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    Diwali 2025: दिल्ली-NCR में पटाखे जलाने की अनुमति, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रखी ये शर्ति

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 09:06 PM (IST)

    दिल्ली-एनसीआर में दिवाली पर पटाखे जलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 10 महत्वपूर्ण शर्तें जारी की हैं। केवल ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति है, और सभी शर्तों का पालन अनिवार्य है। राज्य सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा का पालन करना होगा। प्रदूषण नियंत्रण और सुरक्षा मानकों का ध्यान रखना आवश्यक है। इन नियमों का पालन करके सुरक्षित दिवाली मनाई जा सकती है।

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    केवल ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इस दीपावली दिल्ली एनसीआर में चलेंगे ग्रीन पटाखे। सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली के त्योहार को देखते हुए और पर्यावरण व परंपराओं के बीच संतुलन कायम करते हुए दीपावली पर दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री और पटाखे चलाने की सशर्त इजाजत दे दी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही चलाए जाएंगे और पटाखे निर्धारित स्थानों पर चलाए जाएंगे तथा तय समय पर ही चलेंगे। शीर्ष अदालत ने दिल्ली एनसीआर में दो दिन पटाखे चलाने की इजाजत दी है। जिसमें दिवाली से एक दिन पहले और दिवाली वाले दिन पटाखे चलाने की इजाजत होगी।

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    पटाखे सुबह छह से सात बजे के बीच और रात्रि में आठ से 10 बजे के बीच चलाए जा सकते हैं। बुधवार को ये आदेश प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और के. विनोद चंद्रन की पीठ ने दिल्ली सरकार और कुछ अन्य की अर्जियों पर दिए हैं। दिल्ली सरकार ने दीपावली पर ग्रीन पटाखों की इजाजत देने का अनुरोध किया था। अभी तक दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर पूर्ण रोक थी। कोर्ट ने 21 पृष्ठ के विस्तृत आदेश में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के अपने पूर्व आदेश में थोड़ी ढील दे दी है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि 18 अक्टूबर से लेकर 20 अक्टूबर तक दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री हो सकती है।

    सुप्रीम कोर्ट की 10 शर्तें जारी

    पटाखों की बिक्री निर्धारित स्थानों पर ही होगी इन स्थानों को जिलाधिकारी-आयुक्त, पुलिस अधीक्षक से परामर्श के बाद चिन्हित करेंगे। पटाखे सिर्फ नीरी द्वारा पंजीक्रत ग्रीन पटाखा निर्माताओं द्वारा बनाए गए और पीइएसओ का लाइसेंस रखने वालों द्वारा ही बेचे जाएंगे। जो पटाखे लाइसेंसी दुकानदारों और पंजीकृत ग्रीन पटाखा निर्माताओं जिन्हें क्यूआर कोड जारी हुआ है, के द्वारा नहीं बनाए गए होंगे, वे जब्त कर लिए जाएंगे। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिला प्रशासन और पुलिस ये सुनिश्चित करेगी कि पटाखे सिर्फ दो दिन, एक दिन दिवाली से पहले और दिवाली वाले दिन ही चलाए जाएंगे।

    पटाखे सुबह छह-से सात और रात्रि आठ से 10 बजे तक ही चलाए जाएंगे। कोर्ट ने कहा है कि आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने और उसकी निगरानी करने के लिए पुलिस पैट्रो¨लग टीमें बनाएंगी। पैट्रो¨लग टीमें पटाखों की बिक्री के निर्धारित स्थानों की नियमित निगरानी करेंगी ताकि सुनिश्चित हो कि जिन पटाखों की बिक्री की अनुमति दी गई है वही बिकें। कोर्ट ने पटाखों की लड़ी की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया है। इसके साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ई-कामर्स नेटवर्क पर पटाखों की बिक्री नहीं होगी। यानी आनलाइन पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध है। कोर्ट ने कहा है कि जिन पटाखा व्यापारियों के लाइसेंस निरस्त या एक्सपायर हो गए हैं उन्हें विधायी अथारिटी द्वारा तय अवधि के लिए नवीनीकृत किया जाएगा। कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह राज्य प्रदूषण बोर्डों के साथ परामर्श करके 14 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक अपने तय क्षेत्राधिकार में एयर क्वालिटी इनडेक्स की निगरानी करेगा।

    केवल ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति

    शीर्ष अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया है कि वह इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करेगा जिसमें प्रत्येक दिन की वायु गुणवत्ता बताई जाएगी। इस निगरानी के साथ ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के क्षेत्रीय अधिकारी और गहराई से विश्लेषण के लिए बालू और पानी के नमूने भी उस स्थान से एकत्र करेंगे। कोर्ट ने कहा है कि वह स्पष्ट कर देना चाहता है कि ये छूट परीक्षण के आधार पर सिर्फ तय अवधि के लिए दी गई है। कोर्ट तीन सप्ताह बाद फिर मामले पर सुनवाई करेगा। कोर्ट ने दीपावली पर कड़ी शर्तों के साथ ग्रीन पटाखों की इजाजत जरूर दी है लेकिन आदेश में स्वास्थ्य को सबसे ऊपर माना है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण से होने वाले गंभीर स्वास्थ्य खतरों का नतीजा पटाखा उद्योगों में लगे लोगों और कामगारों के रोजीरोटी और जीवन के अधिकार के खिलाफ आ रहा है।

    प्रदूषण नियंत्रण का रखना होगा ध्यान

    कोर्ट ने कहा कि पटाखे चलाना उत्सव की भावना की अभिव्यक्ति है और यह भारत के सांस्कृतिक परिवेश में अंतर्निहित धार्मिक और अन्य शुभ समारोहों के माहौल को बढ़ाता है। हालांकि इससे केवल परंपराओं और सांस्कृतिक या धार्मिक मान्यताओं के आधार पर अनियंत्रित उपयोग से स्वास्थ्य को दीर्घकालिक या अल्पकालिक नुकसान पहुंचाने की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह यह बात दोहराते हैं जो पहले भी कई बार न्यायालय कह चुका है कि जब पर्यावरण और स्वास्थ्य की बात आती है तो व्यावसायिक विचारों और त्योहार की भावना को पीछे रखना चाहिए। कोर्ट ने यह आदेश एनसीआर के सभी जिला कलक्टरों को भेजने का निर्देश रजिस्ट्री को दिया है।