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    'प्लीज मेरे रिश्तेदार की मदद करो', कर्नाटक के मंत्री ने धोखाधड़ी मामले में पुलिस से मांगी 'हेल्प'; ऑडियो वायरल

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 08:28 AM (IST)

    कर्नाटक के मंत्री जमीर अहमद खान का एक ऑडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे पुलिस अधिकारी से धोखाधड़ी के मामले में अपने रिश्तेदार की मदद करने की बात कर रहे हैं। मामला पेरेसांद्रा पुलिस थाने में दर्ज है, जिसमें व्यापारियों पर किसानों से मक्का खरीद में धोखाधड़ी का आरोप है। मंत्री पुलिस अफसर से मामले को सुलझाने में मदद करने का आग्रह कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों को राजी होना होगा।

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    कर्नाटक के मंत्री जमीर अहमद खान। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक के आवासीय मंत्री जमीर अहमद खान का एक ऑडियो क्लिप वारयल हो रहा है, जिसमें वे कथित तौर पर पुलिस अधिकारी से धोखाधड़ी के एक मामले में रिश्तेदार की मदद करने की बात कह रहे हैं।

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    पेरेसांद्रा पुलिस थाने में दर्ज इस केस में स्थानीय किसानों ने हैदराबाद के ट्रेडर्स अब्दुल रजाक, अकबर पाशा और नसीर अहमद पर मक्का खरीदने के पेमेंट में उनसे बड़ी रकम की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। बताया जाता है कि ट्रेडर्स ने फरवरी और जुलाई के बीच मक्का खरीदा था, लेकिन पेमेंट पूरा नहीं किया। मामले में बीएनएस की धारा 318 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

    ऑडियो क्लिप में क्या कह रहे हैं मंत्री?

    एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑडियो में सुना जा सकता है कि मंत्री जमीर अहमद पेरेसांद्रा थाने के पुलिस अफसर जगदीश रेड्डी से कहते हैं, "हैलो भाई, हैदराबाद से कोई है। अकबर पाशा मेरा रिश्तेदार है। मैंने सुना है कि उसे किसी वित्तीय मामले में लाया गया है।" वह आगे कहते हैं, "हां, उसने पैसे लिए थे यह सच है लेकिन जिस तरह का दावा किया जा रहा है वैसा नहीं है। प्लीज उसकी थोड़ी मदद करो भाई। वह हमारे लिए महत्वपूर्ण इंसान है। क्या किया जा सकता है?"

    पुलिस अफसर ने क्या दिया जवाब?

    इस पर पीएसआई ने जवाब दिया, "हम उन्हें मामला सुलझाने का मौका पहले ही दे चुके हैं। अगर दोनों पार्टियां मान जाती हैं और बकाया चुका दिया जाता है तो हम केस बंद कर सकते हैं। यह ईगो का मामला है और कोई भी पक्ष मानने को राजी नहीं है।"

    इस पर मंत्री जोर देकर कहते हैं, "कृपया उन्हें एक और मौका दीजिए, कुछ दिनों का समय दीजिए।" फिर पीएसआई समझाते हैं कि मामला सुलझ सकता है लेकिन दोनों पार्टियों का राजी होना जरूरी है। तो मंत्री जमीर अहमद फिर जोर देकर कहते हैं, "हां, यह सच है। पैसे देने होंगे लेकिन रकम उतनी ज्यादा नहीं है जितनी शिकायत में बताई गई है, उन्हें एक मौका दीजिए।"

    फिर पीएसआई कहते हैं, "उन्हें यहां आकर मामले को सुलझाने दो, मैं इसे क्लियर कर दूंगा।" इस पर मंत्री ने जवाब दिया, "ठीक है, ठीक है।"

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