'माओवादी आतंकवाद गिन रहा अंतिम सांसें', आतंरिक सुरक्षा को लेकर और क्या बोले राजनाथ सिंह?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिस स्मृति दिवस पर आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अपराध संगठित हो गया है और नक्सलवाद 2026 तक खत्म हो जाएगा। उन्होंने पुलिस और सेना के बलिदानों को याद किया और 'विकसित भारत 2047' के लिए सुरक्षा पर जोर दिया। आईबी प्रमुख ने 36,684 पुलिसकर्मियों के बलिदान को श्रद्धांजलि दी।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को पुलिस स्मृति दिवस पर राष्ट्र को आंतरिक सुरक्षा की उभरती चुनौतियों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि जहां एक ओर सीमाओं पर अस्थिरता बनी हुई है, वहीं देश के भीतर अपराध, आतंकवाद और वैचारिक युद्ध के नए रूप तेजी से सामने आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अपराध अब अधिक संगठित, अदृश्य और जटिल हो गया है जिसका उद्देश्य समाज में अविश्वास पैदा करना और राष्ट्र की स्थिरता को चुनौती देना है। नेशनल पुलिस मेमोरियल पर पुलिस बलों के बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि जब देश के नागरिक शांति से सोते हैं, तो उसकी वजह हमारी सतर्क सेना और पुलिस बलों की निरंतर चौकसी होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बाहरी और आंतरिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
'2026 तक इस खतरे मुक्त होगा भारत'
राजनाथ सिंह ने नक्सलवाद पर बड़ी घोषणा करते हुए विश्वास जताया कि मार्च 2026 तक देश पूरी तरह इस खतरे से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जो क्षेत्र कभी रेड कॉरिडोर कहलाते थे, आज वे विकास कॉरिडोर में बदल रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आधुनिक उपकरण, ड्रोन, डिजिटल पुलिसिंग और अत्याधुनिक हथियारों से पुलिस को सशक्त बनाया गया है।
राजनाथ ने कहा कि सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन के संगठित प्रयासों से माओवादी आतंकवाद को छूट नहीं मिलने पाई और लोगों को राहत मिली। इनसेट 1- नैतिक कर्तव्य भी निभा रही पुलिसरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने में सेना और पुलिस के बीच एकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि दोनों बल देश की सुरक्षा में समान भावना रखते हैं।
'सेना और पुलिस सुरक्षा के स्तंभ'
राजनाथ ने पूर्व गृह मंत्री के रूप में अपने अनुभव और रक्षा मंत्री के रूप में अपनी वर्तमान भूमिका का उल्लेख करते हुए देश की सुरक्षा में पुलिस और सेना दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। राजनाथ ने कहा कि सेना और पुलिस दोनों ही देश की सुरक्षा के स्तंभ हैं। दुश्मन कोई भी हो, चाहे वह सीमा पार से आए या हमारे बीच ही छिपा हो, भारत की सुरक्षा के लिए खड़ा होने वाला प्रत्येक व्यक्ति इसी भावना का प्रतिनिधित्व करता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस न केवल अपराध से लड़ती है, बल्कि धारणा के स्तर पर भी हालात को संभालती है। इस तरह पुलिस आधिकारिक ड्यूटी के साथ-साथ नैतिक कर्तव्य भी बखूबी निभा रही है।
अब तक 36,684 पुलिसकर्मियों ने दिया बलिदान
पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) के प्रमुख तपन डेका ने बलिदानी पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आजादी के बाद से अब तक 36,684 बहादुर जवानों ने बलिदान दिया है। उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर, 1969 में लद्दाख के हाट स्पि्रंग इलाके में आइबी के डीसीआइओ करम सिंह के नेतृत्व में सीआरपीएफ ने चीनी सेना से मोर्चा लिया था। इस संघर्ष में 10 जवानों की शहादत के बाद से हर साल पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि बीएसएफ, सीआइएसएफ, सीआरपीएफ, आइटीबीपी, एसएसबी, एनएसजी, असम राइफल्स, आरपीएफ, एनडीआरएफ और दिल्ली पुलिस के जवानों ने संयुक्त परेड निकाली।
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