IndiGo संकट के बीच पढ़िए... कैसे पिछले 25 सालों में भारतीय आसमान से गायब हो गईं ये 9 एयरलाइंस?
इंडिगो में चल रहे संकट के बीच, पिछले 25 वर्षों में भारतीय आसमान से गायब हुई 9 एयरलाइंस पर एक नजर। जेट एयरवेज, किंगफिशर और सहारा एयरलाइंस जैसी कंपनियों ...और पढ़ें

भारतीय आसमान से गायब हो गईं ये 9 एयरलाइंस। (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडिगो एयरलाइन बीते एक हफ्ते गलत कारणों से सुर्खियों में है, जिनमें लंबी देरी और यात्रियों की बढ़ती शिकायत के बाद एयरलाइन डिफेंसिव मोड में आ गई है। इस उथल-पुथल के बावजूद इंडिगो भारतीय विमानन बाजार में 60 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ देश की सबसे बड़ी एयरलाइन बनी हुई है।
इस उथल-पुथल के बीच लोगों को वो दौर या आ रहा है, जिन्होंने बीते 25 सालों में कई एयरलाइन को शुरू होते, आसमान में परवाज भरते और फिर भारतीय आसमान से गायब होते देखा है। आइए देखते हैं कुछ एयरलाइन की कहानी...
एयर सहारा
एयर सहारा भारत के फुल-सर्विस एविएशन स्पेस में बड़े नामों में से एक था। 1991 में शुरू हुई इस एयरलाइन पूरे उत्तरी भारत में और बाद में अंतरराष्ट्रीय उड़नों तक महत्वाकांक्षी रूप से विस्तार किया। अप्रैल 2007 में, जेट एयरवेज ने इसे 1450 करोड़ रुपये में अधिग्रहित कर लिया और इसका नाम बदलकर जेटलाइट कर दिया।

जेटलाइट और जेट एयरवेज दोनों अप्रैल 2019 में एक साथ बंद हो गए, जिससे औपचारिक रूप से एयर सहारा की विरासत समाप्त हो गई।
एयर डेक्कन
साल 2003 में, एयर डेक्कन ने भारतीय हवाई यात्रा को हमेशा के लिए बदल दिया। कैप्टन जी आर गोपीनाथ ने एक क्रांतिकारी विचार पेश किया, जिसमें कोई भी ट्रेन के किराए पर हवाई जहाज से यात्रा कर सकता है। छोटे शहरों को जोड़ने वाले ATR 42 और 72 विमानों के साथ, एयर डेक्कन आम यात्री की एयरलाइन बन गई।

किंगफिशर एयरलाइंस ने 2008 में इसे अधिग्रहित कर लिया, इसका नाम बदलकर सिंपलीफ्लाई डेक्कन और बाद में किंगफिशर रेड कर दिया। जब किंगफिशर बंद हो गया, तो एयर डेक्कन की पहचान भी गायब हो गई।
पैरामाउंट एयरवेज
पैरामाउंट एयरवेज ने 2005 में लॉन्च होने पर एक अनूठा मॉडल पेश किया था। कम कीमतों पर प्रीमियम सीटें। एम्ब्रेयर E170/190 विमान और पूरी तरह से बिजनेस-क्लास पिच के साथ, इसने दक्षिणी बिजनेस यात्रियों को टार्गेट किया। हालांकि, कानूनी विवादों, बकाया भुगतान न होने और फाइनेंशियल मिस मैनेजमेंट की वजह से इसका 2010 में लाइसेंस निलंबित कर दिया गया।

किंगफिशर एयरलाइंस
2005 में विजय माल्या द्वारा लॉन्च की गई किंगफिशर ने लाउंज, शानदार भोजन और टॉप-टियर सेवा के साथ एयरलाइन में ग्लैमर को इंट्रोड्यूस किया। इसने अंतरराष्ट्रीय उड़ान में विस्तार किया और एयर डेक्कन को अपने में मिला लिया। ईंधन की बढ़ती कीमतें और अत्याधिक खर्च ने वित्तीय संकट को जन्म दिया।

क्रू को वेतन का भुगतान नहीं किया गया, विमानों को खड़ा कर दिया गया और बैंकों ने 7000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया हो गया। किंगफिशर का लाइसेंस अक्टूबर 2012 में निलंबित कर दिया गया था, जिससे इसके शानदार युग के अंत हो गया।
जेट एयरवेज
सालों तक भरोसे का प्रतीक रही, जेट एयरवेज की शुरुआत 1993 में हुई और कम ही समय में भारत की प्रमुख प्राइवेट एयरलाइन बन गई और साल 2007 में इसने एयर सहारा को खरीद लिया। जैसे-जैसे कम लागत वाली कंपनियों का दबाव बढ़ा और कर्ज बेकाबू हो गया, जेट अब ऑपरेशन जारी नहीं रख पाई।

अप्रैल 2019 में सभी उड़ानें रोक दी गईं। कई रिवाइवल की कोशिशों के बावजूद कुछ भी नहीं हो पाया। नवंबर 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने लिक्विडेशन का आदेश दिया, जिससे कभी भारत की सबसे सम्मानित एयरलाइन रही कंपनी का चैप्टर आधिकारिक तौर पर बंद हो गया।
ट्रूजेट
2015 में ATR एयरक्राफ्ट के साथ लॉन्च हुई ट्रूजेट ने टियर-2 और टियर-3 शहरों की यात्रा की मांग को पूरा किया। ट्रूजेट ने पूरी तरह से रीजनल कनेक्टिविटी पर ध्यान दिया, लेकिन महामारी के दौरान हुए नुकसान और लगातार वित्तीय दबाव के कारण फरवरी 2022 में इसे बंद करना पड़ा।

हालांकि, निवेशकों ने एयरबस A320 के साथ इसे फिर से शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई है, लेकिन ट्रूजेट अभी भी ग्राउंडेड है।
गो फर्स्ट
गो फर्स्ट 2005 से एविएशन के उतार-चढ़ाव से बची रही थी। 2023 में इसका अचानक बंद होना प्रैट एंड व्हिटनी से इंजन सप्लाई की गंभीर समस्याओं के कारण हुआ, जिससे इसके आधे से ज्यादा बेड़े को ग्राउंडेड करना पड़ा। इसका कर्ज बढ़कर 6521 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया।

कोई भी सही रिवाइवल प्लान न होने के कारण, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने 2025 में लिक्विडेशन का आदेश दिया, जिससे एक और कम लागत वाली एयरलाइन की कहानी खत्म हो गई।
विस्तारा
विस्तारा नुकसान के कारण बंद नहीं हुई। 2015 में टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस की पार्टनरशिप के तौर पर लॉन्च हुई यह उन बहुत कम फुल-सर्विस एयरलाइंस में से एक थी जिसने लगातार लॉयल्टी हासिल की और आगे बढ़ी।

यह ब्रांड नवंबर 2024 में आधिकारिक तौर पर तब खत्म हो गया जब टाटा के एविएशन कंसोलिडेशन के बाद यह एअर इंडिया में मर्ज हो गया और अपनी पहचान और फ्रीक्वेंट-फ्लायर प्रोग्राम को एअर इंडिया के तहत ट्रांसफर कर दिया।
AIX कनेक्ट
AIX कनेक्ट (पहले एर एशिया इंडिया) चुपचाप गायब हो गई। एअर इंडिया के टाटा द्वारा अधिग्रहण के बाद, ग्रुप ने एअर इंडिया एक्सप्रेस और AIX कनेक्ट को एक ही एअर इंडिया एक्सप्रेस ब्रांड के तहत मर्ज कर दिया। 2024 तक, एयरलाइन का नाम AIX कनेक्ट था, जो अब मौजूद नहीं है। इसके ऑपरेशन और एयरक्राफ्ट अब एअर इंडिया एक्सप्रेस नेटवर्क का हिस्सा हैं।

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