कोई भी स्थायी नहीं हो सकता... नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच डीके शिवकुमार ने फिर दिया इस्तीफे का हिंट
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे का संकेत दिया है, जिससे नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई हैं। उन्होंने कहा कि वह हमेशा के लिए इस पद पर नहीं रह सकते। सिद्दरमैया और शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर पहले भी टकराव हो चुका है। सत्ता-साझेदारी समझौते के अनुसार, सिद्दरमैया जून 2025 में पद छोड़ सकते हैं।

डीके शिवकुमार के इस्तीफे का संकेत। फाइल फाइल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक ने उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बुधवार को सिद्दरमैया के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही रस्साकशी में नई जान फूंक दी है। शिवकुमार ने संकेत दिया कि वह पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
बुधवार दोपहर बेंगलुरु में एक पार्टी कार्यक्रम में शिवकुमार ने कहा, 'मैं इस पद पर स्थायी रूप से नहीं रह सकता...साढ़े पांच साल हो चुके हैं और मार्च में छह साल हो जाएंगे।' इसके बाद उपमुख्यमंत्री ने अपने समर्थकों को आश्वस्त किया कि वह पार्टी की राज्य नेतृत्व टीम में बने रहेंगे। उन्होंने कहा 'चिंता मत करो... मैं सबसे आगे रहूंगा।
यह अलग बात है - क्या मैं कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना रहूंगा?' उप-मुख्यमंत्री का पदभार संभालते ही मैं यह जिम्मेदार छोड़ना चाहता था लेकिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुझे पद पर बने रहने के लिए कहा। इसलिए मैंने अपना कर्तव्य निभाया।'
डीके शिवकुमार के इस्तीफे का संकेत
कार्यक्रम के बाद, शिवकुमार ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वह एक मिसाल कायम करने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में खुद को घोषित करने वाले नारों पर कहा "कोई भी स्थायी नहीं हो सकता..."।
मंगलवार को डीकेएस ने एक और पारा चढ़ाने वाला बयान दिया; विधायकों की मंत्री बनने की महत्वाकांक्षाओं पर उन्होंने कहा, 'जो कड़ी मेहनत करते हैं, उनकी आकांक्षाएं तो होंगी ही। क्या हम इसे गलत कह सकते हैं?' नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, 'किसी ज्योतिषी से सलाह लें...'
डीके शिवकुमार की टिप्पणी क्यों महत्वपूर्ण है?
2023 के चुनाव के बाद सिद्दरमैया और शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर टकराव हुआ था। सिद्दरमैया खेमे ने तब पार्टी के 'एक व्यक्ति, एक पद' नियम की ओर इशारा किया था, जिसके लागू होने पर डीकेएस को मुख्यमंत्री के रूप में अयोग्य घोषित करार दिया गया।
इसके बाद कई दिनों तक जोर-शोर से मोल-भाव चलता रहा। सिद्दरमैया को मुख्यमंत्री चुन लिया गया। सिद्दरमैया को चुनाव में हाशिए पर पड़े समुदायों, अल्पसंख्यकों और अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त था। उस समयडीकेएस को दो प्रस्ताव दिए गए। उन्होंने एक प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जिससे उन्हें उपमुख्यमंत्री बना दिया गया और कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष बने रहने का मौका मिल गया।
उस समझौते के साथ-साथ सत्ता-साझेदारी समझौते की भी चर्चा हुई थी जिसके तहत सिद्दरमैया ढाई साल बाद पद छोड़ देंगे। जून 2025 में डीकेएस खेमे ने उस समझौते का ज़िक्र किया, जो अगर सच है, तो इसी महीने पूरा होने वाला है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।