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    'सख्त कार्रवाई की है जरूरत', अमिताभ कांत ने SC के फैसले पर उठाए सवाल; दीवाली के बाद दिल्ली की हवा हुई जहरीली

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 03:44 PM (IST)

    नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने दिल्ली की हवा को बेहद खराब बताते हुए कठोर कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पटाखे फोड़ने की अनुमति देने के फैसले पर सवाल उठाए। दिवाली के बाद दिल्ली में जहरीली धुंध छाई रही, जिससे एयर क्वालिटी इंडेक्स 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुँच गया। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी थी, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में नियमों का उल्लंघन हुआ।

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    अमिताभ कांत ने SC के फैसले पर उठाए सवाल दीवाली के बाद दिल्ली की हवा हुई जहरीली (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। G20 शिखर सम्मेलन (2023) के भारत शेरपा और नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत ने कहा है कि दिल्ली की हवा बेहद खराब स्थिति में है और अब केवल कठोर और निरंतर कार्रवाई ही राजधानी को स्वास्थ्य व पर्यावरणीय आपदा से बचा सकती है।

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    उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे फोड़ने के अधिकार को जीने और सांस लेने के अधिकार से ऊपर रखा है। यह बयान तब आया जब दिल्ली ने दिवाली की रात के बाद जहरीली धुंध की मोटी परत में लिपटी सुबह देखी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) दोपहर 1 बजे 357 दर्ज हुआ, जो बहुत खराब श्रेणी में आता है।

    SC ने क्या फैसला दिया था?

    सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में ग्रीम पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी थी। कोर्ट ने कहा था कि यह फैसला संतुलित दृष्टिकोण अपनाने के तहत दिया गया है ताकि त्योहार की भावना भी बनी रहे और पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचे। हालांकि, कोर्ट ने पटाखे फोड़ने का समय केवल सुबह 6-7 बजे और रात रात 8-10 बजे तय किया था। लेकिन दिल्ली-NCR के कई इलाकों में आधी रात तक पटाखे फूटते रहे।

    अमिताभ कांत ने दिए सुझाव

    अमिताभ कांत ने कहा, "दिल्ली के 38 में से 36 मॉनिटरिंग स्टेशन रेड जोन में हैं, कई जगहों पर AQI 400 के ऊपर है। अगर लॉस एंजेलिस, बीजिंग और लंदन प्रदूषण पर काबू पा सकते हैं तो दिल्ली क्यों नहीं।"

    उन्होंने कहा कि एकीकृत एक्शन प्लान जरूरी है जिसमें फसल जलाने, थर्मल प्लांट्स और ईंट भट्ठों से प्रदूषण पर सख्त नियंत्रण, सभी वाहनों का 2030 तक इलेक्ट्रिक में रूपांतरण, निर्माण कार्यों पर सख्त निगरानी और शहर को हरित, पैदल और सार्वजनिक परिवहन केंद्रित बनाना शामिल हो।

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