'वरना लोग संवैधानिक अधिकार से वंचित रह जाएंगे', SIR को लेकर मायावती ने क्यों कही ये बात?
बसपा प्रमुख मायावती ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर विपक्षी दलों के सवालों के बीच मध्य मार्ग अपनाया है। उन्होंने पदाधिकारियों से एसआईआर कार्यों पर ध्यान देने को कहा ताकि लोग मताधिकार से वंचित न रहें। मायावती ने बिहार चुनाव में सत्ताधारी दल पर सरकारी धन के उपयोग का आरोप लगाया और संगठन की मजबूती पर जोर दिया। उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर का परिनिर्वाण दिवस मनाने का निर्देश दिया।
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मायावती का मतदाता सूची पुनरीक्षण पर रुख
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मतदाता सूची सघन पुनरीक्षण (एसआइआर) को लेकर अधिकतर विपक्षी दल जहां सवाल खड़े कर रहे हैं, वहीं पूर्व के तमाम मुद्दों की तरह बसपा इस पर भी मध्य मार्ग पकड़ती दिखाई दे रही है।
महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और झारखंड के पदाधिकारियों की समीक्षा बैठक में बसपा प्रमुख मायावती ने एसआइआर की चर्चा जरूर की, लेकिन इस पर किसी प्रकार का प्रश्न खड़ा करने की बजाए पदाधिकारियों से कहा कि 12 राज्यों में एसआइआर का जो कार्य चल रहा है, उसके प्रति गंभीर होकर ध्यान देना है, वरना लोग वोट के अपने संवैधानिक अधिकार से वंचित रह जाएंगे।
मायावती का मतदाता सूची SIR पर रुख
याद रहे कि चुनाव आयोग की भी मंशा यही है कि एसआइआर की प्रक्रिया में सभी राजनीतिक दल सक्रियता से भाग लें, ताकि वैध मतदाता मताधिकार से वंचित न हों। नई दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय में सात राज्यों के संगठन की समीक्षा बैठक में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बिहार विधानसभा चुनाव का उल्लेख करते हुए सत्ताधारी दल पर सरकारी धन बल के उपयोग का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि पहले कई राज्यों में और अब बिहार विधानसभा के आम चुनाव के चौंकाने वाले परिणामों से सबक सीखने की जरूरत है। सत्ताधारी पार्टियां पहले धनबल व सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग आदि से चुनावों को प्रभावित करती थीं, लेकिन अब सरकारें सरकारी धन के बल पर जनमत को अपने पक्ष में करने का सफल प्रयास करती दिख रही हैं।
संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा पर जोर
ऐसे में चुनाव जीतने की चुनौती कई गुणा अधिक बढ़ गई है। संभवत: मायावती का इशारा उन योजनाओं की ओर था, जिनके माध्यम से जनता को सीधे वित्तीय लाभ पहुंचाया जा रहा है। इससे पहले बसपा प्रमुख ने इन सातों की राज्यों के पदाधिकारियों से उन निर्देशों पर अमल की रिपोर्ट ली, जो पूर्व की बैठकों में संगठन की मजबूती के लिए दिए गए थे।
पश्चिम व दक्षिण के राज्यों में भी बहुजन समाज की स्थिति खराब होने का दावा करते हुए महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार व झारखंड में भी डा. भीमराव आंबेडकर का परिनिर्वाण दिवस कार्यक्रम छह दिसंबर को मिशनरी भावना के अनुरूप आयोजित करने का निर्देश दिया। कहा कि यह आयोजन वोटों की स्वार्थी विरोधी पार्टियों की तरह दिखावटी व बरगलाने वाला नहीं होना चाहिए।

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