उद्योगपति किरण मजूमदार बेंगलुरु की सड़कों के लिए करना चाहती हैं फंडिंग, चिदंबरम बोले- पैसों की कमी नहीं है...
कांग्रेस सांसद पी. चिदंबरम ने कहा कि किरण मजूमदार-शॉ ने बेंगलुरु की सड़कों की मरम्मत के लिए फंडिंग का प्रस्ताव दिया है। चिदंबरम ने इस पेशकश का स्वागत किया, लेकिन कहा कि समस्या पैसों की कमी नहीं, बल्कि सार्वजनिक कार्यों के अमल में है। उन्होंने सुझाव दिया कि निगरानी के लिए एक नई प्रणाली अपनाई जा सकती है, जिसमें किसी कंपनी या उद्योगपति को काम की निगरानी की जिम्मेदारी दी जाए।
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद पी. चिदंबरम ने दावा किया है कि बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार-शॉ ने बेंगलुरु की सड़कों की मरम्मत के लिए फंडिंग की पेशकश की है। उन्होंने इस पेशकश का स्वागत किया, लेकिन कहा कि समस्या पैसों की कमी नहीं, बल्कि सार्वजनिक कार्यों के अमल में है।
गौरतलब है कि किरण मजूमदार शॉ और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच बेंगलुरु की नागरिक सुविधाओं को लेकर ऑनलाइन तनातनी चल रही है।
चिदंबरम ने अपने ऑनलाइन पोस्ट में लिखा, "मैंने किरण मजूमदार शॉ की बेंगलुरु की कुछ सड़कों के विकास के लिए फंडिंग की पेशकश को रुचि के साथ देखा। यह एक शानदार पेशकश है। बधाई। लेकिन हमारी सार्वजनिक परियोजनाओं की समस्या पैसों की कमी नहीं, बल्कि उनके अमल में है।"
एक नई व्यवस्था अपनाने की मांग
चिदंबरम ने सुझाव दिया कि इस समस्या को हल करने के लिए एक नया सिस्टम अपनाया जा सकता है, जिसमें किसी कंपनी या उद्योगपति जैसे किरण मजूमदार-शॉ को काम की निगरानी की जिम्मेदारी दी जाए। उन्होंने कहा कि ठेकेदार का चयन निविदा प्रक्रिया के जरिए हो सकता है, लेकिन काम की गुणवत्ता और समय पर पूरा होने की जिम्मेदारी निगरानी करने वाली कंपनी या उद्योगपति पर होगी।
उन्होंने आगे कहा, "ठेकेदार सड़क जैसे सार्वजनिक कार्य को अंजाम देगा, लेकिन निगरानी करने वाली कंपनी या उद्योगपति काम की गुणवत्ता और समय पर पूरा होने के लिए जिम्मेदार होंगे। कोई भी पेनल्टी या लागत में बढ़ोतरी की जिम्मेदारी भी उनकी होगी।"
चिदंबरम ने सुझाव दिया कि इस विचार को चेन्नई या बेंगलुरु में आजमाया जा सकता है।
शॉ और शिवकुमार के बीच क्यों है तनातनी?
किरण मजूमदार शॉ ने हाल ही में बेंगलुरु की सड़कों की स्थिति को लेकर कर्नाटक सरकार की आलोचना कर चुकी हैं। उनकी इस आलोचना पर डीके शिवकुमार ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि शॉ अपनी जड़ें भूल गई हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि शॉ का कोई निजी एजेंडा है।
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