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    आतंकियों ने बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट कैसे किया हासिल, फरीदाबाद में मिला था 2900 किलो केमिकल

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 02:26 AM (IST)

    सुरक्षा एजेंसियां इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं कि कैसे एक सफेदपोश आतंकवादी नेटवर्क ने अमोनियमनाइट्रेट सहित भारी मात्रा में विस्फोटक हासिल करने और भंडारण करने में कामयाबी हासिल की। संदेह है कि इसी पदार्थ का इस्तेमाल सोमवार को लाल किला के पास हुए घातक विस्फोट में किया गया, जिसमें 12 लोग मारे गए। 

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    आतंकियों ने बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट कैसे किया हासिल (फोटो- जागरण)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुरक्षा एजेंसियां इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं कि कैसे एक सफेदपोश आतंकवादी नेटवर्क ने अमोनियम नाइट्रेट सहित भारी मात्रा में विस्फोटक हासिल करने और भंडारण करने में कामयाबी हासिल की।

    संदेह है कि इसी पदार्थ का इस्तेमाल सोमवार को लाल किला के पास हुए घातक विस्फोट में किया गया, जिसमें 12 लोग मारे गए। इस हमले ने एक बार फिर इस बात को उजागर कर दिया है कि अमोनियम नाइट्रेट जैसे प्रतिबंधित रसायन को कितनी आसानी से हथियार बनाया जा सकता है।

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    अधिकारी हाल में पकड़े गए अंतरराज्यीय आतंकी सेल के खरीद नेटवर्क का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। सोमवार शाम को लाल किले के पास हुए विस्फोट के कुछ ही घंटों बाद तीन डाक्टरों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया।

    इससे पहले 2,900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त कर जैश-ए-मोहम्मद व अंसार गजवत-उल-हिद से जुड़े एक सफेदपोश आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ था। यह नेटवर्क कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था।

    अमोनियम नाइट्रेट दोहरे इस्तेमाल वाला रसायन है, जिसे नाइट्रोजन उर्वरक के रूप में और पत्थर की खदानों में नियंत्रित विस्फोट के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। इससे पहले फरीदाबाद में 2900 किलो यही केमिकल मिला था।

    हालांकि, पोटाशियम क्लोरेट और सल्फर जैसे अन्य रसायनों के साथ मिश्रित होने पर इसकी अस्थिर प्रकृति के कारण यह आतंकवादी समूहों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली विस्फोटक सामग्री (आइईडी) का एक घटक बन गया।

    इसे ईंधन तेल में भी मिलाया जाता है, जिससे अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल आयल एक्सप्लोसिव (एएनएफओ) बनता है, जो तुरंत आग का कारण बनता है। वर्ष 2019 के पुलवामा हमले में आरडीएक्स के साथ इस रसायन का भी इस्तेमाल किया गया था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान बलिदान हो गए थे। यह कार बम हमला प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन द्वारा किया गया था।

    इससे पहले, इस रसायन का इस्तेमाल प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा 2000-2011 के दौरान मुंबई और दिल्ली में हुए विभिन्न हमलों में किया गया था।

    आतंकवादी समूहों द्वारा बम बनाने में इसके लगातार इस्तेमाल से चिंतित सरकार ने 2011 में 45 प्रतिशत से अधिक अमोनियम नाइट्रेट वाले उर्वरकों को विस्फोटक पदार्थ घोषित कर दिया था। वर्ष 2015 में, सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए दुरुपयोग किए जाने वाले अमोनियम नाइट्रेट के आयात व परिवहन के मानदंडों को और कड़ा कर दिया था।