इंडिगो फ्लाइट्स कैंसिल: एक दिन 300 से ज्यादा उड़ानें रद, हजारों यात्री परेशान; DGCA में चल रही बैठक
4 दिसंबर, 2025 को इंडिगो ने 300 से अधिक उड़ानें रद्द कर दीं, जिससे हवाई अड्डों पर यात्रियों को भारी परेशानी हुई। उड़ानों में देरी हुई और इंडिगो के शेय ...और पढ़ें

इंडिगो उड़ानें रद्द: हवाई अड्डों पर अफरा-तफरी, डीजीसीए की बैठक जारी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के उड्डयन इतिहास में 4 दिसंबर, 2025 का दिन बहुत ही मनहूस माना जाएगा। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो ने गुरुवार को अपनी 300 से अधिक उड़ानों को रद्द किया और इसके लिए समय पर यात्रियों को जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराई। इस वजह से दिल्ली से लेकर हैदराबाद तक और मुंबई से लेकर बेंगलुरु तक के दर्जनों हवाई अड्डों पर हजारों यात्रियों को जबरदस्त असुविधा का सामना करना पड़ा है।
दिल्ली में 95, मुंबई में 85, हैदराबाद में 70 और बेंगलुरु में 50 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द हुई हैं।जो उड़ानें उड़ पाईं, वो भी देरी से उड़ीं। पिछले तीन दिनों से इंडिगो की उड़ानों के साथ यह समस्या चल रही है, जो गुरुवार को और अधिक बढ़ गई। सामान्य तौर पर जहां भारत में 75-80 फीसद उड़ानें समय पर रहती हैं। उनका औसत घट कर 20 फीसद के करीब आ गया है। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि अभी समस्या का समाधान निकलता नहीं दिख रहा।

शेयर की कीमत पर पड़ रहा असर
इस हालात का असर इंडिगो के शेयरों की कीमत पर भी देखने को मिली है, जो गुरुवार को तीन फीसद तक टूटे हैं। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के साथ मौजूदा स्थिति पर इंडिगो के अधिकारियों के साथ दोपहर को बैठक भी हुई है, लेकिन खबर लिखे जाने तक आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी ना तो कंपनी की तरफ से दी गई है, ना ही सरकार की तरफ से।
कंपनी की तरफ से पूरी समस्या के लिए डीजीसीए की तरफ से लागू किए गए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट (एफडीटीएल) को बताया जा रहा है। इस नए नियम के तहत पायलटों की अधिकतम ड्यूटी 13 घंटे से घटाकर 10-11 घंटे की गई है, लगातार ड्यूटी के बाद अनिवार्य रेस्ट पीरियड बढ़ाया गया है और रात की उड़ानों (नाइट लैंडिंग) पर सख्त पाबंदी लगाई गई है।

सरकार का कहना है कि एफडीटीएल नियमों को हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए किया गया है और यह अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत किया गया है। थकान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विमान दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण माना जाता है और पायलटों व क्रू सदस्यों को ज्यादा आराम दे कर दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। उक्त नियमों को दुनिया भर की विमानन नियामक एजेंसियों ने मिल कर बनाया है, लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है।
दरअसल, ये नियम दो वर्ष से भी ज्यादा पुराने हैं और सरकारी एजेंसी ने इंडिगो को इन नियमों के पालन के लिए दो वर्ष का समय दिया हुआ था। समस्या की जड़ यह है कि भारी मुनाफा कमाने के बावजूद इंडिगो ने समय पर क्रू और पायलटों की भर्ती नहीं की। अब कंपनी रद्द उड़ानों के पीछे आधिकारिक वजह यह बता रही है कि विमान चालक अचानक अनुपलब्ध हैं। कई लोगों का मानना है कि भारतीय एविएशन मार्केट में 65 फीसद के करीब हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो असलियत में सरकार पर दबाव बनाने के लिए विमान चालक को इस तरह से अस्थिर कर रही है।

बहरहाल, डीजीसीए के अभी तक के रुख से ऐसा लग रहा है कि वह नियमों को ढीला करने को तैयार नहीं है।पायलट यूनियनों का आरोप है कि इंडिगो ने इस दौरान पायलटों और केबिन क्रू की भर्ती पर पूरी तरह रोक (लगा दी थी। नतीजा यह हुआ कि जैसे ही नए नियम लागू हुए, एक साथ सैकड़ों क्रू मेंबर्स की कमी पैदा हो गई।
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (एफआइपी) और एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएलपीए) ने साफ कहा है कि इंडिगो ने जानबूझकर तैयारी नहीं की ताकि बाद में डीजीसीए पर नए नियमों को ढीला करने का दबाव बनाया जा सके। दोनों यूनियनों ने नियामक से मांग की है कि जब तक एयरलाइंस के पास पर्याप्त स्टाफ न हो, उनकी विंटर शेड्यूल को मंजूरी न दी जाए।

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