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    प्रकृति के बीच बिताने हों सुकून के पल, तो यहां चले आइए... UP के बॉर्डर पर मौजूद है ये खूबसूरत जगह

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 07:21 PM (IST)

    सतना के पास पयस्विनी नदी और शबरी जलप्रपात मानसून में घूमने के लिए शानदार जगह हैं। टिकरिया के जंगल में राजा अंबरीष की तपोस्थली अमरावती आश्रम है जहाँ आध्यात्मिक शांति मिलती है। शबरी जलप्रपात जो 40 फीट की ऊँचाई से गिरता है एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। यहाँ गोमुख से निकलने वाली अमृत तुल्य जलधारा का जल ग्रहण करने से अद्भुत अनुभव होता है।

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    कथाओं में राजा अंबरीष की तपोस्थली अमरावती आश्रम का वर्णन है (फोटो: जेएनएन)

    शिवम कृष्ण त्रिपाठी, सतना। धर्म-अध्यात्म के साथ ही मानसून के दिनों में प्रकृति के बीच समय गुजारने का विचार है तो मप्र-उप्र की सीमा पर स्थित पयस्विनी नदी और शबरी जलप्रपात का लुत्फ उठाने के लिए अवश्य आएं। टिकरिया के जंगल में राजा अंबरीष की तपोस्थली अमरावती आश्रम है। कभी वीरान रहने वाले इन स्थानों का मप्र और उप्र सरकार ने खूब विकास कराया है।

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    रिमझिम फुहारों के बीच यहां आने का मतलब है संपूर्णता का आनंद उठाना। यात्री सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए तमाम संसाधन यहां मौजूद हैं। खास बात यह है कि रामायण और भागवत कथाओं में राजा अंबरीष की तपोस्थली अमरावती आश्रम का वर्णन है। कम से कम दो दिन का समय लेकर आएंगे तो इस यात्रा में चित्रकूट तीर्थ का यादगार सफर भी कर सकेंगे।

    जलप्रपात से लेकर तपोस्थली देगी सुकून

    मप्र की सीमा से लगे और उप्र के चित्रकूट जिले के गांव जमुनिहाई में पयस्विनी नदी है तो शबरी जलप्रपात का मनोरम नजारा है। जलप्रपात से महज सात किमी दूर उत्तर प्रदेश के टिकरिया के जंगल में राजा अंबरीष की तपोस्थली अमरावती आश्रम में बैठकर आपको आध्यत्मिक शांति का एहसास होगा। शबरी जलप्रपात व अमरावती आश्रम आध्यात्मिक रूप से त्रेतायुग की कथाओं में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

    सरभंगा की ओर से आने वाली पयस्विनी नदी की जलधारा व स्थानीय गजिहा नाला से मिलकर शबरी जलप्रपात का निर्माण होता है। लगभग 40 फीट की ऊंचाई से कल-कल बहती जलधारा और चट्टानों से टकराकर नीचे गिरने वाला पानी ही प्रपात का निर्माण करता है। यही जलधारा आगे जाकर दोबारा एक कुंड में गिरती है। इसे ही द्विस्तरीय शबरी जलप्रपात कहते हैं।

    गोमुख से निकली अमृत तुल्य जलधारा

    अमरावती आश्रम में आकर वाकई यह लगेगा कि हम प्रकृति की गोद में बैठे हैं। यहां शीतलता व गोमुख से निकलती अमृत तुल्य जलधारा का जल ग्रहण कर लगेगा मानो अमृतपान कर लिया हो। जंगल में बसे इस अमरावती आश्रम की अपनी एक अलग ही कहानी है। कभी दुर्गम रहा यह स्थान आज सभी के लिए सुगम है। मानसिक शांति व अध्यात्म के दर्शन करने और पुण्य पाने की कामना के साथ उप्र, मप्र समेत अन्य राज्यों से भी लोग यहां पहुंचते हैं।

    शबरी जलप्रपात व अमरावती आश्रम पहुंचने तक सड़क मार्ग पर पड़ने वाले जंगल के नजारे पूरे रास्ते आपको रोमांचित करते रहेंगे। चारों ओर फैले विशाल पहाड़ और जंगल अपनी ओर खींचता प्रतीत होगा। सनातन धर्म के इतिहास के कुछ पलों को जीने का भी अवसर मिलेगा।

    ऐसे पहुंचें जमुनिहाई

    सतना रेलवे स्टेशन से करीब 40 किमी सड़क मार्ग से दूरी तय कर चित्रकूट के प्रवेश द्वार मझगवां पहुंचेंगे। यहां से पांच किमी आगे चलने पर दोनों प्रदेश की सीमा पर बसा जमुनिहाई गांव मिलेगा। पयस्विनी नदी में बनने वाला शबरी जलप्रपात और इससे सात किलोमीटर आगे जाने पर टिकरिया गांव के जंगल में आपको मिलेगा राजा अमरीश की तपोस्थली अमरावती आश्रम।

    हालांकि शबरी जलप्रपात व अमरावती आश्रम उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा के अंदर हैं। उप्र से आने के लिए मानिकपुर स्टेशन आना होगा, जहां से 30 किमी टिकरिया पहुंचेंगे। दो-तीन किमी आगे शबरी जलप्रपात और अमरावती आश्रम हैं।

    उप्र सरकार ने शबरी जलप्रपात का आकर्षक नजारा दिखाने के लिए धनुष के आकार का कांच का ब्रिज बनाया है। रेस्ट हाउस भी बनाए गए हैं। मप्र के हिस्से में वन विभाग ने जलप्रपात के नीचे तक का नजारा देखने के लिए 30-35 सीढ़ियां बनाई हैं, जहां से आपको जलप्रपात का सुखद अनुभव मिलेगा।

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