IIT मद्रास की बड़ी उपलब्धि, हेलीकॉप्टर की तरह सीधे उतरेंगे विमान; लैंडिंग की स्वदेशी तकनीक का किया सफल परीक्षण
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास के शोधकर्ताओं ने स्वदेशी तकनीक से विमानों और ड्रोन को हेलीकॉप्टर की तरह सीधे हवा में उठाने और जमीन पर उतारने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कीहै। इसे वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग (वीटीओएल) कहा जाता है। आइआइटी की ये उपलब्धि इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एरोनॉटिकल एंड स्पेस साइंसेज में प्रकाशित हुई है।

अब भारत भी बना सकेगा हेलिकॉप्टर की तरह सीधे उतरने और उड़ सकने वाले विमान (सांकेतिक तस्वीर)
आईएएनएस, चेन्नई। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास के शोधकर्ताओं ने स्वदेशी तकनीक से विमानों और ड्रोन को हेलीकॉप्टर की तरह सीधे हवा में उठाने और जमीन पर उतारने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इसे वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग (वीटीओएल) कहा जाता है।
आइआइटी की ये उपलब्धि इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एरोनॉटिकल एंड स्पेस साइंसेज में प्रकाशित हुई है। इस उपलब्धि से दुर्गम और सीमांत इलाकों में विमान सेवाएं आगे बढ़ाई जा सकेंगी, जहां लंबे रनवे या बड़े हवाई अड़्डे बनाना कठिन होता है।
विमान हेलिकॉप्टर से तेज और हवाई जहाजों से सस्ती सेवाएं दे सकेंगे
विमान हेलिकॉप्टर से तेज और हवाई जहाजों से सस्ती सेवाएं दे सकेंगे। इसके अलावा चंद्रयान और मंगल मिशन जैसे अंतरिक्ष अभियानों में भी ये मददगार साबित होंगे, जहां लैंडिंग प्रक्रिया बेहद नाजुक होती है। इससे आपदा राहत और दुर्गम इलाकों में आपूर्तितंत्र विकसित करने में भी मदद मिलेगी।
माना जा रहा है कि इससे भारत नेक्स्ट जेनरेशन एरियल सिस्टम की दिशा में आत्मनिर्भर भी बन सकेगा। ऐसे किया गया प्रयोग इस अत्याधुनिक प्रयोग में हाइब्रिड राकेट थ्रस्टर को वर्चुअल सिमुलेशन से जोड़ा गया और इससे साफ्ट लैंडिंग के लिए जरूरी वेलासिटी हासिल की गई। इसके चलते एक मीटर प्रति सेंकेंड से भी कम रफ्तार से विमान ने लैंडिंग की।
एक विशेष हाइब्रिड राकेट ईंधन विकसित किया है
गौरतलब है कि अमेरिका के एफ-35बी और वी-22 ओस्प्रे विमानों में इस वीटीओएल तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इस शोध का एक अहम पहलू यह है कि टीम ने एक विशेष हाइब्रिड राकेट ईंधन विकसित किया है जिसे आक्सीडाइजर के रूप में केवल कंप्रेस्ड हवा की जरूरत होती है। इससे ऐसी प्रणालियों को हवाई वाहनों में जोड़ना आसान हो जाता है, खासकर उन स्थितियों में जहां कंप्रेस्ड एयर आसानी से उपलब्ध है।
टीम ने इस प्रयोग से दिखाया कि हाइब्रिड राकेट मोटर, लिक्विड इंजनों की तुलना में न केवल अधिक सुरक्षित होते हैं, बल्कि इनका ढांचा भी अपेक्षाकृत सरल होता है। हाइब्रिड राकेट प्रणालियां हाल के वर्षों में लोकप्रिय हुई हैं क्योंकि ये ठोस और तरल राकेट इंजनों के गुणों को मिलाकर काम करती हैं और इन्हें थ्राटल किया जा सकता है, यानी इनके जरूरत के मुताबिक चालू या बंद किया जा सकता है।
गेमचेंजर साबित हो सकती है तकनीक
फिलहाल उपयोग में आने वाले वीटीओएल सिस्टम जटिल और उच्च रखरखाव वाले होते हैं। इसलिए आइआइटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने हाइब्रिड राकेट थ्रस्टर से संचालित एक प्लेटफार्म की अवधारणा प्रस्तुत की, जो विमानों और यूएवी के लिए एक प्रभावी प्रोपल्जन यूनिट के रूप में काम कर सके।
आइआइटी मद्रास के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर पी.ए. रामकृष्ण ने बताया कि टीओएल तकनीक विमान को बिना रनवे के सीधा ऊपर उठने और नीचे उतरने की क्षमता प्रदान करती है। इससे दुर्गम और सीमांत इलाकों में भी हवाई पहुंच संभव हो सकेगी, जहां लंबे रनवे या बड़े हवाई अड्डे बनाना कठिन है।
उन्होंने आगे कहा कि जब यह तकनीक व्यावसायिक उपयोग के टेक्नोलाजी रेडिनेस लेवल (टीआरएल) तक पहुंच जाएगी, तो नागरिक और सैन्य दोनों क्षेत्रों में गेम-चेंजर साबित होगी। इससे बड़े-बड़े हवाई अड़्डे बनाने की जरूरत नहीं रहेगी और खर्च बचेगा।
लागत घटेगी, सटीकता बढ़ेगी
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर जोएल जार्ज मनथारा ने बताया कि टीम ने एक अभिनव हार्डवेयर-इन-द-लूप सिमुलेशन (एचआइएलएस) ढांचा तैयार किया है। यह ढांचा वास्तविक हार्डवेयर और वर्चुअल सिमुलेशन को जोड़ता है, जिससे जटिल प्रणालियों का विकास कम लागत और अधिक सटीकता से किया जा सकता है।
आम तौर पर एचआइएलएस में सॉफ्टवेयर सिमुलेशन के साथ माइक्रोकंट्रोलर या सर्वो मोटर जैसे उपकरण जोड़े जाते हैं, लेकिन आइआइटी मद्रास की टीम ने पहली बार वास्तविक लाइव-फायरिंग हाइब्रिड राकेट मोटर को सीधे इस सिमुलेशन लूप में शामिल किया। इस सेटअप ने एक सफल सॉफ्ट लैंडिंग प्रदर्शित की, जिसमें टचडाउन वेलोसिटी एक मीटर प्रति सेकंड से भी कम रही।

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