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    400 बांग्लादेशियों का बनाया भारतीय पासपोर्ट, दो करोड़ रुपये का हुआ लेनदेन; ED ने किया रैकेट का भंडाफोड़

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 07:07 AM (IST)

    बंगाल में फर्जी पासपोर्ट गिरोह की ईडी की जांच में 400 बांग्लादेशीघुसपैठियों की पहचान हुई है, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय पासपोर्ट बनवाए थे। इस रैकेट में पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक और उसके सहयोगी इंदु भूषण शामिल थे, जो हवाला लेनदेन और फर्जी पहचान पत्र बनाने का काम करते थे। ईडी ने दो करोड़ से अधिक के लेनदेन का राजफाश किया है।

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    बंगाल में फर्जी पासपोर्ट गिरोह की ईडी की जांच में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान हुई है (सांकेतिक तस्वीर)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल में फर्जी पासपोर्ट गिरोह की ईडी की जांच में 400 बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान हुई है, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय पासपोर्ट बनवाए थे।

    ईडी ने दो करोड़ से अधिक के लेनदेन का राजफाश किया

    इस रैकेट में पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक और उसके सहयोगी इंदु भूषण शामिल थे, जो हवाला लेनदेन और फर्जी पहचान पत्र बनाने का काम करते थे। ईडी ने दो करोड़ से अधिक के लेनदेन का राजफाश किया है।

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    सूत्रों के मुताबिक ईडी ने कोलकाता के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से इसकी जानकारी जुटाई है। ईडी ने हाल में बंगाल के नदिया जिले के चकदह शहर में चल रहे फर्जी पासपोर्ट रैकेट के सिलसिले में अहम संचालक इंदु भूषण को गिरफ्तार किया था।

    फर्जी भारतीय पासपोर्ट रैकेट का भंडाफोड़

    वह पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक का भी सहयोगी था, जिसे इसी साल की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। वह फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर भारतीय नागरिक बन गया और धीरे-धीरे उसने कोलकाता में अपने किराए के मकान से हवाला और फर्जी भारतीय पासपोर्ट रैकेट चलाना शुरू कर दिया।

    दो करोड़ से अधिक का लेनदेन

    ईडी सूत्रों के अनुसार आजाद ने इंदुभूषण हलदर के अलावा सात और लोगों के पासपोर्ट बनवाए। ईडी को फर्जी पासपोर्ट मामले में दो करोड़ रुपये से ज्यादा के लेनदेन के सुराग मिले हैं। यह लेनदेन इंदुभूषण के जरिए ही किया गया था।

    इंदुभूषण ने एक कैफे किराए पर लेने के लिए एक लाख 15 हजार रुपए खर्च किए। उसने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके 300 से ज्यादा पासपोर्ट बनवाए। जांच के अनुसार इंदुभूषण मुख्यतया बांग्लादेशियों के लिए पासपोर्ट बनाता था। इसके लिए पहले उनका आधार और पैन कार्ड बनाया जाता था और बाद में उसका नाम मतदाता सूची में शामिल कराया जाता था।

     फर्जी दस्तावेजों से पासपोर्ट बनाने के लिए पांच लाख रुपये लिए जाते थे

    फिर फर्जी पते का इस्तेमाल पर बांग्लादेशियों का पासपोर्ट बनाया जाता था और इसके लिए फर्जी दस्तावेज दिए जाते थे। जब पासपोर्ट डाकघर पहुंचता था तो आरोपितों की डाकघर के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत होती थी और वहां से पासपोर्ट ले लिया जाता था। फर्जी दस्तावेजों से पासपोर्ट बनाने के लिए पांच लाख रुपये लिए जाते थे।