Explained: पूरे भारत में इंडिगो की 200 से ज्यादा फ्लाइट्स क्यों कैंसिल हुईं?
IndiGo Flights Cancelled: इंडिगो एयरलाइंस ने खराब मौसम और परिचालन संबंधी कारणों से पूरे भारत में 200 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल कर दीं। भारी बारिश और व ...और पढ़ें

इंडिगो की 200 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। IndiGo Flights Cancelled: भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन में से एक इंडिगो इस समय अपने सबसे गंभीर ऑपरेशनल दिक्कतों में से गुजर रही है। इसी बीच मंगलवार और बुधवार को देश के कई बड़े एयरपोर्ट पर 200 से ज्यादा फ़्लाइट कैंसिल हो गईं और सैकड़ों देर से चलीं। इस दिक्कत की वजह से हजारों पैसेंजर फंसे रहे।
इस दौरान टर्मिनल पर लंबी कतारें लग गईं। एयरलाइन्स पर यह सवाल भी उठने लगे कि अचानक शेड्यूल में क्या गड़बड़ हुई? रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडिगो की फ्लाइट्स में देरी की वजह क्रू की कमी, नए ड्यूटी-टाइम नियम, खास एयरपोर्ट पर टेक्निकल खराबी और सर्दियों के पीक ऑपरेशन के दौरान भारी भीड़ शामिल हैं। आइये विस्तार से समझते है क्या है पूरी समस्या?
समस्या की मुख्य वजह
1. क्रू की बहुत भीषण कमी
नवंबर से लागू नए ड्यूटी-टाइम नियम के बाद से इंडिगो पायलटों और केबिन क्रू की भीषण कमी से जूझ रहा है। अपडेटेड नियमों ने पायलटों के उड़ान भरने के घंटों की संख्या में भारी कमी कर दी और जरूरी आराम की जरूरतें बढ़ा दीं हैं।
इंडिगो की कई फ़्लाइटें सिर्फ इसलिए नहीं निकल पाईं क्योंकि उन्हें चलाने के लिए कोई कानूनी तौर पर क्रू मौजूद नहीं था। कई एविएशन सोर्स ने कहा कि एयरलाइन एक ऐसे पॉइंट पर पहुंच गई थी जहां पूरे रोटेशन कैंसिल करने पड़े क्योंकि पहले रोस्टर में शामिल पायलट अब बदली हुई लिमिट के तहत उड़ान भरने के लायक नहीं थे।
2. नया रोस्टर नियम (FDTL नॉर्म्स) बना परेशानी का सबब
भारत में फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) का नया फेज थकान कम करने और सुरक्षा बेहतर करने के लिए बनाया गया है। इंडिगो, जो एशिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है, जिसमें रोज़ाना 2,200 से ज्यादा फ्लाइट शामिल है उसे समय पर रोस्टर फिर से बनाने में मुश्किल आ रही है।
नए नॉर्म्स के लिए ड्यूटी शेड्यूल, नाइट-लैंडिंग प्लान और हफ्ते के रेस्ट चार्ट में बड़े बदलाव करने पड़े। एयरलाइन के शेड्यूलिंग सिस्टम पूरी तरह से स्थिर नहीं हुए थे, और नई जरूरतों की वजह से ज्यादा भीड़ वाले रूट पर क्रू की अचानक कमी हो गई।
3. बड़े एयरपोर्ट पर तकनीकी खामियां
मंगलवार को, दिल्ली और पुणे समेत कई एयरपोर्ट पर चेक-इन और डिपार्चर कंट्रोल सिस्टम में खराबी की खबर आई, जिससे इंडिगो के कई रोटेशन में लंबी लाइनें लग गईं।
इस समस्या की वजहसे डिपार्चर में देरी हुई। दिन भर में देरी तेजी से बढ़ती गई, जिससे एयरक्राफ्ट और क्रू के आने-जाने की चेन बिगड़ गई।
4. एयरपोर्ट पर भीड़ और सर्दियों में ट्रैफिक बनी समस्या
यात्रियों की ज्यादा संख्या, सर्दियों में कोहरे की वजह से ऑपरेशन पर दबाव, और बड़े मेट्रो एयरपोर्ट पर पीक-ऑवर में भीड़ ने इंडिगो देरी को वापस पाने की क्षमता को और कम कर दिया। अपने व्यस्त शेड्यूल के कारण, छोटी-मोटी देरी का भी उसके पूरे नेटवर्क पर असर पड़ता था।
इंडिगो की वेबसाइट बताती है कि एयरलाइन रोजाना 2,200 से ज्यादा उड़ाने संचालित करती है। मंगलवार के सरकारी डेटा से पता चला कि इसका ऑन-टाइम परफॉर्मेंस गिरकर सिर्फ 35 परसेंट रह गया था। इसका मतलब है कि एक ही दिन में 1,400 से ज्यादा उड़ानों में देरी हुई।
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के अनुसार, नवंबर महीने में कुल 1,232 फ़्लाइट्स कैंसिल हुईं।
नए रोस्टर नियम में क्या हैं?
भारत के सिविल एविएशन रेगुलेटर ने क्रू की थकान कम करके सुरक्षा को बेहतर बनाने के मकसद से FDTL के कड़े नियम लागू किए हैं। आइये जानते हैं इन बदलावों में क्या-क्या शामिल हैं?
1. हफ्ते में अधिक आराम की जरूरत
पायलटों को अब हर सप्ताह में अधिक आराम का समय मिलना चाहिए। इससे वे कानूनी तौर पर लगातार कितनी ड्यूटी कर सकते हैं, इसकी संख्या कम हो जाती है और रोस्टर प्लानिंग पर असर पड़ता है।
2. रात में लैंडिंग पर रोक
एक पायलट एक तय समय में जितनी रात में लैंडिंग कर सकता है, उसकी संख्या छह से घटाकर दो कर दी गई है। जो एयरलाइंस रात के समय के ऑपरेशन पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, उन पर इसका काफी असर पड़ा है।
3. कम किए गये ड्यूटी के घंटे
नियमों में लगातार ड्यूटी के समय पर ज्यादा सख्ती की गई है, जिसका मतलब है कि एक ही शेड्यूल पर ज्यादा पायलटों को काम करना होगा।
DGCA ने उड़ान के समय की लिमिट तय की है:
- हर दिन 8 घंटे
- हर सप्ताह 35 घंटे
- हर महीने 125 घंटे
- हर साल 1,000 घंटे
नियम के मुताबिक क्रू को अपनी फ़्लाइट ड्यूटी के समय के दोगुने के बराबर आराम का समय भी मिलना चाहिए। जिसमें 24 घंटे के समय में कम से कम 10 घंटे का आराम शामिल है।
नियम सुरक्षा में सुधार करते हैं लेकिन एयरलाइंस, खासकर जिनके पास फ़ास्ट-टर्नअराउंड मॉडल हैं, उन्हें हर प्लेन में ज्यादा पायलट तैनात करने की जरूरत होती है। इंडिगो का बड़ा ओवरनाइट नेटवर्क इस बदलाव से खास तौर पर कमज़ोर था।
दूसरी एयरलाइंस पर ऐसा असर क्यों नहीं पड़ता? हालांकि नए नियम सभी एयरलाइन पर लागू होते हैं, लेकिन इंडिगो में सबसे ज़्यादा दिक्कत कई स्ट्रक्चरल वजहों से है। आइये जानते हैं क्यों?
1. स्केल और फ्रिक्वेंसी
इंडिगो भारत की ज़्यादातर डोमेस्टिक फ़्लाइट्स ऑपरेट करता है। इतने ज़्यादा वॉल्यूम के साथ, एक छोटी सी दिक्कत भी पूरे देश में बड़ा असर डालती है।
2. बड़ा नाइट-टाइम नेटवर्क
जहां एयर इंडिया, विस्तारा और अकासा जैसी एयरलाइनें रात में कम सेक्टर ऑपरेट करती हैं, वहीं इंडिगो कई हाई-फ़्रीक्वेंसी ओवरनाइट सर्विस चलाती है। नाइट लैंडिंग पर लिमिट ने तेज़ी से कम कर दिया कि एक क्रू पेयरिंग कानूनी तौर पर कितनी फ़्लाइट ऑपरेट कर सकती है।
3. टाइट क्रू यूटिलाइजेशन मॉडल
इंडिगो की नेटवर्क एफ़िशिएंसी क्रू के घंटों को ज़्यादा से ज़्यादा करने और डाउनटाइम को कम से कम करने पर निर्भर करती है। एक बार जब ड्यूटी-टाइम लिमिट टाइट हो गईं, तो लगभग तुरंत गैप खुल गए।
4. नेटवर्क रीअलाइनमेंट में कम फ़्लेक्सिबिलिटी
छोटे नेटवर्क वाली एयरलाइनों को शेड्यूल एडजस्ट करना आसान लगा। इंडिगो के कनेक्शन के बड़े मैट्रिक्स ने पायलटों और केबिन क्रू को जल्दी से रीशफ़ल करना मुश्किल बना दिया।
कब सुधरेंगे हालात?
इंडिगो का कहना है कि वह 'कैलिब्रेटेड एडजस्टमेंट' करने की कोशिश की जा रही है और उम्मीद है कि लगभग 48 घंटों में ऑपरेशन स्टेबल हो जाएगा।
एयरलाइन ज्यादा स्ट्रेस वाले रूट पर क्रू को फिर से तैनात कर रही है, रात के शेड्यूल में बदलाव कर रही है साथ ही आखिरी समय में अफरा-तफरी से बचने के लिए पहले से प्लान किए गए कैंसलेशन कर रही है।
इंडिगो ने एक बयान में कहा, 'हम अपने कस्टमर्स से सच में माफी मांगते हैं। कई अचानक आई ऑपरेशनल मुश्किलों, जिनमें छोटी-मोटी टेक्नोलॉजी की गड़बड़ियां, सर्दियों के मौसम से जुड़े शेड्यूल में बदलाव, खराब मौसम, एविएशन सिस्टम में बढ़ी भीड़ और अपडेटेड क्रू रोस्टरिंग नियमों को लागू करना शामिल है, का हमारे ऑपरेशन पर बुरा असर पड़ा है।'

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