देश में एक निश्चित अवधि में SIR कराने पर निर्णय ले सकता है EC, 5-6 सालों के बीच कराने पर विचार
चुनाव आयोग मतदाता सूची की गड़बड़ियों को दूर करने के लिए एक निश्चित अंतराल में विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने पर विचार कर रहा है। यह निर्णय आबादी क ...और पढ़ें
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देश में एक निश्चित अवधि में SIR कराने पर निर्णय ले सकता है EC (फाइल फोटो)
अरविंद पांडेय, जागरण। नई दिल्ली। करीब 22 सालों बाद मतदाता सूची की गड़बडि़यों को दूर करने के लिए कराए जा रहे विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) के बाद भी चुनाव आयोग का इन गड़बडि़यों से पीछा छूटने वाला है।
वजह देश की एक बड़ी आबादी हर साल गावों से शहरों में और एक शहर से दूसरे शहर में स्थानांतरित हो रही है। ऐसे में चुनाव आयोग अब एसआईआर को एक निश्चित अंतराल में अनिवार्य रूप से कराने का विचार कर रहा है। जो संभवत: प्रत्येक पांच से छह साल के बाद हो सकती है।
SIR को लेकर चुनाव आयोग का प्लान
हर साल होने वाले मतदाता सूची के पुनरीक्षण की तर्ज पर एसआईआर को एक निश्चित अवधि में अनिवार्य रूप से कराने की रूपरेखा पर विमर्श चल रहा है। अभी एसआइआर को कराए जाने को लेकर चुनाव आयोग के भीतर कोई निर्धारित अवधि नहीं है।
इस पूरे विषय को आयोग के विवेक पर छोड़ा गया है। यह वजह है कि पिछले 22 सालों में चुनाव आयोग ने इसे कराने की कभी भी पहल नहीं की। आयोग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक इस सालों में मतदाता सूची की गड़बडियों का मुद्दा कई बार उठा भी लेकिन आयोग ने इसे सामान्य पुनरीक्षण से ही निपटाना बेहतर समझा। यानी कोई भी एसआईआर कराने के विवाद में नहीं पड़ता चाहता था।
आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक देश के भीतर इन दिनों एक जगह से दूसरी जगह के लिए लोगों में जिस तरह से पलायन बढ़ा हुआ है, उनमें मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण ( एसआइआर) को अब और ज्यादा लंबे समय तक के लिए टालना ठीक नहीं होगा।
कब हुआ था SIR?
वह भी तब मतदाता सूची की गड़बडि़यों को लेकर राजनीतिक दल लगातार मोर्चा खोले हुए है। साथ ही आने वाले सालों में भी वह राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है। गौरतलब है कि देश में इससे पहले वर्ष 2002 और 2003 के बीच एसआइआर हुआ था।

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