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    Justice Surya Kant: 10वीं की परीक्षा देने गए तब पहली बार देखा था शहर, रोचक है जस्टिस सूर्यकांत का हरियाणा कनेक्शन

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 02:46 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने जस्टिस सूर्यकांत को अगला चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की है। हरियाणा के एक गुमनाम गांव से निकलकर जस्टिस कांत ने 24 नवंबर को 53वें चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालने वाले हैं। उनका न्यायिक करियर मानवाधिकार, लैंगिक न्याय और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदानों से भरा रहा है।

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    जस्टिस सूर्यकांत होंगे अगले CJI। जागरण फोटो

    डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने सोमवार को देश के अगले चीफ जस्टिस के नाम की सिफारिश की है। CJI ने इस संबंध में कानून मंत्रालय को पत्र लिख कर जस्टिस सूर्यकांत का नाम आगे बढ़ाया है। इस सिफारिश के मंजूर होने के साथ ही जस्टिस कांत 24 नवंबर को देश के 53वें चीफ जस्टिस के रूम में अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे। बता दें 23 नवंबर को मौजूदा CJI गवई रिटायर हो रहे हैं।

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    10वीं की परीक्षा देने गये तो पहली बार देखा था शहर

    हरियाणा के हिसार के एक गुमनाम गांव में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत मौजूदा समय में CJI गवई के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज हैं। उनके संबंध में एक रोचक काहानी है जो बहुत कम लोग जानते हैं। उन्होंने आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से थी, जहां बैठने को बेंच भी नही थी। उन्होंने गांव के बाहर की दुनिया नहीं देखी थी। दसवीं की बोर्ड परीक्षा देने वे हिसार के एक छोटे कस्बे हांसी गये थे, जहां उन्होंने पहली बार शहर देखा था। साल 1981 में गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, हिसार से स्नातक करने के बाद वे 1984 में रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से कानून की पढाई पूरी करने चले गये।

    जस्टिस कांत ने हिसार से शुरू की प्रैक्टिस

    साल 1984 में जस्टिस कांत ने हिसार के जिला अदालत में प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। एक साल यहां रहने के बाद वे पंजाब-हरियाणा कोर्ट चले गये। यहां उन्होंने प्रैक्टिस करना जारी रखा. समय के साथ उनकी न्यायिक रैंको में लगातार बढ़ोतरी होती रही।

    न्यायिक रैंको में बढ़ता रहा कद?

    जस्टिस कांत को साल 2004 में पंजाब-हरियाणा कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। उनके फैसलों में हमेशा संवैधानिक सिद्धांत और सामाजिक सहानुभूति के बीच संतुलन झलकता रहा। अक्टूबर 2018 में उन्होंने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। यहां एक साल से भी कम समय के बाद 24 मई 2019 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की सिफारिश पर उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत कर दिया गया।

    कैसा रहा न्यायिक करियर?

    जस्टिस कांत का न्यायिक जीवन शदार रहा है। उन्होंने अपने न्यायिक करियर के दौरान, मानवाधिकार, लैंगिक न्याय, शिक्षा और जेल सुधार से जुड़े मामलों की अध्यक्षता की है। उनका फैसलों में अक्सर व्यक्तिगत अधिकारों और नागरिक उत्तरदायित्व के बीच संतुलन पर ज़ोर रहता है। इंडियाज़ गॉट लेटेंट मामले से जुड़ी सुनवाई में , न्यायमूर्ति कांत ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं पर अपने दृढ़ रुख से जनता का रखा था। हिसार की एक साधारण कक्षा से लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत तक उनका सफ़र भारत की लोकतांत्रिक न्यायपालिका के स्थायी दौर को दर्शाती है।