मुंबई के वकीलों ने CJI को लिखा पत्र, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग
बॉम्बे लायर्स एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को पत्र लिखकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की है। जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिली थी। एसोसिएशन ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है। पत्र में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया गया है।

राज्य ब्यूरो, मुंबई। बॉम्बे लायर्स एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को पत्र लिखकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की है। जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिली थी।
बाद में जस्टिस वर्मा का तबादला दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया था। तत्कालीन सीजेआइ संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराने वाली शीर्ष अदालत की समिति की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा का जवाब उनके साथ साझा किया था।
प्रविधानों के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी
बॉम्बे लायर्स एसोसिएशन (बीएलए) ने दो जून को लिखे पत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रविधानों के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है।
पत्र में 1991 के के. वीरास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि सीजेआइ की पूर्व स्वीकृति के बिना हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी भी कार्यरत जज के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। 1991 के फैसले में कहा गया था कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत 'लोक सेवक' हैं।
साक्ष्यों को सुरक्षित रखने का निर्देश
आय से अधिक संपत्ति रखने जैसे अपराधों के लिए उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है। पत्र में दिल्ली पुलिस या सीबीआइ सहित प्राधिकारियों को आंशिक रूप से जले हुए नोटों, तस्वीरों और वीडियो रिकार्डिंग सहित सभी प्रासंगिक साक्ष्यों को सुरक्षित रखने का निर्देश देने की मांग भी की गई है।

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