'विदेशी नागरिकों को भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार', राजस्थान हाई कोर्ट का इस मामले में बड़ा फैसला
राजस्थान हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि भारत में किसी भी व्यक्ति को बिना कानूनी प्रक्रिया के उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है। यह अधिकार केवल भारतीय नागरिकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन विदेशी नागरिकों को भी उपलब्ध है जो भारत के नागरिक नहीं है।

'विदेशी नागरिकों को भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार', राजस्थान हाई कोर्ट (सांकेतिक तस्वीर)
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि भारत में किसी भी व्यक्ति को बिना कानूनी प्रक्रिया के उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है।
यह अधिकार केवल भारतीय नागरिकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन विदेशी नागरिकों को भी उपलब्ध है जो भारत के नागरिक नहीं है। संविधान जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।
वहीं निष्पक्ष और त्वरित सुनवाई का अधिकार अनुच्छेद-21 का अभिन्न अंग है। न्यायाधीश अनूप ढंढ की अदालत ने यह आदेश किडनी प्रत्यारोपण के मामले में पकड़े गए दो बांग्लादेशी नागरिकों नुरूल इस्लाम एवं एमडी अहसानुल कोबिर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
23 अप्रैल,2023 को दोनों बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप है कि कोई रक्त संबंध नहीं होने के बाद भी उन्होंने किडनी प्रत्यारोपण का लाभ लिया है। दोनों की ओर से याचिका में कहा गया था कि पकड़े जाने के बाद हम सरकारी गवाह बन गए। हमारी जानकारी पर पुलिस ने पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया था।
मामले में मुख्य आरोपित को जमानत मिल गई,लेकिन आज तक उन पर आरोप तय नहीं हुए है। दोनों की गिरफ्तारी को डेढ़ वर्ष हो गया। वहीं सरकारी वकील ने कहा कि कानून में सरकारी गवाह के बयान दर्ज होने से पहले जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है।
इस पर हाई कोर्ट ने कहा, कानूनी प्रविधानों के तहत बिना बयान दर्ज हुए सरकारी गवाह को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। लेकिन इस मामले का दूसरा पहलू यह भी है कि दोनों आरोपित डेढ़ साल से पुलिस हिरासत में है। न्यायालय में चालान पेश हो चुका है, लेकिन अब तक ट्रायल फ्रेम नहीं हुआ है।

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