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    बजट से पहले बैंकिंग और बीमा के प्रतिनिधियों ने की निर्मला सीतारमण से मुलाकात, इन सुधारों पर दिया जोर

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 10:28 PM (IST)

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पूर्व बैठक में बैंकिंग, बीमा और गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने पर चर्चा की। सरकारी बैंकों को मजबूत करने, एनबीएफसी के लिए फंडिंग व्यवस्था बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज वितरण को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। एनबीएफसी को सरफाएसी कानून के तहत लाने और बीमा व म्यूचुअल फंड निवेश को प्रोत्साहित करने के सुझाव भी दिए गए।

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    अर्थव्यवस्था को 7-8% वृद्धि के लिए बैंकों का सुदृढ़ीकरण

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है। यह स्थिति आने वाले वर्षों में भी बने रहने की पूरी उम्मीद है। लेकिन 7-8 फीसद या इससे तेज गति की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए देश में सरकारी बैंकों को और मजबूत बनाने की जरूरत है।

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    यह बात बुधवार को देश के बैंकिंग, बीमा, गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र (एनबीएफसी) व अन्य वित्तीय क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बजट पूर्व बैठक में उठी। कुछ प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया है कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों में फिर से एकीकरण लागू करना चाहिए ताकि कुछ बैंकों के आकार को मजबूत किया जा सके। वैसे केंद्र सरकार इस तरह की मंशा पहले भी जता चुकी है।

    अर्थव्यवस्था को 7-8% वृद्धि के लिए बैंकों का सुदृढ़ीकरण

    वित्त मंत्री की अध्यक्षता में हुई बजट पूर्व इस बैठक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, भारत सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार वी अनंथ नागेश्वरन और वित्त मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा बैंकिंग, वित्तीय व बीमा सेक्टर (बीएफएसआइ) के कई दिग्गज प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

    बैठक में एनबीएफसी की स्थिति पर खास तौर पर चर्चा हुई है। सभी पक्षों का यह मानना है कि भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए इस सेक्टर की भूमिका अहम होगी। इसके लिए नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) की तरह ही एक नई व्यवस्था करने की जरुरत भी बताई गई ताकि एनबीएफसी के लिए फंडिंग की जरूरत को पूरा किया जा सके।

    एनबीएफसी के लिए फंडिंग व्यवस्था बनाने पर जोर

    वित्त मंत्रालय ने आरबीआइ की मदद से पिछले एक वर्ष में एनबीएफसी की फंडिंग की जरूरत को पूरा करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन उसे नाकाफी माना जा रहा है। दरअसल एनबीएफसी की फंडिंग बैंकों से होती है और फिर वह इसे दूसरे ग्राहकों के बीच वितरित करते हैं।

    एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2025 से वर्ष 2027 के बीच एनबीएफसी को कुल 10.2 लाख करोड़ रुपये की फंडिंग की जरुरत होगी। वर्ष 2024-25 में देश में दिए गए कुल कर्ज में एनबीएफसी का हिस्सा 22 फीसद था। छोटे व मझोले उद्योगों व उपभोक्ता वर्ग के कर्ज में इनकी हिस्सेदारी ज्यादा है।

    कुछ एनबीएफसी के प्रतिनिधियों से सरकार से यह भी आग्रह किया है कि उनके लिए भी प्रतिभूति कानून (सरफाएसी) में कुछ बदलाव करना चाहिए ताकि कर्ज वसूली के लिए हर तरह के एनबीएफसी इस कानून का फायदा उठा सके।

    ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज वितरण बढ़ाने का सुझाव

    इस कानून के तहत वित्तीय संस्थान कर्ज नहीं चुकाने वाले ग्राहकों के खिलाफ कठोर कदम उठा सकते हैं। अभी इसके तहत एनबीएफसी के लिए 20 लाख रुपये कर्ज की सीमा तय है। इससे कम कर्ज वाले ग्राहकों के खिलाफ प्रतिभूति कानून इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

    बैठक में कुछ प्रतिनिधियों ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा कर्ज वितरित करने के लिए उचित व्यवस्था करने के साथ अ‌र्द्ध-शहरी व ग्रामीण इलाकों में बीमा व म्यूचुअल फंड के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष कदम उठाए जाने चाहिए। ध्यान रहे कि वित्त मंत्री सीतारमण आम बजट 2026-27 संभवत: एक फरवरी, 2026 को पेश करेंगी। इसके लिए उन्होंने समाज व अर्थव्यवस्था के हर तबके के प्रतिनिधियों से विमर्श शुरु किया है।