Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों को दो साल में पास करना होगा टीईटी, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 11:30 PM (IST)

    कोर्ट ने कहा है कि जिन शिक्षकों की नियुक्ति आरटीई कानून लागू होने से पहले हुई थी और जिनकी सेवानिवृति में पांच साल से ज्यादा का समय है यानी जिनकी नौकरी पांच साल से ज्यादा बची है उन्हें नौकरी में बने रहने के लिए इस आदेश के दो वर्ष के भीतर टीईटी पास करना होगा।

    Hero Image
    कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों को दो साल में पास करना होगा टीईटी, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

    माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक और जूनियर कक्षाओं को पढ़ाने वाले यानी कक्षा एक से आठ तक को पढ़ाने वाले शिक्षकों के बारे में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने वाले शिक्षकों को दो साल में टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास करनी होगी नहीं तो उनकी नौकरी चली जाएगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शीर्ष अदालत का यह फैसला पूरे देश के प्राथमिक और जूनियर शिक्षकों पर समान रूप से लागू होगा। यहां तक कि उन शिक्षकों पर भी लागू होगा जिनकी नियुक्ति शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून लागू होने से पहले हुई थी। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि जो शिक्षक नौकरी में हैं और उनकी नौकरी अभी पांच साल से ज्यादा बची हुई है, उन्हें भी नौकरी में बने रहने के लिए दो वर्ष के भीतर टीईटी पास करना होगा।

    अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों का मामला बड़ी पीठ को भेजा गया

    नौकरी कर रहे प्राथमिक और जूनियर स्कूलों के शिक्षकों के बारे में यह महत्वपूर्ण फैसला जस्टिस दीपांकर दत्ता व जस्टिस मनमोहन की पीठ ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सोमवार को दिया। कोर्ट ने 110 पृष्ठ का विस्तृत फैसला दिया है। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर भी टीईटी पास करने की अनिवार्यता का मुद्दा भी इसमें शामिल था।

    पीठ ने उसे बड़ी पीठ को विचार के लिए भेज दिया है। अल्पसंख्यक संस्थान चाहे वे धार्मिक अल्पसंख्यक हों या भाषाई अल्पसंख्यक, दोनों का मुद्दा बड़ी पीठ को विचार के लिए भेजते हुए उनका मामला उचित आदेश के लिए टीफ जस्टिस के समक्ष पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अल्पसंख्यक संस्थानों के संबंध में विचार के प्रश्न भी तय किए हैं। जिन पर बड़ी पीठ विचार करेगी।

    सभी स्कूलों को करना होगा आदेश का पालन

    अल्पसंख्यक संस्थानों को छोड़ कर बाकी शिक्षकों के बारे में दिए आदेश में कोर्ट ने कहा है कि आरटीई कानून के प्रविधान जैसा कि धारा 2 (एन) में कहा गया है, सभी स्कूल पालन करेंगे। कोर्ट ने कहा कि जो शिक्षक नौकरी में है चाहें उनकी नौकरी कितनी भी लंबी क्यों न हो, उन सभी को नौकरी में बने रहने के लिए टीईटी पास करना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि वह उन लोगों की व्यावहारिक दिक्कतें समझता है जिनकी नियुक्ति आरटीई लागू होने के बहुत पहले हुई थी और जो दो या तीन दशक से नौकरी कर रहे हैं।

    बिना किसी गंभीर शिकायत के अपनी श्रेष्ठ क्षमता से छात्रों को शिक्षा दे रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि जिन लोगों ने टीईटी नहीं किया है उनके पढ़ाए बच्चे जीवन में चमकते नहीं हैं। कहा कि उन्हें टीईटी पास न करने के आधार पर नौकरी से हटाना थोड़ा सख्त होगा। कोर्ट ने इन बातों का ध्यान रखते हुए वह संविधान के अनुच्छेद 142 में प्राप्त शक्ति के तहत आदेश दिया है कि जिन शिक्षकों की नौकरी पांच साल से कम बची है, वे लोग टीईटी पास किये बगैर सेवानिवृति तक नौकरी में बने रह सकते हैं। हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर किसी पांच साल से कम नौकरी वाले शिक्षक की प्रोन्नति होनी है तो उसे टीईटी पास किये बगैर प्रोन्नति नहीं मिलेगी।

    टीईटी पास न करने पर हो सकती है अनिवार्य सेवानिवृत्ति

    कोर्ट ने कहा है कि जिन शिक्षकों की नियुक्ति आरटीई कानून लागू होने से पहले हुई थी और जिनकी सेवानिवृति में पांच साल से ज्यादा का समय है, यानी जिनकी नौकरी पांच साल से ज्यादा बची है, उन्हें नौकरी में बने रहने के लिए इस आदेश के दो वर्ष के भीतर टीईटी पास करना होगा। अगर वे तय समय में टीईटी पास करने में नाकाम रहते हैं तो उनकी अनिवार्य सेवानिवृति हो सकती है।

    हालांकि उन्हें सेवानिवृति के लाभ. जिसके वे हकदार हैं, दिये जाएंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सेवानिवृति के लाभ लेने के लिए शिक्षकों को नियमों के मुताबिक तय अवधि की सेवा का नियम पूरा करना होगा। अगर कोई शिक्षक जरूरी अवधि की नौकरी करने की शर्त पूरी नहीं कर पाता उसकी सेवा कम रह जाती है तो वह संबंधित सरकार को ज्ञापन दे सकता है और उसके ज्ञापन पर उचित विभाग विचार कर सकता है। आदेश में यह भी कहा गया कि जो लोग नियुक्ति की उम्मीद लगाए हैं और जो लोग नौकरी में हैं और प्रोन्नति से नियुक्ति पाने की उम्मीद लगाए हैं, उन्हें टीईटी पास करना होगा अन्यथा उनकी उम्मीदवारी पर विचार नहीं किया जाएगा।

    यह भी पढ़ें- वाराणसी के कालेज आफ टीचर एजुकेशन में जुटे प्रदेश के प्रवक्ता, नई शिक्षा नीति पर फोकस

    comedy show banner