तस्करी में जब्त कफ सीरप की बोतलों को लेकर BSF जवानों से भिड़े पुलिसकर्मी, तीन गंभीर रूप से घायल
तस्करी में जब्त कफ सीरप की बोतलों को लेकर बीएसएफ और पुलिसकर्मियों में झड़प हो गई। इस झड़प में तीन पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। बीएसएफ ने तस्करी कर लाई जा रही कफ सीरप की बोतलों को जब्त किया था, जिस पर पुलिस ने अपना दावा किया था। घटना की जांच जारी है।

कफ सीरप जब्ती पर विवाद।
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल के सीमावर्ती नदिया जिले में मंगलवार रात एक वाहन से बड़ी संख्या में जब्त तस्करी से संबंधित खांसी की प्रतिबंधित फेंसेडिल सीरप की बोतलों पर नियंत्रण को लेकर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और राज्य पुलिस के जवानों बीच जमकर हाथापाई व झड़प हो गईं। मारपीट में तीन पुलिसकर्मियों के घायल होने का दावा किया गया।
घायलों को ग्रामीण अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। पुलिस ने मारपीट के आरोप में मौके से एक बीएसएफ जवान को हिरासत में लिया। हालांकि बाद में पूछताछ के पश्चात उसे छोड़ दिया गया। यह घटना चापड़ा थाना अंतर्गत सीमानगर इलाके में रात करीब नौ बजे घटी।
कफ सीरप जब्ती पर विवाद
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब्त सीरप की खेप पर अपने नियंत्रण को लेकर भीड़भाड़ वाली सड़क पर ही पुलिस और बीएसएफ जवान भिड़ गए। घटना की जानकारी मिलते ही जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित किया।
साथ ही बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी भी पहुंचे। दोनों पक्षों में बातचीत के बाद मामला शांत हुआ। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह पूरी घटना तस्करी की कफ सीरप की एक बड़ी खेप की जब्ती से जुड़ी है।
बताया गया कि करीमपुर क्षेत्र से एक वाहन में लगभग 11 पेटी कफ सीरप की तस्करी करके चापड़ा की ओर ले जाया जा रहा था। गुप्त सूचना मिलने पर पुलिस ने सीमानगर में नाकाबंदी की। पुलिस की मौजूदगी का अंदाजा लगते ही तस्कर वाहन छोड़कर फरार हो गए और कफ सिरप की पेटियां मौके पर ही छोड़ दीं।
गलतफहमी के चलते दोनों पक्ष भिड़े
पुलिस ने जब्ती की कार्रवाई शुरू की, तभी सीमानगर बीएसएफ कैंप से कुछ जवान मौके पर पहुंचे और पुलिस को रोककर सिरप की खेप को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की। पुलिस के अनुसार, बीएसएफ जवानों ने दावा किया कि यह इलाका उनके अधिकार क्षेत्र में आता है और तस्करी सीमा से संबंधित है, इसलिए जब्ती का अधिकार उन्हें है। पुलिस ने तर्क दिया कि सूचना उनके पास थी और कार्रवाई स्थानीय थाने की जिम्मेदारी है।
इसी गलतफहमी के चलते दोनों पक्षों में तीखी बहस शुरू हो गई, जो देखते-देखते हाथापाई में बदल गई। पुलिस व बीएसएफ अधिकारियों ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि गलतफहमी के कारण ऐसे हालात बने। पूरे मामले की जांच की जा रही है।
यह एक मामूली गलतफहमी का मामला था : बीएसएफ
घटना पर बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता व डीआइजी एनके पांडेय ने कहा कि यह एक मामूली गलतफहमी का मामला था, जिसे दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप से समय पर सुलझा लिया गया। उन्होंने कहा कि बीएसएफ और पुलिस ने हमेशा मिलकर काम किया है और दोनों बल देश की सेवा में हैं। कुछ मीडिया द्वारा घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, जो गलत है।
बीएसएफ पर हमेशा आक्रामक रही है ममता सरकार
मालूम हो कि बीएसएफ व राज्य पुलिस के बीच इससे पहले भी कई बार क्षेत्राधिकार को लेकर टकराव की घटनाएं सामने आ चुकी है। खुद मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी से लेकर उनकी पार्टी के नेता व मंत्री बीएसएफ के खिलाफ लगातार आक्रामक व मुखर रहे हैं।
कुछ साल पहले जब केंद्र सरकार ने बीएसएफ का क्षेत्राधिकार अंतरराष्ट्रीय सीमा के भीतर 15 किमी से बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक किया था तो ममता सरकार ने इसका पुरजोर विरोध किया था।
बीएसएफ का क्षेत्राधिकार बढ़ाए जाने के खिलाफ बंगाल विधानसभा से प्रस्ताव तक पारित कराया था। ममता सरकार व तृणमूल बीएसएफ पर सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों पर अत्याचार और महिलाओं के साथ बदसलूकी का भी आरोप लगाती रही है।

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