प्रतिभाओं के आने-जाने को रोकने वाले देश रहेंगे घाटे में: जयशंकर का बिना नाम लिए अमेरिका पर निशाना
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि प्रतिभाओं के आवागमन को बाधित करने वाले देशों को नुकसान होगा। उन्होंने रायसीना@सिडनी बिजनेस ब्रेकफास्ट में ज्ञान और क ...और पढ़ें

विदेश मंत्री एस जयशंकर। (एएनआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका व कुछ अन्य देशों की तरफ से भारतीय प्रतिभाओं को अपने यहां रोजगार देने की राह में अड़चन पैदा करने वालों को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चेतावनी दी ही है कि ऐसा करके वो अपने हितों को भी नुकसान पहुंचाएंगे। बुधवार को यहां एक कार्यक्रम में जयशंकर ने साफ कहा कि जो देश पेशेवरों और कुशल प्रतिभा के सीमा-पार आवागमन में अड़ंगे लगा रहे हैं, वे अंतत: खुद ही “नेट लूजर'' साबित होंगे।
उन्होंने इस बारे में अपनी सरकार की तरफ से उठाये जाने वाले कदमों को गिनाया और यह बताया कि भारत को दुनिया के दूसरे देशों को यह समझाना होगा कि एक दूसरे की प्रतिभाओं का उपयोग दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद है।
अमेरिका की ट्रंप सरकार की नई नीति एच-1बी वीजा को हतोत्साहित करने की है। ऐसे में जयशंकर ने बगैर किसी देश का नाम लिये कहा कि, “अगर आप अत्याधुनिक मैन्युफैक्चरिंग के दौर में कदम रख रहे हैं, तो आपको ज्यादा प्रतिभा चाहिए होगी। प्रतिभा के प्रवाह में बहुत ज्यादा रुकावटें डालने वाले देश खुद ही नुकसान में रहेंगे।''
उन्होंने आगे कहा कि कई बार तकनीक और उद्यमिता के अग्रणी लोग ही मोबिलिटी के पक्ष में सबसे मजबूत आवाज उठाते हैं, जबकि कुछ राजनीतिक आधार वाले लोग इसका विरोध करते हैं। विदेश मंत्री ने प्रतिभाओं के आवागमन को रोकने को लेकर चल रही राजनीति को चीन से मैन्युफैक्चरिंग हब को बाहर ले जाने की कुछ कंपनियों की कोशिशों से भी जोड़ा। उनका इशारा साफ था कि विकसित देशों में रोजगार का दबाव विदेशी पेशेवरों के आने से कम, बल्कि मैन्युफैक्चरिग को बाहर जाने देने से ज्यादा है।
प्रवासी भारतीयों के योगदान को रेखांकित करते हुए जयशंकर ने बताया कि पिछले साल भारत को 135 अरब डॉलर की राशि विदेशों से रेमिटेंस के तौर पर मिला। जो अमेरिका को हमारे निर्यात का लगभग दोगुना है। “यह सिर्फ रेमिटेंस है। इसके अलावा विदेश में बसे भारतीयों ने वहां अपनी आजीविका बनाई, संपत्ति बनाई, यह सब अलग से जोड़ें तो योगदान और बड़ा है।'' इसके साथ ही उन्होंने अवैध प्रवास के खतरों से भी आगाह किया। “मानव तस्करी, इससे जुड़े अपराध और कई बार राजनीतिक या अलगाववादी एजेंडे वाले लोग इसी अवैध चैनल का इस्तेमाल करते हैं।''
भारत सरकार की कोशिशों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल में सिर्फ खाड़ी देशों में ही मदद पोर्टल के जरिए 1.38 लाख शिकायतों का निपटारा किया गया। इसके अलावा इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड से 2.38 लाख लोगों को मदद पहुंचाई गई। इसमें टिकट खरीदकर स्वदेश लौटाने से लेकर कानूनी मामलों और अंतिम संस्कार तक शामिल है।
जयशंकर ने कहा कि, “दूसरे देशों के साथ होने वाले मोबिलिटी समझौते भारत की नई कूटनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज हमारे पास 21 अंतर-सरकारी मोबिलिटी समझौते हैं, इसके अलावा कई मुक्त व्यापार समझौतों में भी मोबिलिटी प्रावधान हैं। कई रिश्तों में यह नया आयाम जोड़ रहा है।'' सनद रहे कि शुक्रवार को भारत और रूस के बीच भी मोबिलिटी समझौता होने जा रहा है।

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