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    चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों में लाई जाएगी नरमी, ई-कॉमर्स निर्यात हब की

    भारत ट्रंप टैरिफ और वैश्विक परिदृश्य में बदलाव को देखते हुए बड़े आर्थिक सुधारों की ओर बढ़ रहा है। सरकार अगले 100 दिनों में चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों को सामान्य करने ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब शुरू करने लेदर उद्योग के लिए पर्यावरण नियमों में छूट देने जैसे कई फैसले ले सकती है। पीएमओ नीति आयोग के साथ मिलकर जीएसटी के नए वर्जन पर काम कर रहा है।

    By Rajneesh Kumar Pandey Edited By: Piyush Kumar Updated: Mon, 18 Aug 2025 10:00 PM (IST)
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    चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों में लाई जाएगी नरमी।(फाइल फोटो)

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। ट्रंप टैरिफ और तेजी से बदलते वैश्विक परिद-श्य को देखते हुए भारत बड़े आर्थिक सुधार करने की दिशा में सक्रिय हो गया है। जीएसटी में सुधार की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही कर चुके हैं। अब सरकार के मंत्रालयों ने अगले 100 दिनों में किए जाने वाले संभावित बड़े आर्थिक फैसलों पर काम करना शुरू कर दिया है।

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    इन फैसलों में चीन से साथ व्यापारिक रिश्तों को नरम करने के साथ, ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब की शुरुआत, लेदर उद्योग के लिए पर्यावरण नियम में छूट, स्टार्टअप को टैक्स में और छूट, तंबाकू व फार्मा व्यापारी की पंजीयन नवीनीकरण की समय सीमा को बढ़ाना और औद्योगिक मंजूरी के पोर्टल को और अपडेट करना शामिल है।

    नीति आयोग के साथ लगातार बैठक कर रहा PMO 

    वित्त मंत्रालय को अगले 100 दिनों में जीएसटी का नया वर्जन लागू करना है जिस पर पहले ही काम शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस दिशा में नीति आयोग, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार के साथ कैबिनेट की आर्थिक कमेटी के सदस्यों के साथ बैठक कर रहा है।

    सूत्रों के मुताबिक सरकार विदेशी निवेश को लेकर चीन के प्रस्ताव पर केस टू केस आधार पर विचार कर सकता है। पिछले कुछ सालों से चीन के निवेश प्रस्ताव की मंजूरी के लिए काफी कठिन नियम लागू है।

    जल्द ही पीएम मोदी से मिलेंगे चीनी विदेश मंत्री

    सोमवार को चीन और भारत के विदेश मंत्रियों की नई दिल्ली में मुलाकात हो रही है और मंगलवार को चीन के विदेश मंत्री देश के प्रधानमंत्री से भी मुलाकात कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जल्द ही चीन का दौरा कर सकते हैं।

    इस बदलते वातावरण में चीन के साथ भारत की व्यापारिक सहभागिता बढ़ सकती है और इस क्रम में ही उपभोक्ता वस्तु, रिन्युएबल एनर्जी जैसे सामान्य सेक्टर में चीन की कंपनियों के निवेश प्रस्ताव पर सरकार विचार कर सकती है। लेकिन रणनीतिक सेक्टर में चीन की कंपनियों के लिए निवेश का दरवाजा नहीं खुलेगा।

    चीन अपने आईटी सेक्टर में भी भारतीय कंपनियों को काम नहीं देता

    चीन के निवेश प्रस्ताव से जुड़े नियम में ढील देकर भारत चीन के बाजार में भारतीय वस्तुओं की प्रवेश बढ़ाने की बात कर सकता है। अभी फार्मा, प्रोसेस्ड व अन्य खाद्य वस्तुओं का निर्यात चीन में बिल्कुल नहीं हो पाता है। चीन अपने आईटी सेक्टर में भी भारतीय कंपनियों को काम नहीं देता है। चीन में भारत का निर्यात बढ़ने से चीन से हमारा व्यापार घाटा भी कम होगा।

    चालू वित्त वर्ष 2025-26 के अप्रैल-जुलाई में भारत ने चीन से 40.66 अरब डालर का आयात किया जबकि भारत इस अवधि में चीन में सिर्फ 5.76 अरब डॉलर का ही निर्यात कर पाया। वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अगले 100 दिनों में किए जाने वाले बड़े आर्थिक बदलावों को लेकर अपने मंत्रालय के अधिकारियों के साथ सोमवार को महत्वपूर्ण बैठक भी की।

    सूत्रों के मुताबिक जल्द ही ई-कामर्स एक्सपोर्ट हब की शुरुआत कर दी जाएगी ताकि निर्यात को प्रोत्साहन मिल सके। वैसे ही लेदर यूनिट की स्थापना के लिए पर्यावरण नियम में छूट पर भी फैसला लिया जा सकता है।

    गत 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने अगले चरण के आर्थिक सुधारों के लिए टास्कफोर्स गठित करने की घोषणा की थी। टास्कफोर्स के गठन को लेकर नीति आयोग और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद से सलाह ली जा रही है।

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