देश में तेजी से घट रही जंगली हाथियों की संख्या, रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
देश में पहली बार डीएनए आधारित गणना से जंगली हाथियों की संख्या का खुलासा हुआ है। पिछली गणना के मुकाबले हाथियों की संख्या में 18% की कमी आई है, अब इनकी संख्या 22,446 है। पश्चिमी घाट हाथियों का सबसे बड़ा गढ़ है, कर्नाटक में सबसे अधिक हाथी पाए गए हैं। वन मंत्रालय ने बताया कि पिछली गणना अनुमान पर आधारित थी, जबकि यह गणना वैज्ञानिक तरीके से की गई है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में पहली बार जंगली हाथियों की डीएनए आधारित कराई गई गणना में हाथियों की सटीक संख्या निकलकर सामने आयी है। जिसमें हाथियों की संख्या में पिछली यानी 2017 की गणना से करीब 18 प्रतिशत कम पायी गई है। 2017 में जंगली हाथियों की हुई गणना में जहां देश में औसतन 27312 हाथी पाए गए थे, वहीं इस बार डीएनए आधारित गणना में इनकी संख्या 22,446 पायी गई है।
हालांकि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने डीएनए आधारित गणना की पिछली गणना से तुलना को गलत बताया है और कहा कि जंगली हाथियों की पिछली गणना सिर्फ एक अनुमान आधारित रहती थी,जबकि इस बार हाथियों की गणना वैज्ञानिक तरीके से कराई गई है। जो पहली बार दुनिया के किसी देश में इतने बड़े स्तर पर कराई गई है।अखिल भारतीय हाथी गणना (एसएआईईई) 2025 के अनुसार भारत में हाथियों की आबादी 18,255 से 26,645 के बीच है, जिसका औसत 22,446 है।
डीएनए गणना में हाथियों की संख्या में गिरावट
हाथियों की गणना की यह रिपोर्ट वर्ष 2021 में शुरू हुए सर्वेक्षण के करीब चार साल बाद आयी है। इनमें देरी के पीछे बड़ा कारण जटिल डीएनए विश्लेषण और डेटा सत्यापन को बताया जा रहा है।गणना में शामिल अधिकारियों के मुताबिक इस बार जंगली हाथियों की गणना में देश के अलग-अलग हिस्सों से गोबर के 21 हजार से अधिक नमूने एकत्र किए गए थे। साथ ही डीएनए फिंगर प्रिंटिंग आदि का उपयोग करने इन सभी की अलग-अलग पहचान की गई थी। यह पूरी प्रक्रिया ठीक वैसे ही अपनायी गई थी, जैसा किसी आदमी के डीएनए से उनकी पहचान सुनिश्चित की जाती है। गौरतलब है कि दुनिया में पाए जाने वाले एशियाई हाथियों की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी अकेले भारत में पायी जाती है। यह बात अलग है कि अतिक्रमण,सड़क, रेल निर्माण जैसे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और बढ़े मानव-हाथी संघर्ष के चलते इनका क्षेत्र लगातार सिकुड़ रहा है।
देश के पश्चिमी घाट का क्षेत्र जंगली हाथियों का सबसे बड़ा गढ़
रिपोर्ट के मुताबिक देश के पश्चिमी घाट का क्षेत्र अभी भी हाथियों का सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है। यहां गणना के दौरान 11,934 हाथी पाए गए है। वहीं दूसरे नंबर पर उत्तर-पूर्वी पहाडि़यां और ब्रह्मपुत्र के बाढ़ का मैदान था।जहां 6,559 हाथी पाए गए है। वहीं शिवालिक पहाड़ी व गंगा के मैदान में 2,062 हाथी पाए गए है जबकि मध्य भारत व पूर्वी घाटों में कुल 1,891 हाथी पाए गए हैं। वहीं राज्यों की बात करें तो कर्नाटक में सबसे अधिक 6,013 हाथी मिले है, जबकि असम में 4,159, तमिलनाडु में 3,136 , केरल में 2,785 और उत्तराखंड में 1,792 हाथी मिले है। गणना में ओडिशा में 912 हाथी मिले है। वहीं छत्तीसगढ़ और झारखंड को मिलाकर 650 से ज्यादा हाथी मिले है। रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में 97, महाराष्ट्र में 63 हाथियों की एक छोटी आबादी मिली है। जो छोटे-छोटे समूह में यहां बिखरे हुए है। इस दौरैान गणना में जमीनी सर्वेक्षण, उपग्रह-आधारित मैं¨पग व आनुवंशिक विश्लेषण को मिलाकर तीन चरणों वाली प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया।
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