भारत ने खींचा सैन्य महाशक्ति बनने का खाका, जल.. थल और नभ में मजबूत होगी हमारी सेना
भारत ने अगले 15 साल में बड़ी सैन्य महाशक्ति बनने का रोडमैप तैयार कर लिया है। सरकार चाहती है कि सेना को ताकत के साथ-साथ तकनीक में भी आगे रखा जाए ताकि अंतरिक्ष में भी युद्ध लड़ना पड़े तो सेना आगे रहे। वहीं इसके लिए रक्षा मंत्रालय जल थल और नभ तीनों सेनाओं के कायाकल्प पर काम कर रहा है।

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। भारत ने अगले 15 साल में बड़ी सैन्य महाशक्ति बनने का रोडमैप तैयार कर लिया है। सरकार चाहती है कि सेना को ताकत के साथ-साथ तकनीक में भी आगे रखा जाए ताकि अंतरिक्ष में भी युद्ध लड़ना पड़े तो सेना आगे रहे। इसके लिए रक्षा मंत्रालय जल, थल और नभ, तीनों सेनाओं के कायाकल्प पर काम कर रहा है।
हाई एनर्जी लेजर वीपन और स्टील्थ ड्रोन से किया जाएगा लैस
सरकार का सबसे ज्यादा फोकस एआइ-संचालित हथियार और डायरेक्ट एनर्जी लेजर वीपन के साथ-साथ स्टील्थ ड्रोन पर भी है। इनको ही भविष्य का मारक हथियार माना जा रहा है।
अंतरिक्ष-आधारित युद्ध तकनीक पर काम किया जाएगा
ऑपरेशन सिंदूर के जरिये पूरी दुनिया को अपनी ताकत से परिचित कराने के चार महीने बाद सरकार ने जो रोडमैप तैयार किया है, उसमें परमाणु ऊर्जा से चलने वाले युद्धपोत, अगली पीढ़ी के युद्धक टैंक, हाइपरसोनिक मिसाइल और अंतरिक्ष-आधारित युद्ध तकनीक पर काम किया जाएगा।
हिंद महासागर में नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए देश में जल्द परमाणु ऊर्जा से चलनेवाला विमान वाहक पोत तैयार किया जाएगा। भविष्य में ऐसे 10 युद्धपोत तैयार करने की योजना है। इन पर देश में ही तैयार लड़ाकू विमान तैनात किए जाएंगे।
देश में अभी दो विमान वाहक पोत हैं
देश में अभी दो विमान वाहक पोत हैं, जिसमें एक रूस का है और दूसरा स्वदेशी युद्धपोत है। युद्धपोतों पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लांच सिस्टम लगाया जाएगा। इसके अलावा सात एडवांस युद्धपोत और चार लैंडिंग डाक प्लेटफार्म भी बनाए जाएंगे।
देश की हवाई ताकत को उन्नत करने के लिए वायुसेना को 75 हाई एल्टीट्यूड सूडो-सैटेलाइट, 150 स्टील्थ बांबर ड्रोन, सैकड़ों प्रिसिजन-गाइडेड हथियार और 100 रिमोट संचालित विमान मिलेंगे। नई पीढ़ीवाले डबल इंजन लड़ाकू विमान, डेक आधारित लड़ाकू विमान और हल्के लड़ाकू विमानों को भी वायुसेना में शामिल करने की योजना है।
ड्रोन को मार गिराने वाले एयर डिफेंस सिस्टम भी तैयार किए जाएंगे
रक्षा मंत्रालय के विजन डाक्यूमेंट के अनुसार, सेना में टी-72 बेड़े की जगह लगभग 1,800 अत्याधुनिक टैंक, पर्वतीय युद्ध के लिए 400 हल्के टैंक, टैंक पर लगनेवाली 50,000 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और 700 से अधिक रोबोटिक काउंटर-आइईडी प्रणालियां शामिल की जाएंगी। ड्रोन को मार गिराने वाले एयर डिफेंस सिस्टम भी तैयार किए जाएंगे।
हाईटेक युद्ध लड़ने की सशस्त्र सेना की योजना
योजना के अनुसार सशस्त्र सेनाओं को स्टील्थ ड्रोन की जरूरत बढ़ेगी। ये ड्रोन 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर सुपरसोनिक स्पीड से उड़ सकेंगे और भारी हथियार लेकर हवाई हमले भी कर सकेंगे।
सेनाओं को साइबर सिक्योरिटी से लैस किया जाएगा
सेनाओं को साइबर सिक्योरिटी से लैस किया जाएगा ताकि सेटेलाइट को हैकिंग से बचाया जा सके। साथ ही सेटेलाइट से संचालित लेजर रेंज फाइंडर और टोही सेटेलाइट की सुविधा भी मिलेगी। हाई एनर्जी लेजर सिस्टम से एंटी-सेटेलाइट आपरेशन में भी काम किया जा सकेगा।
15 साल का विजन डाक्यूमेंट
- 1800 अगली पीढ़ी के टैंक लेंगे टी-72 टैंकों की जगह
- 200 तरह के हथियार जुटाने की योजना 15 साल में
- 500 हाइपरसोनिक मिसाइल खरीदेगी सेना
- 150 स्टील्थ बांबर ड्रोन तैयार होंगे, जो भारी हथियार ले जा सकेंगे
- 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ सकेंगे स्टील्थ बांबर ड्रोन
- 10 विमानवाहक पोत मिलेंगे, परमाणु ऊर्जा से चलेंगे
- 80 अरब डॉलर का रक्षा बजट है भारत का
- 62 राफेल विमान 2030 तक होंगे वायुसेना के पास
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