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    'हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किसी भी दबाव से मुक्त रहना चाहिए', चीन की दादागीरी पर राजनाथ सिंह की दो टूक

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 12:16 PM (IST)

    मलेशिया में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह ने भारत के 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' और क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की बात कही। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र और दबाव-मुक्त रहना चाहिए।   

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    हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किसी भी प्रकार के दबाव से मुक्त रहना चाहिए: राजनाथ सिंह (फोटो- PTI)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, समावेशी और किसी भी प्रकार के दबाव से मुक्त रहना चाहिए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात क्षेत्र में चीन की सैन्य ताकत के प्रदर्शन को लेकर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच कही।

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    दरअसल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह टिप्पणी मलेशिया के कुआलालंपुर में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (एडीएमएम-प्लस) में की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत आसियान के नेतृत्व वाले समावेशी क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के पक्ष में है।

    उन्होंने एडीएमएम-प्लस को लेकर कहा कि यह एक मंच है जिसमें 11 देशों का आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) और उसके आठ संवाद साझेदार - भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की शुरुआत से ही एडीएमएम-प्लस सक्रिय और रचनात्मक भागीदार बन रहा है। हमें तीन विशेषज्ञ कार्य समूहों की सह-अध्यक्षता का अवसर प्राप्त हुआ है -मानवीय माइन एक्शन, वियतनाम के साथ 2014 से 2017 तक, सैन्य चिकित्सा, म्यांमार के साथ 2017 से 2020 तक, मानवीय सहायता और आपदा राहत, इंडोनेशिया के साथ 2020 से 2024 तक, और वर्तमान में - आतंकवाद-रोधी, मलेशिया के साथ 2024 से 2027 तक।

    आसियान के साथ भारत का संबंध पहले से ही

    भारत के लिए एडीएमएम-प्लस, उनकी 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' और व्यापक इंडो-पैसिफिक विजन का सिद्धांत शामिल है। हालांकि आसियान के साथ भारत का संबंध पहले से ही बना हुआ है, लेकिन इस तंत्र ने रक्षा सहयोग के लिए एक संरचित मंच प्रदान किया है, जो हमारे राजनयिक और आर्थिक पहलुओं को और क्षेत्र प्रदान करता है। 2022 में, जब आसियान-भारत साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी का महत्व मिला, तो यह केवल राजनीतिक परिपक्वता का प्रतीक नहीं था, बल्कि क्षेत्रीय प्राथमिकताओं में गहरी समानता का भी प्रमाण था।

    एडीएमएम-प्लस का विकास, हमारे क्षेत्र की कमजोर सुरक्षा वास्तविकताओं का विवरण है। अब यह मंच नए क्षेत्र जैसे साइबर खतरे, समुद्री डोमेन जागरूकता और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में भी सक्रिय है। इस मंच ने यह सिद्ध किया है कि गैर-पारंपरिक सुरक्षा सहयोग, राष्ट्रों के बीच विश्वास निर्माण का एक प्रभावी माध्यम हो सकता है। मानवीय सहायता, आपदा राहत और समुद्री सुरक्षा से जुड़े संबंधों ने देशों के बीच संयुक्त अभियानों में परिचय और विश्वास की गहराई दी है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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