SC की फटकार के बाद भी नहीं सुधार, इंदौर पुलिस में ‘गवाह घोटाला’, हत्या, दुष्कर्म सहित 1250 गंभीर मामलों में दो ‘पॉकेट गवाह’
इंदौर पुलिस एक गंभीर विवाद में घिर गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद सुधार नहीं हुआ है। पुलिस पर हत्या और दुष्कर्म सहित 1250 गंभीर मामलों ...और पढ़ें

इंदौर पुलिस में ‘गवाह घोटाला’।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शहर के चंदन नगर थाना पुलिस के ‘पाकेट गवाह’ मामले में सुप्रीम कोर्ट में किरकिरी होने के बाद भी इंदौर पुलिस ने कोई सबक नहीं सीखा। अब खजराना थाना क्षेत्र में बड़ा ’गवाह घोटाला‘ सामने आया है। यहां पुलिस ने हत्या, लूट, दुष्कर्म सहित 1250 गंभीर मामलों में दो लोगों को गवाह बनाकर प्रस्तुत कर दिया। इनमें 333 मामले दुष्कर्म, पॉक्सो, हत्या और एनडीपीएस जैसे गंभीर अपराध के शामिल हैं।
इतना ही नहीं, कुछ केस ऐसे भी हैं, जिनमें ‘पॉकेट गवाहों’ को भी जानकारी नहीं थी कि उनका नाम गवाह के रूप में शामिल है। पुलिसकर्मियों ने ही उनके जाली हस्ताक्षर कर बयान दर्ज कर लिए।
सुप्रीम कोर्ट लगा चुका है फटकार
बता दें कि इससे पहले चंदन नगर थाना पुलिस से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने 165 मामलों में दो गवाह होने का तथ्य सामने आया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने थाना प्रभारी इंद्रमणि पटेल को फटकार लगाई थी। कहा था कि तुम दुर्भाग्य से उस कुर्सी पर बैठे हो, तुम्हें वहां नहीं होना चाहिए। इसके बावजूद इंद्रमणि पटेल पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
अब नया मामला सामने आया है। फर्जी गवाह कांड सामने आने के बाद पुलिस कमिश्नर ने डीसीपी को जांच सौंपी है। मजदूरी करने वाले इरशाद पुत्र अब्दुल हकीम और नवीन पुत्र रामचंद्र चौहान खजराना पुलिस के पाकेट गवाह हैं। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद तत्कालीन एसीपी जयंत सिंह राठौर ने जांच की। उनकी रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए अब कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने विभागीय जांच बैठा दी है।
जोन-1 के डीसीपी कृष्ण लालचंदानी ने तत्कालीन टीआइ दिनेश वर्मा को नोटिस भेजा है। फर्जी गवाह के ये सभी मामले वर्ष 2022 से 2023 के बीच के है। जांच में इरशाद और नवीन के अलावा गणेश और शिवदिन का नाम भी सामने आया। दोनों की कई प्रकरणों में गवाही मिली।
पूछताछ में इन्होंने बताया कि पुलिस वालों से दोस्ती है। थाने में उठना-बैठना रहता है। गवाह न मिलने पर पुलिसवाले खुद ही हमारे साइन कर देते थे। गिरफ्तारी, मौका पंचनामा, जब्ती पत्रक में नाम लिख कर बयान के लिए कोर्ट बुला लेते थे। रिपोर्ट में नकली साइन का उल्लेख किया गया है।

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