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    ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी इलाकों में अधिक छात्र लेते हैं प्राइवेट कोचिंग, केंद्र सरकार ने कराया सर्वे

    देश में शिक्षा के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से किए गए कम्प्रिहेंसिव मॉड्यूलर सर्वे (सीएमएस) में यह बात सामने आई है कि लगभग एक-तिहाई स्कूली छात्र प्राइवेट कोचिंग लेते हैं और यह चलन शहरी इलाकों में ज्यादा आम है। सर्वे में पता चला कि लगभग एक तिहाई छात्र (27.0 प्रतिशत) चालू शैक्षणिक वर्ष के दौरान प्राइवेट कोचिंग ले रहे थे या ले चुके थे।

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 28 Aug 2025 06:44 AM (IST)
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    ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी इलाकों में अधिक छात्र लेते हैं प्राइवेट कोचिंग (सांकेतिक तस्वीर)

     पीटीआई, नई दिल्ली। देश में शिक्षा के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से किए गए कम्प्रिहेंसिव मॉड्यूलर सर्वे (सीएमएस) में यह बात सामने आई है कि लगभग एक-तिहाई स्कूली छात्र प्राइवेट कोचिंग लेते हैं और यह चलन शहरी इलाकों में ज्यादा आम है।

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    केंद्र सरकार कराया सर्वे

    सर्वे में पता चला कि लगभग एक तिहाई छात्र (27.0 प्रतिशत) चालू शैक्षणिक वर्ष के दौरान प्राइवेट कोचिंग ले रहे थे या ले चुके थे। यह प्रवृत्ति ग्रामीण क्षेत्रों (25.5 प्रतिशत) की तुलना में शहरी क्षेत्रों (30.7 प्रतिशत) में अधिक आम थी।

    पूरे भारत में 52,085 परिवारों का डाटा लिया गया

    सर्वे के लिए कंप्यूटर-बेस्ड पर्सनल इंटरव्यू सीएमएस एजुकेशन सर्वे, नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) के 80वें दौर का एक भाग है जो विशेष रूप से स्कूली शिक्षा में वर्तमान में नामांकित छात्रों के घरेलू खर्च पर केंद्रित था।

    सर्वे के लिए कंप्यूटर-बेस्ड पर्सनल इंटरव्यू (सीएपीआइ) का उपयोग करके पूरे भारत में 52,085 परिवारों और 57,742 छात्रों से डाटा एकत्र किया गया था।

    सर्वे के अनुसार, सरकारी स्कूल पूरे देश में शिक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और कुल दाखिलों में 55.9 प्रतिशत का योगदान सरकारी स्कूलों का है।

     शहरी क्षेत्रों में यह दर 30.1 प्रतिशत है

    ''ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर ज्यादा है, जहां दो-तिहाई (66.0 प्रतिशत) छात्र नामांकित हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह दर 30.1 प्रतिशत है। निजी गैर-सहायता प्राप्त (मान्यता प्राप्त) स्कूलों में देश भर में कुल दाखिलों का 31.9 प्रतिशत हिस्सा है।''

    शिक्षा-स्तर के साथ कोचिंग के खर्च में अंतर

    शहरी क्षेत्रों में प्रति छात्र प्राइवेट कोचिंग पर औसत वार्षिक खर्च (3,988 रुपये), ग्रामीण क्षेत्रों (1,793 रुपये) की तुलना में अधिक था। सर्वे में कहा गया है, ''यह अंतर शिक्षा के स्तर के साथ बढ़ता है। शहरी क्षेत्रों में उच्चतर माध्यमिक स्तर पर प्राइवेट कोचिंग पर औसत खर्च (9,950 रुपये), ग्रामीण क्षेत्रों (4,548 रुपये) की तुलना में काफी अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर कोचिंग पर खर्च प्रत्येक शिक्षा स्तर के साथ बढ़ता है - प्री-प्राइमरी स्तर के लिए 525 रुपये से लेकर उच्चतर माध्यमिक के लिए 6,384 रुपये तक।''

    स्कूली शिक्षा पर खर्च करने वालों में से 95 प्रतिशत छात्रों ने बताया कि उनके वित्तपोषण का पहला प्रमुख स्त्रोत परिवार के अन्य सदस्य थे। यह प्रवृत्ति ग्रामीण (95.3 प्रतिशत) और शहरी (94.4 प्रतिशत) दोनों क्षेत्रों में समान है। 1.2 प्रतिशत छात्रों ने बताया कि स्कूली शिक्षा के लिए उनके वित्तपोषण का पहला प्रमुख स्त्रोत सरकारी छात्रवृत्ति थी।

    उद्देश्य शिक्षा व कोचिंग पर खर्च का अनुमान लगाना

    सीएमएस का प्राथमिक उद्देश्य चालू शैक्षणिक वर्ष के दौरान स्कूली शिक्षा और प्राइवेट कोचिंग पर औसत खर्च का राष्ट्रीय स्तर पर अनुमान लगाना था। सभी प्रकार के स्कूलों में चालू शैक्षणिक वर्ष के दौरान प्रति छात्र सबसे अधिक औसत खर्च कोर्स फीस (7,111 रुपये) पर हुआ, जिसके बाद अखिल भारतीय स्तर पर पाठ्यपुस्तकों और स्टेशनरी (2,002 रुपये) पर खर्च हुआ।

    सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है, ''शहरी परिवार सभी श्रेणियों में काफी अधिक भुगतान कर रहे हैं। उल्लेखनीय रूप से, शहरी क्षेत्रों में कोर्स फीस पर औसत अनुमानित खर्च 15,143 रुपये था, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 3,979 रुपये था। शहरी क्षेत्रों में अधिक खर्च का यह रुझान परिवहन, ड्रेस और पाठ्यपुस्तकों जैसे अन्य प्रकार के शिक्षा-संबंधी खर्चों के लिए भी स्पष्ट है।''

    सर्वे से जुड़ी कुछ खास बातें..

    • साक्षात्कार के जरिए पूरे देश में 52,085 परिवारों व 57,742 छात्रों से डाटा एकत्र किया गया
    • प्राइवेट को¨चग लेते हैं एक-तिहाई (27.0 त्‍‌न) छात्र, शहरी इलाकों में ज्यादा आम है चलन
    • यह प्रवृत्ति ग्रामीण क्षेत्रों (25.5 त्‍‌न) की तुलना में शहरी क्षेत्रों (30.7 त्‍‌न) में अधिक आम थी
    • शहरी क्षेत्रों में प्रति छात्र प्राइवेट को¨चग पर औसत वार्षिक घरेलू खर्च 3,988 रुपये बताई गई
    • जबकि, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति छात्र प्राइवेट को¨चग पर औसत वार्षिक खर्च 1,793 रुपये आई
    • शहरी क्षेत्रों में उच्चतर माध्यमिक स्तर पर प्राइवेट को¨चग पर औसत खर्च 9,950 रुपये रहा
    • इसकी तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कम सिर्फ 4,548 रुपये ही रहा को¨चग पर औसत खर्च
    • राष्ट्रीय स्तर पर को¨चग पर खर्च हर शिक्षा स्तर के साथ बढ़ता है, 525 से 6,384 रुपये तक
    • 95 प्रतिशत छात्रों ने बताया, उनके वित्तपोषण का पहला प्रमुख स्त्रोत परिवार के अन्य सदस्य थे
    • यह प्रवृत्ति ग्रामीण (95.3 प्रतिशत) और शहरी (94.4 प्रतिशत) दोनों क्षेत्रों में समान ही रही है
    • 1.2 फीसद छात्रों ने बताया, स्कूली शिक्षा के लिए वित्तपोषण का प्रमुख स्त्रोत सरकारी छात्रवृत्ति