राजनीतिक दलों को नियम कानूनों में बांधने की मांग पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट राजनीतिक दलों को नियम कानूनों में बांधने की मांग पर विचार करेगा। शीर्ष अदालत ने राजनीतिक दलों के पंजीकरण और नियमन के नियम तय करने का निर्देश मांगने वाली जनहित याचिका पर शुक्रवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वह इस मामले में मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों को भी पक्षकार बनाए।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट राजनीतिक दलों को नियम कानूनों में बांधने की मांग पर विचार करेगा। शीर्ष अदालत ने राजनीतिक दलों के पंजीकरण और नियमन के नियम तय करने का निर्देश मांगने वाली जनहित याचिका पर शुक्रवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वह इस मामले में मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों को भी पक्षकार बनाए।
प्रारंभिक दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी किए
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जोयमाल्या बाग्ची की पीठ ने याचिका पर प्रारंभिक दलीलें सुनने के बाद ये नोटिस जारी किए। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका भाजपा नेता तथा वकील अश्वनी उपाध्याय ने दाखिल की है। कोर्ट ने याचिका में प्रतिवादी बनाई गई केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को तीन नवंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
यह मांग की गई हैं
याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह राजनीतिक दलों के पंजीकरण और नियमन के लिए नियम तय करे जिससे कि धर्मनिरपेक्षता, पारदर्शिता, लोकतंत्र और राजनीतिक न्याय को बढ़ावा मिले।
मांग यह भी है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह राजनीति में भ्रष्टाचार, जातिवाद, क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता और अपराधीकरण को कम करने के लिए कदम उठाए।
याचिका में पिछले दिनों मीडिया में आयी खबर का भी जिक्र है जो दो राजनीतिक दलों के दफ्तरों में आयकर के छापे से संबंधित थी, जिन पर कालेधन को सफेद करने का आरोप है।
डोनेशन के नाम पर घोटाला करते हैं राजनीतिक दल
इसमें दावा किया गया है कि बहुत से राजनीतिक दल डोनेशन में रकम लेकर कुछ प्रतिशत काट कर वापस कर देते हैं और ऐसे कालेधन को सफेद किया जाता है। ऐसे फर्जी राजनीतिक दल न सिर्फ लोकतंत्र के लिए खतरा हैं बल्कि विभिन्न अपराध में शामिल लोगों को पैसे लेकर पार्टी पदाधिकारी बना कर देश की छवि भी खराब कर रहे हैं।
नियम या रेगुलेशन नहीं होने के कारण अलगाववादियों ने डोनेशन कलेक्ट करने के लिए अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली है। कहा गया है कि लंबे समय से राजनीतिक दलों के लिए एक समग्र विधेयक लाने की जरूरत महसूस हो रही है।
कई देशों में इस संबंध में कानून
जस्टिस जीवन रेड्डी की अध्यक्षता वाले विधि आयोग तथा जस्टिस एमएन वेंकेटचलैया की अध्यक्षता वाले संविधान समीक्षा आयोग के इस पर विचार करने का दावा करते हुए कहा गया कि सरकारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। कई देशों में इस संबंध में कानून हैं।
राजनीतिक दलों की फंडिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही हो
याचिका में दो महत्वपूर्ण मुद्दे हैं पहला- इनर पार्टी डेमोक्रेसी की जरूरत और दूसरा राजनीतिक दलों की फंडिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही। दावा यह भी किया गया है कि राजनीतिक पार्टियां सरकार का भविष्य तय करने के साथ सार्वजनिक नीतियों पर निर्णय लेती है जिनसे लाखों लोग प्रभावित होते हैं लेकिन इन पर नियमन का कोई कानून नहीं है।
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