवाइस का उपयोग किया जाता है।

     

    खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 211 करोड़ रुपये से औषधि प्रयोगशालाओं का सुदृढ़ीकरण किया जाना है। इसके लिए केंद्र से भी आर्थिक सहायता मांगी जा रही है।

     

    आठ हैंड हेल्ड डिवाइस खरीदी जाएंगी

    दवाओं की जांच के लिए आठ हैंड हेल्ड डिवाइस खरीदी जाएंगी। एक की कीमत लगभग 50 लाख रुपये है। इस तरह चार करोड़ रुपये खर्च होंगे। लगभग 800 औषधियों का डाटा पहले से डिवाइस में दर्ज है कि किस दवा में मुख्य तत्व कितना प्रतिशत होना चाहिए। डिवाइस में सेंसर लगा रहता है, इस कारण दवा के ऊपर रखते ही पाउडर की मात्रा का स्तर पता चल जाता है।

     

    एक वर्ष में 20 हजार सैंपलों की हो सकेगी जांच

    अभी एक वर्ष में लगभग पांच हजार सैंपलों की जांच हो पाती है। अब इसे 20 हजार तक ले जाने का लक्ष्य है। इसके लिए उपकरण व मानव संसाधन बढ़ाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि एक वर्ष पहले तक एक मात्र लैब भोपाल में थी।

     

    इस वर्ष जबलपुर और इंदौर की लैब भी प्रारंभ हो चुकी है। ग्वालियर की शुरू होने वाली है। ज्यादा जोर तीनों नई लैब की क्षमता बढ़ाने पर है। यह व्यवस्था भी रहेगी कि सभी जगह केमिकल के साथ माइक्रोबायोलाजी जांचें भी हो सकें।