दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ा, बुधवार को और खराब हुई हवा; कितना हुआ AQI?
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, जिसके लिए जिम्मेदार एजेंसियां पर्याप्त कदम नहीं उठा रही हैं। दिल्ली का AQI बढ़कर 353 हो गया है। हवा की गति कम होने और पराली जलाने से स्थिति और खराब हो गई है। पटाखे, निर्माण धूल और वाहन प्रदूषण भी इसमें योगदान करते हैं। बारिश या तेज हवाएं ही राहत दिला सकती हैं।
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दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ा (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर सहित देश के बड़े हिस्से को जहरीली हवाओं से बचाने में पूरी तरह से विफल रहने के बाद भी जिम्मेदार एजेंसियां नींद से नहीं जागी है। शायद यही वजह है कि लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण के बाद भी तात्कालिक तौर पर वैसे पर्याप्त इंतजाम नहीं दिखे रहे है जो वायु प्रदूषण की स्थिति खराब होने के बाद दिखने चाहिए थे।
जिसमें सभी क्षेत्रों में पर्याप्त पानी का छिड़काव, ऊंची इमारतों से पानी की बौछार करने, निर्माण स्थलों पर स्मोक गन की अनिवार्य रूप से तैनाती और उन्हें अच्छे तरीके से कवर करने जैसे उपाय शामिल थे। सिर्फ कुछ जगहों पर एजेंसियां खानापूर्ति की औपचारिकताएं निभाते दिखी है। इसका अंदाजा इससे लगा सकते है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता का स्तर बुधवार को मंगलवार से भी ज्यादा खराब हुआ है।
बुधवार को बढ़ गया AQI
दिल्ली का एक्यूआइ जहां मंगलवार को 351 था, वहीं बुधवार को चार बजे की स्थिति में यह 353 पर पहुंच गया है। दिल्ली के कई क्षेत्रों में एक्यूआइ का यह स्तर चार सौ से पार चला गया। वायु गुणवत्ता पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक तात्कालिक उपायों पर जोर दिया गया होता तो वायु प्रदूषण में इतनी बढ़ोतरी नहीं देखने को मिलती।
बढ़े वायु प्रदूषण के पीछे हवाओं की रफ्तार का थमना भी माना जा रहा है। जिससे धुंध लगातार तेज होते दिख रही है। इस बीच दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण में पराली जलने की मात्रा भी तेज से बढ़ी हुई पायी गई है। जो जानकारी निकलकर सामने आयी है, उसमें दीपावली के दौरान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पराली जलायी गई है।
कैसे मिलेगी राहत
जिसका असर अब गहरे धुंध के रूप में दिखाई दे रहा है। गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर सहित देश के अधिकांश हिस्सों में वायु प्रदूषण के पीछे पटाखों और पराली के साथ ही निर्माण से उठने वाली धूल, वाहन प्रदूषण व उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषण की भी एक बड़ी हिस्सेदारी रहती है। जिसके चलते इन शहरों में प्रदूषण का स्तर हर समय बढ़ रहता है। इससे तभी राहत मिलती है जब उन क्षेत्रों में बारिश या तेज हवाएं चलती है।
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